Railway works like this :

1- सीवेज के लिए क्या करते हैं?

रेलवे की सीवेज सिस्टम का काम हेल्थ डिपार्टमेंट के जिम्मे है। इसकी टीम सीवेज का काम देखती है। इसके लिए सीनियर सेक्शन इंजीनियर्स, वक्र्स का ऑफिस है। कालोनीवासियों की सुविधा के लिए रेलवे कॉलोनी के तीन एरिया में ऑफिस बनाया गया है। कालोनी के लोग सीवेज से संबंधित शिकायत अपने एरिया के सीएचआई से सीधे करते हैं। कंप्लेंट नंबर भी प्रोवाइड कराए गए हैं। उसके बाद तय समय में उसे सॉल्व किया जाता है।

2- सड़क व उनकी रिपेयरिंग कैसे करते हैं?

सड़क बनाने और उसके रिपेयरिंग की जिम्मेदारी इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट की होती है। डिप्टी चीफ इंजीनियर गोरखपुर (एरिया) के अंडर में रेलवे की पूरी कॉलोनी आती है। इसके रख-रखाव में जैसे- पानी, सड़क और कालोनी के घरों की मेंटेनेंस की जिम्मेदारी डीसीई (एरिया) के पास होती है। लोगों को अगर कोई समस्या आती है तो वह अपने एरिया के आईओडब्लू से कंप्लेंट करते हैं।

3- सफाई के लिए क्या करते हैं?

रेलवे कालोनी को साफ व स्वच्छ रखने के लिए हेल्थ डिपार्टमेंट बनाया गया है। हेल्थ डिपार्टमेंट के (जेए) जूनियर एडिमिस्ट्रेशन के अफसर इसकी प्रॉपर मानिटरिंग करते हैं। हर दिन की इसकी रिपोर्ट आला अफसर को दी जाती है। इनके अंडर में हेल्थ इंस्पेक्टर की तैनाती की गई है। कालोनी के हर एक निर्धारित एरिया में डस्टबीन रखे गए हैं। कॉलोनी की सफाई के लिए प्रत्येक दिन सफाई कर्मचारियों की तैनाती की गई है।

4- प्लांटेशन के लिए क्या करते हैं?

रेलवे कालोनी को ग्रीनरी बनाना यह रेलवे प्रशासन की प्राथमिकता में शामिल रहा है। कॉलोनी को ग्रीनरी बनाने के लिए हर साल कालोनियों में छायादार, फलदार प्लांटेशन किए जाते हैं। इसके लिए डिप्टी चीफ इंजीनियर गोरखपुर (एरिया) की जिम्मेदारी है। कालोनी को ग्रीनरी और पार्को की मेंटेनेंस के लिए अक्सर आला अफसर निगरानी करते रहते हैं। आलोक कुमार सिंह ने बताया कि  इस साल गोल्फ ग्राउंड में प्लांटेशन किए गए।

5- कंप्लेंट व साल्यूशन

रेलवे प्रशासन की तरफ से कालोनी वासियों के लिए कंप्लेंट रजिस्टर और हेल्प लाइन नंबर दिया गया है। हर कंप्लेन पर नंबर दिया जाता है। अगर किसी एरिया में गंदगी है या फिर सफाई कर्मचारी कॉलोनी की सफाई नहीं कर रहा है तो इसके लिए कॉलोनी के लोग सीधे आला अफसर से भी शिकायत कर सकते हैं। जिस पर तुरंत कार्रवाई की जाती है। हेल्प लाइन नंबर भी जगह-जगह चस्पा किया गया है।

GMC colonies at God'd mercy

1. जीएमसी में सीवरेज की है प्राब्लम

सीवरेज पर जीएमसी का खर्च सालाना लगभग 50 लाख रुपये का है। फिर पॉश कालोनियों में भी वाटरलॉगिंग होती है। इससे निबटने के लिए जलकल का लगभग 30 लाख का बजट होता है जबकि कंस्ट्रक्शन डिपार्टमेंट 90 लाख खर्च करता है। पानी निकालने के लिए 11 रेगुलेटर पंप और 40 पंपिंग सेट लगाए जाते हैं। बावजूद इसके गोरखपुराइट्स को जल जमाव झेलना पड़ी रही है।

2. भगवान के भरोसे हैं जीएमसी की सड़कें  

जीएमसी की कुल सड़कों की लंबाई 1315.86 किलोमीटर है। इसमें पक्की की लंबाई 540.31, आरसीसी 54.03, बिटुमिन रोड 486.28, आधी पक्की 605. 93, इंटर लाकिंग 363.50, कच्ची रोड 169.61 किलोमीटर लंबी है। सड़कों की मरम्मत के लिए जीएमसी का कंस्ट्रक्शन डिपार्टमेंट जिम्मेदार है। चीफ इंजीनियर से लेकर मरम्मत करने वाली गैंग में दो दर्जन से अधिक कर्मचारी हैं। छोटी- मोटी रिपयेरिंग का वर्क जीएमसी का गैंग करता है जबकि बड़े वर्क बोर्ड और कार्यकारिणी की मीटिंग से होकर आते हैं।

3. बिखरा रहता है कचरा

दिन में एक बार कूड़ा उठ गया तो ठीक नहीं तो दिन भर सड़क किनारे और चौराहों पर कचरा पसरा रहता है। बड़े वाले कंटेनर भी सफाई में मदद नहीं कर पाते हैं। इतने बड़े शहर में तीन कूड़ा पड़ाव केंद्र हैं। कूड़ा निस्तारण का कोई प्लांट नहीं है। शहर का कूड़ा इधर-उधर फेंका जाता है। सफाई कर्मचारी जो कूड़ा ले जाते हैं उसे वे हाइवे, बंधे या फिर खाली प्लाट्स पर डाल आते हैं। हालत यह होती है जिस कचरे से पब्लिक पिंड छुड़ाती है। वह दोबारा पीछे पड़ जाता है।

4. 40 लाख का खर्च फिर भी बगिया उजाड़

शहर में पौधरोपण के लिए पांच का अनुमानित बजट पांच लाख का है। जीएमसी के एक जेई और 48 माली देखभाल करते हैं। पार्क, आफिस और अफसरों के सरकारी आवासों पर हरियाली की देखभाल में इनकी जिम्मेदारी होती है। एक साल का कुल खर्च लगभग 34 लाख है। इसके बाद भी सिटी की हरियाली रूठी नजर आती है।

5. प्राब्लम ही प्राब्लम, साल्यूशन का पता नहीं

जीएमसी एरिया में 70 वार्डो में 13 लाख की आबादी रहती है। पब्लिक को रोजाना किसी न किसी प्राब्लम को फेस करना पड़ता है। पब्लिक की प्राब्लम सुनने के लिए जीएमसी का कंट्रोल रूम एक हेल्प नंबर के सहारे चल रहा है। ज्यादातर लोगों को इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है। 0551-2342621 पर काल करने के दौरान कंप्लेंट रजिस्टर्ड कर संबंधित डिपार्टमेंट को फारवर्ड कर दिया जाता है। यहां दर्ज कराई गई शिकायतें कब दूर होंगी, इसका अंदाजा लगाना कठिन होता है। काम न होने पर अधिकांश लोग मोहल्ले के पार्षद से शिकायत करते हैं। उसके बाद मेयर और जीएमसी अफसरों के सीयूजी नंबरों पर कंप्लेन की जाती है। अव्वल तो जीएमसी में आई कंप्लेंट साल्व हुई या नहीं, इसका फीडबैक लेने का इंतजाम नहीं है।