- एनईआर के डिप्टी सीसीएम-पीओ ने खुद को गोलियों से उड़ाया

- कौआबाग रेलवे कॉलोनी स्थित बंगले में हुई घटना से हड़कंप

GORAKHPUR: शाहपुर एरिया के कौआबाग रेलवे कॉलोनी, 29 बी में रहने वाले डिप्टी सीसीएम, प्रेजेंटिंग अफसर रेल दावा अधिकरण तरुण शुक्ल (56) ने खुद को गोली मार ली। मंगलवार शाम छह बजे सरकारी बंगले के ड्राइंग रूम में सोफे पर उनकी डेड बॉडी मिली। लाइसेंसी रिवॉल्वर पेट पर पड़ा हुआ था। पुलिस की छानबीन में कमरे में रखा अंग्रेजी में लिखा दो पन्ने का सुसाइड नोट बरामद हुआ। सुसाइड नोट में तरुण ने निहायत ही निजी कारणों से जीवन समाप्त करने की बात लिखी थी। पत्र में कहा गया था कि पुलिस किसी को तंग न करे। जीवन में साथ देने वाले हर व्यक्ति को तरुण ने थैंक्स कहा। शाहपुर पुलिस घटना की छानबीन में जुटी है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि परिवार के अन्य सदस्यों के पहुंचने पर सिलसिलेवार बातचीत की जाएगी। इसके बाद सुसाइड की कोई वजह सामने आ सकेगी।

चार दिन पहले दिल्ली गई थी पत्नी

एनईआर के हेडक्वार्टर में 15 साल से तैनात तरुण शुक्ल मूल रूप से बरेली के सुरेश शर्मा नगर निवासी थे। उनकी दो बेटियां और एक बेटा है। बड़ी बेटी तनुषा दिल्ली में रहकर ब्रिटिश एयरवेज में काम करती है। केपीएमजी कंपनी नोएडा में कार्यरत बेटा वहीं रहता है। जबकि बीए सेकेंड ईयर में पढ़ने वाली छोटी बेटी तान्वी शुक्ल माता-पिता संग गोरखपुर में रहती थी। चार दिन पहले तरुण की पत्नी ऊषा शुक्ला बेटे के पास नोएडा चली गई थीं। सरकारी बंगले में तरुण और उनकी बेटी तान्वी ही थे। आवास के आउट हाउस में उनका नौकर परिवार संग रहता था। मंगलवार सुबह करीब 11 बजे के बाद ड्राइंग रूम में तरुण अकेले थे। इसलिए उन्होंने दोनों दरवाजे भीतर से बंद कर रखे थे। दोपहर में भोजन कर बेटी अपने कमरे में सोने चली गई जो कि ड्राइंग रूम से काफी दूरी पर है।

बेटी की नींद खुली तो खो चुकी थी पिता

डिप्टी सीसीएम अक्सर पांच से छह घंटे तक कमरे में अकेले रहते थे। मंगलवार शाम छह बजे जब बेटी की नींद खुली तो पिता के पास ड्राइंग रूम में गई। लेकिन भीतर से दरवाजा बंद होने पर वह दाखिल नहीं हो सकी। इसलिए उसने कई बार दरवाजा नॉक किया। भीतर से कोई आवाज न आने पर वह परेशान हो गई। किसी अनहोनी की आशंका में बेटी ने लोहे की जाली और शीशा तोड़कर कुंडी खोली। भीतर जाने पर उसे पिता की डेड बॉडी सोफे पर नजर आई। सीने में गोली लगने से उनकी जान चली गई थी। मुंह से खून रिसकर बहा हुआ था। बेटी के शोर मचाने पर आउट हाउस में रहने वाला नौकर और उसकी पत्नी ड्राइंग रूम में पहुंचे। नौकर ने रेलवे के अधिकारियों और पुलिस को घटना की सूचना दी। रेलवे अधिकारी के सुसाइड करने की सूचना पर पुलिस अधिकारी पहुंचे। रेलवे के डॉक्टर दीपांकर चौरसिया ने मौत की पुष्टि की। पिता की मौत से बदहवास बेटी कुछ भी बता पाने में असमर्थ थी। थोड़ी ही देर में तरुण के बंगले पर रेलवे के सीनियर ऑफिसर्स का जमावड़ा लग गया।

'ऐसा जिंदादिल शख्स नहीं कर सकता सुसाइड'

ड्राइंग रूम में सोफे पर पड़ी डेड बॉडी देखकर भी लोग तरुण शुक्ल के सुसाइड करने पर यकीन नहीं कर पा रहे थे। उनके सुसाइड करने की बात फैली तो रेलवे में हड़कंप मच गया। एक जिंदादिल इंसान के रूप में लोगों के बीच गहरी छाप छोड़ने वाले तरुण के खुद को गोली मारने को लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जाने लगे। दिनभर हंसने-मुस्कुराने वाले रेलवे अफसर की हरकत लोगों को हैरत में डाल रही थी। बंगले पर पहुंचे सीनियर ऑफिसर्स यही कह रहे थे कि वह तरुण है, ऐसे कैसे वह सुसाइड कर सकता है। वह सबके चेहरों पर मुस्कान ले आता था। घटनास्थल पर पुलिस को मिले सुसाइड नोट में साफ लिखा था कि वह अपने निजी कारणों से यह कदम उठा रहे हैं। इसके लिए किसी अन्य को परेशान न किया जाए। उन्होंने अपने अधिकारियों, कर्मचारियों, परिवार के सदस्यों, रिश्तेदारों और सहयोगियों सहित अन्य सभी को थैंक्स कहा था। कमरे की परिस्थितियां बता रही थीं कि तरुण किसी ऐसे तनाव में थे जो किसी से शेयर नहीं करना चाहते थे। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि पत्नी और बच्चों से बात करने पर कोई वजह सामने आ सकेगी। हालांकि पिता की मौत के सदमे में डूबी बेटी इस हाल में नहीं थी कि वह कुछ बता सके। पुलिस की जांच में सामने आया कि तरुण अक्सर पांच-छह घंटे अकेले कमरे में रहते थे। उनके एकांत में रहने पर कोई डिस्टर्ब नहीं करता था।

वर्जन

घटना की जांच पड़ताल की जा रही है। कमरे में एक सुसाइड नोट मिला है। डेड बॉडी के पेट पर रिवॉल्वर पड़ा हुआ था। फॉरेंसिक जांच के लिए नमूना कलेक्ट किया जाएगा। परिवार के सभी सदस्यों को घटना की सूचना दे दी गई है।

- प्रवीण कुमार सिंह, सीओ क्राइम