-मंडुवाडीह गेट नंबर थ्री ए बंद होने से नाराज पब्लिक ने रेलवे क्रॉसिंग पर चार घंटे किया चक्काजाम

-रोकी ट्रेन, घंटे भर खड़ी रही इंटरसिटी व विभूति एक्सप्रेस

-रेल अधिकारियों के खिलाफ की नारेबाजी, चार घंटे बाद खुला गेट तो मानी पब्लिक

पीएम नरेंद्र मोदी के हाथों लोकार्पित मंडुवाडीह आरओबी के चालू होने के बाद मंगलवार को मंडुवाडीह रेलवे गेट थ्री ए क्रॉसिंग बंद किए जाने से खफा पब्लिक ने जमकर बवाल काटा। अलसुबह आंदोलन के दौरान गुजर रही इंटरसिटी व विभूति एक्सप्रेस भी गुस्से की भेंट चढ़ गई। नाराज नागरिकों ने रेलवे ट्रैक के बीचों बीच बैठकर दोनों ट्रेन को रोक दिया। चिलचिलाती धूप में घंटे भर से अधिक खड़ी रही ट्रेन में यात्री भी परेशान हो उठे। स्टेशन पहुंचने वाले अधिकतर यात्री फाटक पर ही उतर-उतर कर अपने गंतव्य को रवाना होने लगे। इस बीच दोनों ट्रेन्स के खड़ी होने की इंफॉरमेशन मिलते ही रेल अफसरों के हाथ-पांव फूलने लगे। भारी संख्या में पहुंची फोर्स ने नागरिकों को समझाने का काफी प्रयास किया। अंतत: चार घंटे बाद गेट खुलने पर ही नागरिक माने।

मंडुवाडीह आरओबी के चालू होने के बाद रेल प्रशासन ने सोमवार की डेढ़ बजे रात में ही गेट थ्री ए को बंद करा दिया। स्टेशन मास्टर विवेक सिंह के आदेश पर रेलवे गेट पर खोदाई शुरू हो गई। सुबह जब आसपास के लोगों ने देखा कि गेट बंद कर दिया गया तो आक्रोशित हो उठे। धीरे-धीरे अन्य दुकानदार भी लामबंद हो उठे और गेट पर धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया। रेल प्रशासन के निर्देश पर बंद गेट को खुलवाने की मांग को लेकर नागरिकों ने रेल ट्रैक जाम कर दिया। रेलवे ट्रैक के बीचों बीच बैठी महिलाएं और पुरुषों ने लोहे का गाटर लगाकर भटनी पैसेंजर को रोक दिया। ट्रेन खड़ी होने की जानकारी मिलते ही डीआरएम राजीव झा, आरपीएफ कमांडेंट जितेंद्र श्रीवास्तव, मंडुवाडीह व सिगरा पुलिस सहित भारी संख्या में फोर्स पहुंच गई। नागरिकों का मान-मन्नौवल काफी देर तक चला। रेल अधिकारियों द्वारा गेट खोल दिये जाने का आश्वासन मिलने के बाद आक्रोशित पब्लिक रेल ट्रैक से हटीे। मगर, भटनी पैसेंजर्स के रवाना होने के बाद भी गेट खुलता नहीं देख पब्लिक फिर आग बबूला हो उठी।

फिर बंद किया गेट

रेल अधिकारियों के आश्वासन के बावजूद गेट नहीं खुलने पर भड़की पब्लिक एक बार फिर रेलवे ट्रैक पर बैठ गई। तभी उधर से गुजर रही विभूति एक्सप्रेस को पब्लिक ने रोक दिया। रेल अधिकारियों के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी शुरू हो गई। तभी कुछ युवा मौका पाकर विभूति एक्सप्रेस के इंजन पर चढ़ गए। जमकर हंगामा हुआ लेकिन रेल प्रशासन मूक दर्शक की भूमिका में रहा। आरपीएफ सहित अन्य अधिकारियों ने काफी समझाया मगर, आक्रोशित नागरिक मानने को तैयार नहीं हुए। अंतत: चार घंटे बाद गेट खुलने के बाद ही दोपहर 12 बजे माने।

सभी के तर्क अलग-अलग

आंदोलनरत नागरिकों का कहना था कि गेट बंद करने का फैसला गलत था। यदि रेल प्रशासन को गेट बंद करना है तो पहले ककरमत्ता व लहरतारा गेट बंद करे। वहीं रेल अधिकारियों का तर्क रहा कि आरओबी चालू होने के बाद थ्री ए गेट खुला रखने का कोई औचित्य ही नहीं है। इसे बरकरार रखने के लिए रेलवे को फिजूल खर्च वहन करना पड़ेगा।