150 डिब्बों के साथ शुरू हुआ एनसीआर में मालगाड़ी का संचालन

पैसेंजर ट्रेनो के साथ मेल-एक्सप्रेस के टाइमिंग में भी होगा सुधार

balaji.kesharwani@inext.co.in

ALLAHABAD: ट्रैफिक कंजेशन कम करने के लिए रेलवे ने पाईथंस को ट्रैक पर उतार दिया है। चौंकिये बिल्कुल नहीं यह सांप नहीं है लेकिन इसकी लम्बाई को इसी के जैसा दिया गया है तो नाम यही रख दिया गया है। ट्रैक मेंटेनेंस के लिए ज्यादा टाइम उपलब्ध कराने के लिए रेलवे ने इस फॉर्मूले पर काम शुरू किया है। 22 पाइथंस का संचालन एनसीआर जोन में हो चुका है। कम से कम तीन मालगाडि़यों का बोझ एक साथ उठाने वाली इस गाड़ी की संख्या बढ़ाकर 2018 तक 80 करने का लक्ष्य है। इसका इम्पैक्ट यह होगा कि तीन अलग-अलग ट्रेनों को पास देने का टाइम वेस्ट नहीं होगा।

प्रयोग सफल रहा तो संख्या बढ़ेगी

एनसीआर के सीपीआरओ गौरव कृष्ण बंसल का कहना है कि अभी पर डे दो से तीन ट्रेनो का संचालन किया जा रहा है। रेलवे में प्रयोग के तौर पर शुरू की गई इस व्यवस्था को और विस्तार दिया जाएगा। उनके अनुसार लांग हॉल गुड्स ट्रेन को अलग-अलग जोन में अलग-अलग नाम से बुलाया जा रहा है। एनसीआर में इसे 'पाइथन', वेस्टर्न रेलवे में 'अनाकोंडा' और सेंट्रल रेलवे में मारुति का नाम दिया गया है।

पाइथन के फायदे

तीन मालगाडि़यों को एक साथ जोड़कर चलाया जाएगा

एनसीआर जोन में मालगाडि़यों की संख्या कम हो जाएगी

ट्रेनों को पास करने में भी टाइम सेव होगा

जंक्शन पर ट्रेनों का दबाव कम होगा

ट्रैक को मेंटेन करने के लिए ज्यादा टाइम मिलेगा

मालगाड़ी के चालकों पर से दबाव कम होगा

माल पहुंचाने में भी टाइमिंग मेंटेन होगी

405

स्टेशन हैं एनसीआर में

3,523

किलोमीटर का है टोटल रूट

355

एनसीआर में दौड़ती हैं मेल और एक्सप्रेस ट्रेन

256

पैसेंजर ट्रेन चलती हैं एनसीआर में

421

गुड्स ट्रेन का है लोड है इस ट्रैक पर

4.67

लाख पैसेंजर पर डे करते हैं सफर

11.33

मीट्रिक टन माल ढुलाई 2015-16 में

11.74

मीट्रिक टन माल ढुलाई 2016-17 में

12.50

मीट्रिक टन ढुलाई का लक्ष्य 2017-18 में

ट्रैक पर कंजेशन के साथ ही रेलवे की अन्य समस्याओं को दूर करने में लांग हॉल ट्रेन मददगार हो रही है। लांग हॉल ट्रेन रेलवे के पाइलट प्रोजेक्ट का हिस्सा है।

गौरव कृष्ण बंसल

सीपीआरओ, एनसीआर