द्भड्डद्वह्यद्धद्गस्त्रश्चह्वह्म : बागबेड़ा जलापूर्ति योजना के तहत रेलवे की जमीन पर बसी 33 बस्तियों में पाइप लाइन बिछाने के लिए रेलवे ने एनओसी दे दी है। एनओसी देने के लिए मुख्ययमंत्री रघुवर दास ने मंत्रालय को पत्र लिखा था। इसके बाद रेलवे ने सर्वे कर पेयजल एवं स्वच्छता विभाग को एनओसी जारी कर दी है।

सीएम ने लिखा था पत्र

सीएम के पत्र लिखने पर मंत्रालय ने एनओसी देने का निर्देश जारी किया था। इसके बाद रेलवे और पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के अधिकारियों ने रेलवे की जमीन पर बसी बस्तियों का सर्वे किया था। सर्वे के बाद एनओसी जारी की गई है। अब इन बस्तियों में पाइप लाइन बिछाने का काम शुरू कर दिया जाएगा।

रेलवे ने रखी थी शर्ते

सूत्रों की मानें तो रेलवे ने शर्त रखी थी कि एनओसी तभी दी जाएगी जब इन बस्तियों में रहने वाले बाशिंदे ये लिखकर कर दें कि उन्हें रेलवे की जमीन पर मालिकाना हक नहीं चाहिए। सिर्फ वो पानी चाहते हैं इसलिए पाइप लाइन बिछाने के लिए अनुमति दी जाए। इस पर प्रशासन ने कतिपय जन प्रतिनिधियों को एक फार्म दिया और इस पर इन प्रतिनिधियों ने लोगों को बिना कुछ बताए ही फार्म पर उनके सिग्नेचर कराए। अब इसका विरोध हो रहा है।

घर ही नहीं तो पानी लेकर क्या करेंगे

पश्चिम कीताडीह के पंचायत समिति सदस्य का कहना है कि फार्म पर सिग्नेचर करा कर लोगों ने ठीक नहीं किया। इसका खामियाजा उन्हें आगामी पंचायत चुनाव चाुगतना होगा। उनका कहना है कि जब घर ही नहीं रहेगा तो पानी का क्या करेंगे।

23 किमी बिछेगी पाइप

बागबेड़ा जलापूर्ति योजना के तहत रेलवे की 33 बस्तियां आती हैं। इन बस्तियों में 23 किलोमीटर लंबी पाइप लाइन बिछानी है। रेलवे के एनओसी नहीं देने की वजह से इस इलाके में पाइप लाइन बिछाने का काम शुरू नहीं हो पाया था। रेलवे एनओसी देने में आनाकानी कर रही थी। डीआरएम और जीएम ने एनओसी देने से साफ मना कर दिया था।