2010 में किया था अप्लाई

आरआरसी ने 2010 में ग्र्रुप डी की पोस्ट के लिए लगभग 48 सौ वेकेंसी निकाली थी, जिसमें हजारों एप्लीकेंट्स ने अप्लाई किया था। इसका एग्जाम दो साल बाद यानि 2012 में कराया गया। रिटेन और फिजिकल एग्जाम के बाद 827 एप्लीकेंट्स का रिजल्ट रोक दिया गया था। कुछ कमी के चलते उनकी जांच पूना में कराई जा रही थी। जांच के बाद लगभग 523 एप्लीकेंट्स का रिजल्ट दोबारा आ गया था लेकिन अभी लगभग तीन सौ एप्लीकेंट्स का रिजल्ट रूका हुआ है।

आरटीआई से ली थी जानकारी

मूल रूप से देवरिया के मुंडेरा में रहने वाली सुनीला चौधरी ने 2010 में रेलवे  के ग्र्रुप डी में जॉब के लिए अप्लाई किया था। अपने रिजल्ट के लिए उसने आरटीआई भी लगाई थी। सुनीला का कहना है कि आरटीआई से मिली डिटेल में उसका रिजल्ट फाइनल हो गया था और लगभग 127 एप्लीकेंट्स को जॉब मिलने वाली थी।

फॉर्म में भरा था मोबाइल नंबर

सुनीला ने बताया कि पिछले फ्राइडे की रात 9.30 बजे उसके मोबाइल पर 07525940653 नंबर से कॉल आई। कॉल करने वाले ने रेलवे में जॉब दिलवाने के बदले 60 हजार रुपए की डिमांड की। पहले सुनीला ने इसे सच मान लिया लेकिन पूरी तरह जानकारी करने के बाद उसे पूरा मामला ठगी का लगा। जिसके बाद उसने ठगी करने वाले को पकडऩे का प्लान बनाया। ठग से वह लगातार संपर्क में रही और फोन पर बात करती रही।

जाल बिछा कर पकड़ा युवक को

वेंस्डे को ठग ने सुनीता को पैसों के साथ मिलने के लिए कहा। सुनीला ने भी अपने भाई योगेश के साथ ठग को पकडऩे का प्लान बनाया और मार्निंग में सिटी पहुंच गई। स्टेशन के पास पहुंच कर उसने ठग को कॉल किया और मिलने की जगह पूछी। ठग ने यूनिवर्सिटी के पास मिलने के लिए बुलाया। वह अपने भाई के साथ यूनिवर्सिटी के एडी बिल्डिंग के पास पहुंच गई। बाइक से दो युवक हेलमेट लगाकर सुनीला के पास पहुंचे। सुनीला ने अपने भाई और एक अन्य युवक की मदद से दोनों युवकों को पकड़ लिया, लेकिन एक युवक हाथापाई कर बाइक समेत भाग निकला।

बचने के लिए तोड़ दिया सिम कार्ड

पकड़े जाने पर पहले युवकों ने जॉब दिलाने का हवाला दिया पर दाल नहीं गलने पर सुनीला और उसके भाई को अरदब में लेने की कोशिश की। मामला उलझता देख कॉल करने वाले युवक ने अपने मोबाइल फोन से सिमकार्ड निकाला और उसे तोड़ कर मुंह में रखकर चबा लिया, ताकि वह पूरी तरह से नष्ट हो जाए। आस-पास मौजूद लोगों ने इसकी जानकारी कैंट पुलिस को दी। कैंट इंस्पेक्टर भावनाथ चौधरी मौके पर पहुंच गए और पकड़े गए युवक को थाने ले गए। थाने में युवक ने अपना नाम सहजनवां निवासी प्रवेश पांडेय बताया। प्रवेश ने बताया कि वह बस्ती में रहकर पढ़ाई करता है।

ऐस फंसाया ठग को जाल में

ठग को पकडऩे के लिए युवती ने किस तरह से जाल बुना, वह उसने आई नेक्स्ट रिपोर्टर से शेयर किया। पेश है ठग और युवती के बीच हुई टेलीफोनिक बातचीत युवती की जुबानी।

सुनीला - हैलो, कौन बोल रहा है?

ठग- क्या आपने रेलवे ग्रुप डी का एग्जाम दिया था?

सुनीला- हां, मैंने 2010 बैच में अप्लाई किया था।

ठग- आपने क्या-क्या क्वालीफाई किया था?

सुनीला- मैंने रिटेन, फिजिकल और मेडिकल क्वालीफाई किया था।

ठग- तो फिर आपकी ज्वाइनिंग क्यों नहीं हुई?

सुनीला- क्योंकि हमारे रिजल्ट जांच के घेरे में हैं।

ठग- क्या आप जॉब पाना चाहती हैं?

सुनीला- क्यों नहीं?

ठग- लेकिन इसके लिए आपको कुछ पैसे खर्च करने पड़ेंगे।

सुनीला- कितने पैसे देने होंगे?

ठग - अगर आप 60 हजार रुपए दें तो जॉब मिल सकती है।

सुनीला- श्योर, पैसे देने से जॉब मिल जाएगी?

ठग- बिल्कुल, सरकारी जॉब के लिए इतने पैसे तो देने होंगे।

सुनीला- ठीक है, लेकिन क्या ज्वाइनिंग के बाद पैसे नहीं ले सकते?

ठग - तो ठीक है, अगर पैसे बाद में देने हैं तो आप पहले अपने ओरिजनल मार्कशीट जमा कर दें।

सुनीला- ओरिजनल मार्कशीट क्यों जमा करनी होगी?

ठग - ताकि आप बाद में पैसे देने से मुकर न जाएं।

सुनीला - ठीक है, मैं पैसा देने के लिए तैयार हूं लेकिन आप कहां मिलेंगे?

ठग- क्या आप गोरखपुर आ सकती हैं?

सुनीला- कहां आना होगा?

ठग - आप पैसा लेकर गोरखपुर आकर इसी नंबर पर कॉल करिए।

इसके बाद वेंस्डे को सुनीला अपने भाई के साथ सिटी पहुंची और दोपहर 11.30 बजे ठग को कॉल किया।

सुनीला- मैं सिटी आ गई हूं आप कहां मिलेंगे।

ठग - यूनिवर्सिटी के बाहर इंतजार करें।

सुनीला - मैं आपको कैसे पहचानूंगी?

ठग - मैं खुद आपसे आकर मिल लूंगा।

आरआरसी से कैसे निकली डिटेल?

सुनीला के प्रकरण से ठगी का ऐसा मामला प्रकाश में आया जिससे डिपार्टमेंट की गोपनीयता पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं? सुनीला का फॉर्म आरआरसी में जमा है और फॉर्म में ही उसकी सारी डिटेल और नंबर है। ठगी करने वाले को कैसे उसकी डिटेल और मोबाइल नंबर मिला, जिसके आधार पर वह ठगी का जाल बुन रहा था? कहीं ऐसा तो नहीं कि डिपार्टमेंट से ही डिटेल लीक हुई और फिर ठगों ने सैकड़ों एप्लीकेंट्स को ठगने का प्लान बनाया। फिलहाल पकड़े गए युवक से पुलिस पूछताछ कर रही है।

केस 1

बिछिया रेलवे कॉलोनी के मकान नंबर 555-के में रहने वाले राम ध्यान साव ने रेलवे में नौैकरी दिलाने के लिए अपने गांव के पांच लोगों से 5,75,000 रुपए लिए। उसके बाद उन्होंने जंक्शन स्थित डीजल लॉबी में काम करने वाले नूर आलम को ग्रुप डी में नौकरी दिलाने के लिए यह रकम दिए। रकम देने के बाद भी इन बेरोजगारों को नौकरी नहीं मिली। राम साव ने बताया कि नूर आलम को दिए गए रकम की अभी तक वापसी नहीं हुई है। रुपए की वापसी के लिए पुलिस के पास भी शिकायत की है।

केस 2

रेलवे में नौकरी दिलाने के नाम पर चौरीचौरा की रहने वाली दो लड़कियों से एक टीटीई ने दो हजार रुपए ठग लिए। दोनों लड़कियों ने इसकी शिकायत जीआरपी और आरपीएफ से भी की थी। शिकायत में इन लड़कियों ने बताया कि स्टेशन पर उनको एक लड़की मिली जिसने रेलवे में नौकरी दिलाने की बात कही। इसके बाद उसने उन्हें एक टीटीई से मिलवाया। टीटीई ने नौकरी दिलाने का भरोसा देकर हमसे रुपए ठग लिए। पिछले कई दिनों से रुपए वापस पाने के लिए चक्कर लगा रही लेकिन रुपए नहीं मिले।

सीधे करें विजिलेंस को कंप्लेंट

चूंकि एनई रेलवे हेड क्वार्टर है इसलिए यहां ठगी के मामले भी बराबर आते रहते हैं। ऐसे में रेलवे प्रशासन की तरफ से बेरोजगार युवक व युवतियों को बराबर एलर्ट किया जाता रहा है कि वह दलालों के चक्कर में ना पड़ें। अगर कोई व्यक्ति रेलवे में नौकरी दिलाने का दावा करता है तो वह सीधे रेलवे के सतर्कता विभाग या फिर रेलवे विजिलेंस हेल्प लाइन नंबर 0551-155210 पर शिकायत करें। शिकायतकर्ता की पहचान गुप्त रखी जाएगी।  

रेलवे में नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी करने वाले गैंग से सावधान रहने के लिए रेलवे पब्लिक को हमेशा जागरूक करती रहती है। रेलवे द्वारा कराए गए एग्जाम पास करने वाले कैंडिडेट्स की ही ज्वाइनिंग कराई जाती है।  

आलोक कुमार सिंह, सीपीआरओ, एनई रेलवे

ठगी के मामले में एक युवक को यूनिवर्सिटी के एडी बिल्डिंग के पास से पकड़ा गया। पीडि़त की तरफ से अभी तक तहरीर नहीं दी गई। पकड़े गए युवक की जांच पड़ताल की जा रही है।

भावनाथ चौधरी, कैंट प्रभारी