RANCHI : रांची रेलवे स्टेशन में स्थित रेलवे चाइल्ड लाइन कियोस्क अब तक 650 बच्चों को रेस्क्यू करा चुका है। इनमें 50 प्रतिशत बच्चे-बच्चियां ऐसे थे जिन्हें दिल्ली ले जाया जा रहा था, जबकि 25 प्रतिशत बच्चे घर से भागे हुए थे। शेष हिमाचल और पंजाब ले जाए जा रहे थे। गौरतलब है कि कियोस्क को जून 2015 में खोला गया था। कियोस्क काउंसिलर निर्मला ने बताया कि ट्रैफिकिंग के शिकार बच्चों के रेस्क्यू कराने के लिए लगातार अभियान चलाए जाते हैं, जिसका नतीजा है कि दो साल में ही 650 से ज्यादा बच्चे व बच्चियों को बचाने में सफलता मिली है।

बच्चों को पैरेंट्स से मिलाने का भी काम

रेलवे चाइल्ड लाइन को नेशनल डोमेस्टिक वर्कर्स वेलफेयर ट्रस्ट संचालित करता है। रांची रेलवे स्टेशन पर हेल्प लाइन चार शिफ्ट में संचालित होता है। इस तरह 24 घंटे यहां टै्रफिक्ड बच्चों पर नजर रखी जाती है। दलालों के चंगुल से मुक्त कराये गये बच्चों को यदि वह लड़का हुआ तो हेहल आइटीआई स्थित बालाश्रय भेजा जाता है और यदि वह लड़की हुई तो चुटिया के प्रेमाश्रय भेजा जाता है। जहां से उनके घर का पता लगाकर उनके मां-बाप से मिलवा दिया जाता है।

75 त्‍‌न से ज्यादा लड़कियां

कियोस्क में बतौर टीम मेंबर कार्यरत ऐस्रेन तिडू ने बताया कि झारखंड में जो बच्चे-बच्चियां ट्रैफिक्ड होते हैं उनमें से 75 प्रतिशत लड़कियां होती हैं। दलाल और कई बार पैसे के लालच में उनके घर के लोग ही उन्हें दिल्ली की प्लेसमेंट एजेंसियों को सौंप देते हैं। इसके बाद उनका मानसिक और शारीरिक शोषण होता है। महीने में आमतौर पर 25-26 बच्चों को हम रांची और हटिया रेलवे स्टेशन से रेस्क्यू करते हैं।

हेल्पलाइन नंबर 1098 पर दे सकतें हैं सूचना

चाइल्ड लाइन जिसका नंबर 1098 है एक आपातकालीन राष्ट्रीय फोन सेवा है। यह बेघर और बेसहारा बच्चों की मदद के लिए कार्यरत है। कोई भी व्यक्ति चाइल्ड लाइन की सेवा 1098 पर फोन कर ले सकता है। चाइल्ड लाइन देश के 190 शहरों में कार्यरत है।

चाइल्ड लाइन की सेवा कैसे लें

- जब कोई बच्चा अकेला और बीमार हो

- जब किसी कामकाजी बच्चे का शोषण हो रहा हो

- कोई खोया हुआ बच्चा मिले

-कोई बिछड़ा हुआ बच्चा अपने घर जाना चाहता हो

- किसी बेसहारा बच्चे को मार्गदर्शन या सहारे की जरुरत हो

- कोई व्यक्ति अपनी सेवा चाइल्ड लाइन को देना चाहता हो