आगरा। अब कुछ ही दिनों में ट्रेन के डीजल इंजनों के अन्दर ऑक्जिलरी इंजन लगाए जाएंगे। ऑक्जिलरी इंजन सिस्टम लगने से इंजन बंद रहने पर भी उसके ब्रेक व वैक्यूम सिस्टम काम करते रहेंगे। इससे रोजना लाखों रुपये का डीजल बचेगा। इसके लिए रिसर्च डिजाइन एंड स्टैन्डर्ड ऑर्गेनाइजेशन इस प्रणाली के अनुसंधान में लगा हुआ है। शुरुआत में इस प्रणाली का 10 इंजनों में ट्रायल किया जाएगा।

रोजाना खर्च होता है लाखों रुपये का डीजल

रेलवे में इंजन स्टार्ट रहने से रोजाना करोड़ों रुपये का डीजल खर्च होता है। ट्रेन के डीजल इंजन गाड़ी में न लगने के बावजूद ट्रैक पर खड़े घंटों स्टार्ट रहते हैं। इससे डीजल बर्बाद होता है। वहीं धुआं होने से पर्यावरण भी दूषित होता है।

आगरा मंडल में हैं 10 डीजल इंजन

आगरा मंडल में तकरीबन 10 डीजल इंजन संचालित होते हैं। एक इंजन एक घंटा में 20 लीटर डीजल बर्बाद कर देता है। रेलवे सूत्रों के अनुसार मथुरा-अलवर रूट पर तीन, बांदीकुई-टूंडला रूट पर पांच डीजल इंजन, आगरा रूट पर दो, इसके अलावा दो इंजन शंटिंग के लिए हैं। इनमें रोजाना हजारों रुपये का डीजल बर्बाद हो जाता है।

आरडीएसओ की टीम जुटी ट्रायल में

आरडीएसओ (रिसर्च डिजायन एंड स्टैंडर्ड ऑर्गेनाइजेशन) की टीम इंजनों में डीजल की खपत कम करके फ्यूल एवरेज बढ़ाने में जुटी है। शुरुआत में टीम 10 इंजनों का परीक्षण किया जा रहा है। कॉमन रेल डायरेक्ट इंजेक्शन प्रणाली से बड़े पैमाने पर डीजल की बचत की जा सकेगी।