- कैटरिंग सेवाओं में अनदेखी, रेल यात्रियों पर पड़ रही भारी

- प्लेटफार्म से लेकर ट्रेन के पैंट्रीकार में हद दर्जे की लापरवाही

GORAKHPUR: रेलवे परिसर और ट्रेंस में साफ-सफाई पर बिल्कुल ध्यान नहीं दिया जा रहा है। प्लेटफार्म पर जहां खुले में सामान बेचे जा रहे, वहीं ट्रेन में भी सफाई-व्यवस्था को लेकर कोई गंभीरता नहीं दिखाई जा रही है। एक साल पूर्व खामियों के सामने के बाद भी गड़बडि़यों को दूर करने का कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने मंगलवार को गोरखपुर जंक्शन पर खान-पान सेवाओं का जायजा लिया। इस दौरान सामने आया कि कैटरिंग में साफ-सफाई के दावे करने वाले अधिकारी आंख मूंदकर हकीकत को नजरअंदाज कर रहे हैं।

खुले में बिक रहे फूड आइटम्स

गोरखपुर जंक्शन पर आईआरसीटीसी की ओर से खान-पान सेवाएं मुहैया कराई जाती हैं। प्लेटफार्म के साथ-साथ रेल गाडि़यों में भी व्यवस्था की जिम्मेदारी आईआरसीटीसी संभाल रहा है। निगरानी के लिए कंपनी के अधिकारी की तैनाती भी की गई है। लेकिन गोरखपुर जंक्शन पर आईआरसीटीसी के फास्ट फूड यूनिट पर नियम-कानून का ख्याल नहीं रखा जा रहा है। प्लेटफार्म नंबर एक पर स्थित फास्ट फूड यूनिट पर खुले में लिट्टी रखी गई थी। खराब होने वाली अन्य खाद्य सामग्री की सुरक्षा को लेकर भी कोई सावधानी नहीं बरती जा रही है।

ट्रेन में ज्यादा खराब हालत

मंगलवार को जम्मूतवी जा रही लोहित एक्सप्रेस करीब तीन बजकर 34 मिनट पर रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर एक पर पहुंची। बिना किसी देरी के दैनिक जागरण - आई नेक्स्ट टीम ट्रेन के कैटरिंग कंपार्टमेंट में घुस गई। कैमरा देखते ही कैटरिंग स्टाफ सामान ढकने लगे। कर्मचारियों में अफरा-तफरा मच गई। कुछ सामानों को आनन-फानन में छिपा दिया गया। हालांकि ज्यादातर चीजें कैमरे में कैद हो गई। किचन की हालत देखकर ऐसा लगा कि कैटरिंग स्टाफ साफ-सफाई को लेकर गंभीर नहीं है। सब्जी बनाने वाली कड़ाही की हालत देखकर ऐसा लग रहा था कि सिर्फ एक बार धुलकर उसमें दिनभर खाना पकता रहता है। एक डोंगे में चावल भरा हुआ था जिसे कैटरिंग स्टाफ ने गत्ते के टुकड़े से ढकने का प्रयास किया। लेकिन हड़बड़ी में वह सिर्फ आधा ही ढक सका। इसके अलावा समोसा बनाने के लिए रखा हुआ आलू मसाला भी यूं ही पड़ा हुआ था। जबकि जिन डिब्बों में कैटरिंग स्टाफ कोचेज में सामान ले जाता है। वह डिब्बे टायलेट में ठूंसे नजर आए।

गल्बस और एप्रेन से नहीं कोई नाता

कैटरिंग स्टाफ के लिए एप्रेन, मास्क और गल्ब्स पहनना किसी अपराध जैसा है। किसी भी स्टाफ के हाथ में गल्ब्स नहीं नजर आए। मैले कुचैले एप्रेन पहनकर कर्मचारी खाना बनाते और परोसते हैं। रेलवे अधिकारियों का कहना है कि यह व्यवस्था पूरी तरह से आईआरसीटीसी के हाथों में है। इसलिए इन सभी लापरवाहियों पर वही कार्रवाई कर सकते हैं।

ये होती शिकायतें

- खान-पान सेवाओं में अधिक दाम वसूलना।

- निर्धारित मात्रा से कम भोजन परोसने का मामला।

- स्टेशन और ट्रेंस में खराब क्वालिटी के खाद्य सामान बेचना।

- सामान के संबंध में कोई मीनू कार्ड, रेट कार्ड न दिखाना।

- ट्रेन, स्टेशन पर बेचे गए सामान का बिल नहीं दिया जाता है।

यह है नियम

निर्धारित रेट पर ही कोई सामान बेचा जाएगा।

प्रत्येक सामान का रेट रेल प्रशासन निर्धारित करता है।

यात्रियों से किसी तरह का अतिरिक्त प्रभार नहीं लिया जाएगा।

साफ-सफाई और क्वालिटी का पूरा ध्यान रखा जाएगा।

कैटरिंग स्टाफ द्वारा दस्ताने, कैप पहनकर भोजन पकाने और परोसने का नियम है।

कोट्स

हमने चाय पी थी। चाय का पैसा हमसे 10 रुपया मांगा जा रहा था। आपत्ति करने पर सात रुपए लिया गया। खाना मंगाया तो उसका सौ रुपया लिया गया। दो दिन की यात्रा में सामान लेने की मजबूरी है।

- रफीकुल इस्लाम, पैसेंजर

पैंट्रीकार से कोई सामान नहीं खरीदा है। पता नहीं क्या बना रहे हैं। किस तरह से बना रहे हैं। ओवरचार्जिग भी की जाती है। इसलिए इनसे कोई चीज लेने में डर लगता है।

- लजरुस, पैसेंजर

खाने की क्वालिटी तो आप ही लोग देखिए। रुपया पूरा लिया जाएगा लेकिन खाने की क्वालिटी पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता है।

- राकेश कुमार सिंह, पैसेंजर

दाल और सब्जी की हालत देखकर खाने का मन नहीं करता है। लेकिन हर यात्री मजबूरी में खाने-पीने का सामान खरीदता है। इन पर कोई अंकुश नहीं लग पा रहा है।

- विनय कुमार सिंह, पैसेंजर

वर्जन

रेलवे के खान-पान सेवाओं में किसी तरह की गड़बड़ी पाए जाने पर कार्रवाई की जाती है। इसकी शिकायत स्टेशन मास्टर के पास मौजूद कंप्लेन बुक में की जा सकती है। इसके अलावा आईआरसीटीसी की हेल्प लाइन नंबर पर सूचना दी जा सकती है।

- संजय यादव, सीपीआरओ