-लंबे इंतजार के बाद सेमी हाई स्पीड 'ट्रेन 18' के ट्रैक पर दौड़ने की उम्मीदों को लगे पंख

-वाराणसी से इलाहाबाद के बीच हुए इलेक्ट्रिफिकेशन वर्क के निरीक्षण के बाद ट्रेन चलाने को मिला ग्रीन सिग्नल

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लंबे इंतजार के बाद रेलवे की सेमी हाई स्पीड रेलगाड़ी 'ट्रेन 18' के ट्रैक पर दौड़ने की उम्मीदों को पंख लग गए हैं। कारण कि मैराथन जांच के बाद इसे चलाने के लिए इलेक्ट्रिकल इंस्पेक्टर जनरल (ईआईजी) की मंजूरी मिल गयी है। इसके पहले वाराणसी से इलाहाबाद के बीच इलेक्ट्रिफिकेशन व डबलिंग के हुए कार्य के निरीक्षण के बाद कमिश्नर रेलवे सेफ्टी इसे ट्रैक पर चलाने के लिए ग्रीन सिग्नल दे चुके हैं। ऐसे में अब पीएम व बनारस के सांसद नरेंद्र मोदी जल्द ही इस बहुप्रतीक्षित ट्रेन को हरी झंडी दिखा सकते हैं।

160 किमी की ही स्पीड से संचालन

देश की पहली सेमी हाई स्पीड ट्रेन में 16 कोचेज होंगे। इस रेलगाड़ी को 18 महीने में 97 करोड़ रुपए की लागत से तैयार किया गया है। इसकी स्पीड 180 किलोमीटर प्रति घंटा है। फिलहाल 130 से 160 किमी प्रति घंटे की स्पीड से चलाया जाएगा। चूंकि ट्रेन के ट्रैक पर उतरने से पहले जर्जर ट्रैक व इलेक्ट्रिफिकेशन की बाधा को दूर किया जाना जरूरी था। जिसके बाद विभाग का दावा है कि इन बाधाओं को दूर कर लिया गया है।

शर्त के साथ दी मंजूरी

चीफ कमिश्नर रेलवे सेफ्टी पहले ही ट्रेन 18 के संचालन के लिए मुहर लगा चुके हैं। उन्होंने 160 किमी प्रति घंटे की स्पीड से ट्रेन को चलाने की मंजूरी प्रदान कर दी है। पर इसके लिए उन्होंने 20 शर्ते भी रखीं थीं, जिन्हें ट्रेन के संचालन से पहले पूरा करना था। इसमें एक महत्वपूर्ण शर्त ट्रैक के किनारे फेसिंग कराने की थी। सेफ्टी कमिश्नर के मुताबिक यदि ट्रेन को 130 किमी प्रतिघंटा की स्पीड से भी चलाया जाएगा तो क्रॉसिंग और भीड़भाड़ वाली जगहों पर फेंसिंग लगाना आवश्यक था।

विभागीय खींचतान भी रही वजह

ट्रेन-18 के संचालन में लेट होने के पीछे विभागीय खींचतान भी बताई जा रही है। रेलवे के इलेक्ट्रिकल विभाग का कहना था कि लॉचिंग से पहले ट्रेन को इलेक्ट्रिकल इंस्पेक्टर जनरल से सेफ्टी सर्टिफिकेट प्राप्त करना अनिवार्य है। वहीं मैकेनिकल विभाग का कहना था कि रेलवे के मुख्य सुरक्षा आयुक्त के निरीक्षण और मंजूरी के बाद ईआईजी के सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं होती है। काफी खींचतान के बाद अब ईआईजी ने भी ट्रेन को चलाने की मंजूरी दे दी है।

ट्रेन में ये हैं फैसिलिटीज

1. यह देश की पहली बिना इंजन वाली ट्रेन होगी।

2. ट्रेन के बीच में दो एग्जिक्यूटिव कंपार्टमेंट हैं, दोनों में 52-52 सीटें हैं।

3. ट्रेन के अन्य कोचेज में 78-78 सीटें हैं।

4. 160 किमी प्रति घंटे की स्पीड होगी।

6. बनारस से आठ घंटे में पहुंचेगी नई दिल्ली।

7. जीपीएस आधारित यात्री सूचना प्रणाली होगी।

8. ट्रेन में मेट्रो की तरह ऑटोमेटिक डोर, सीसी कैमरे व टेलीफोन लगे रहेंगे।