BAREILLY:

रेलवे क्वार्टर को किराए पर उठाने के ये दो मामले तो मात्र एग्जाम्पल हैं। बरेली में रेलवे के तमाम अधिकारी और कर्मचारी सरकारी आवास को किराए पर उठाकर कमाई कर रहे हैं। जबकि, खुद अपने निजी मकान में रहते हैं। किराये का एक मामला फ्राइडे को जंक्शन चौकी पर भी पहुंचा, जिसके बाद दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने सच्चाई का पता लगाने के लिए रेलवे क्वॉर्टर का रियलिटी चेक किया। पता चला कि ज्यादातर ने रेलवे की आंखों में धूल झोंक अपने मकान को किराये पर ही दे रखा है और खुद बाहर किसी और मकान में रह रहे हैं।

 

केस वन -

नॉर्थ कॉलोनी में ओएसआई व एनआरएमयू के शाखा सचिव के पंकज सक्सेना के नाम पर मकान अलॉट है, लेकिन इन्होंने मकान को गोविंद सिंह चौहान नाम के व्यक्ति को किराया पर दे रखा है, जो रेलवे से रिटायर हो चुके हैं। वहीं पंकज सक्सेना किराए पर मकान देने के बाद खुद सुभाषनगर में रहते हैं।

 

केस - टू

वहीं दूसरी ओर नॉर्थ कॉलोनी में क्वॉर्टर नम्बर 6 भी में किराए पर कुछ लोग रहते हैं। यह क्वॉर्टर हरि शंकर नाम के कर्मचारी को रेलवे से अलॉट है। जिसे हरि शंकर ने गिरिजा शंकर को किराए पर उठा दिया है। जिसमें गिरिजा शंकर अपने परिवार के साथ रहते हैं।

5 से 6 हजार महीने किराया

रेलवे के कर्मचारी किराएदारों से मोटा किराया ले रहे हैं। चौबीस घंटे बिजली, पानी की सर्विस के नाम पर 5 से 7 हजार महीने किराया वसूल रहे हैं। खुद बाहर मकान ले कर रह रहे हैं। जबकि, जिनके नाम से मकान अलॉट किया गया हैं सिर्फ वह ही वहां रह सकता है। किराये पर मकान उठाये जाने से रेलवे की सुरक्षा और संरक्षा पर भी सवाल उठने लगे हैं। क्योंकि, किराये पर मकान देने से पहले कर्मचारी अगले का कोई डॉक्यूमेंट या आईडी चेक नहीं करते हैं।

 

चौकी तक पहुंची शिकायत

प्राइवेट काम करने वाले धीरज यादव को रेलवे के कर्मचारी सत्यनारायण ने खुद का अलॉट मकान 5 हजार रुपए महीने के हिसाब से किराये पर उठाया था। इसी बीच धीरज ने सुभाषनगर में दूसरा मकान किराये पर ले लिया। धीरज को समय नहीं मिलने के कारण करीब दो लाख रुपए का सामान नॉर्थ कॉलोनी के क्वॉर्टर नम्बर एल/ 24 ए में ही पड़ा रहा। इसी बीच सत्यनारायण ने यूनियन नेता के बल पर ताला तोड़ सामान इधर-उधर कर दिया। जिसके बाद धीरज ने मामले की शिकायत जंक्शन चौकी पर कर दी। चौकी में शिकायत की जानकारी जब सत्यनारायण और यूनियन के नेताओं तक पहुंची तो वह दर्जनों की संख्या में चौकी पर पहुंच गये, हालांकि बाद में सामान लौटाने की बात मानते हुए सत्यनारायण और यूनियन नेताओं ने समझौता कर लिया।

 

किराया पर मकान नहीं उठाया गया है, जो मकान खाली होता है, लोग उसमें जबरदस्ती घुस कर रहने लग जाते हैं। मंडे से सबको बाहर निकालने का काम होगा।

चेतन स्वरुप शर्मा, एसएस, जंक्शन