GORAKHPUR : हे भगवान! ये क्या कर डाला। घर पर रखा सारा पैसा खर्च कर कड़ी मेहनत से गेहूं की फसल लगाई थी। फसल भी अच्छी हुई। हर बार की तरह सरकार ने भी धोखा नहीं दिया, मगर भगवान, तुमने ये क्या कर डाला। ये बात गोरखपुर के हर किसान की जुबां पर है। पांच साल बाद मार्च के आखिरी क्भ् दिन में हुई तेज हवा के साथ बारिश और ओलावृष्टि ने किसानों को बर्बाद कर दिया। खेतों में लहलहा रही गेहूं की फसल लगभग पूरी तरह बर्बाद हो चुकी है तो रिकार्ड तोड़ने को बेकरार आम के बौर भी खत्म हो चुके हैं। ख्009 के बाद पहली बार इस साल हो रही लगातार बारिश से फसल को काफी नुकसान हुआ है। ख्009 में फ्0 मार्च को क्.क् मिमी की मामूली बारिश हुई थी। मंडे को क्8 मिमी हुई बारिश ने किसान को पूरी तरह खत्म कर दिया है। हुदहुद ने धान को बर्बाद किया था तो अब रुक-रुक कर हो रही बारिश ने गेहूं को उजाड़ दिया है। गोरखपुर के ग्रामीण एरिया पिपराइच, चौरीचौरा, गोला में ओला गिरने से फसल को काफी नुकसान हुआ है। इस बारिश से रबी की सभी फसलों को नुकसान पहुंचा है। मतलब गेहूं, चना, मटर, सरसों, आलू समेत लगभग सभी फसलों को नुकसान पहुंचा है। जिन किसानों ने छोटी वैरायटी के गेहूं या फसल की लेट बुआई की होगी, उनका नुकसान कम हुआ होगा। अगर एक बार फसल गिर गई तो नुकसान तय है। गोरखपुर में ब्0 परसेंट फसल का नुकसान हुआ है।

सो गए गेहूं

रबी की फसल मतलब गेहूं मार्च के लास्ट में पक कर तैयार हो जाता है। फ्भ् डिग्री सेल्सियस से पारा चढ़ने के साथ तेज पछुआ हवा चलते ही किसान गेहूं की कटाई शुरू कर देते हैं। मगर इस साल लगातार बारिश के कारण मौसम में काफी नमी थी। इससे अधिकांश किसान कटाई का इंतजार कर रहे थे। इसी बीच आई बारिश के साथ तेज हवा से अधिकांश किसानों की फसल खेतों पर लेट गई है। वहीं लगातार बारिश से खेतों में पानी भर गया है। इससे गेहूं का बचना मुश्किल है। क्योंकि फसल को खड़ा करने में आधा गेहूं नुकसान हो जाएगा। वहीं पानी में रहने से वह सड़ने लगेगा। जिन किसानों ने गेहूं की बुआई लेट की थी या उनकी छोटी वैरायटी वाला गेहूं था, उन्हें थोड़ा कम नुकसान हुआ है। गेहूं की तरह चना, मटर का भी कुछ ऐसा ही हाल है।

गिर गए आम, टूट गई लीची

मार्च के लास्ट क्भ् दिन आम और लीची, दोनों के लिए काफी महत्वपूर्ण होते हैं। इस टाइम तेज हवा या बारिश इन दोनों फलों को काफी नुकसान पहुंचाती है। पिछले कुछ दिन से रुक-रुक कर हो रही बारिश और तेज हवा का बुरा इफेक्ट आम और लीची में भी देखने को मिल रहा है। इस साल आम और लीची में बौर काफी अधिक आया था। मगर तेज हवा और बारिश के कारण अधिकांश पेड़ के बौर गिर गए हैं। जिन पेड़ों पर टिकोरा लग गए थे, उनमें नुकसान कम हुआ है। मगर जहां ओलावृष्टि हुई है, वहां आम और लीची को भारी नुकसान हुआ है।

अभी खराब रहेगा मौसम

मंडे को क्8 मिमी हुई बारिश ने न सिर्फ गेहूं, आम को काफी नुकसान पहुंचाया बल्कि मौसम का मिजाज भी अचानक चेंज कर दिया। महज ख्ब् घंटे के अंदर क्0 डिग्री सेल्सियस पारा लुढ़कने से एक बार फिर गोरखपुराइट्स को ठंड का अहसास होने लगा। संडे को जहां मैक्सिमम टेंप्रेचर फ्ब्.ख् डिग्री सेल्सियस था, वहीं मंडे को यह घट कर ख्ब् डिग्री सेल्सियस के आसपास पहुंच गया। वहीं संडे को मिनिमम टेंप्रेचर ख्क्.ब् डिग्री सेल्सियस था, जो मंडे को थोड़ा सा बढ़ कर ख्ख्.7 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया। मौसम के इस चेंज से सिर्फ फसलों को नहीं बल्कि गोरखपुराइट्स को भी नुकसान पहुंच रहा है।

सब्जियां भी हुई खराब

सब्जी वैज्ञानिक डॉ। डॉ। एसपी सिंह ने बताया कि तेज हवा और बारिश हरी सब्जियों को कोई खास नुकसान नहीं पहुंचा रही है। मगर बीच-बीच में कई एरिया में ओलावृष्टि हुई है, जिससे कई सब्जियां पूरी तरह नष्ट हो गई हैं। सबसे अधिक इफेक्ट टमाटर, लोबिया, भिंडी और प्याज पर पड़ रहा है। इससे इन सब्जियों में रोग लगने के साथ सड़ सकती हैं। पिछले साल से ही सब्जियों के दाम आलरेडी आसमान छू रहे थे। वहीं इस बार बारिश और ओलावृष्टि के कारण सब्जियों को पहले ही नुकसान हो रहा है, ऐसे में उनके रेट एक बार फिर आसमान की नई उंचाइयों को छू सकते हैं।

बिन मौसम हुई तेज हवा के साथ बारिश और ओलावृष्टि से रबी की फसलों को काफी नुकसान हुआ है। अधिकांश किसानों की गेहूं फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई है। आम का बौर भी गिर गया है। रबी की अन्य फसलों को भी काफी नुकसान हुआ है। मार्च के लास्ट क्भ् दिन फसलों के लिए काफी महत्वपूर्ण होते हैं।

डॉ। महेश्वर सिंह, डीन एग्रीकल्चर

इस टाइम हुई बारिश फसलों की सबसे बड़ी दुश्मन होती है। अधिकांश गेहूं की फसल खेतों में लेट गई है। वहीं खेतों में पानी भर गया है। इससे फसल को बचा पाना काफी मुश्किल है। गेहूं की पैदावार अगर कम होगी तो महंगाई का बढ़ना तय है। इस बारिश के पहले गेहूं की पैदावार अच्छी होने की उम्मीद थी।

मृत्युंजय कुमार सिंह, जिला कृषि अधिकारी

वेस्टर्न डिस्टर्बेस के कारण मौसम में अचानक बदलाव आ रहा है। इसके इफेक्ट से ही मंडे को जिले में बारिश हुई। दो दिन पहले भी वेस्टर्न डिस्टर्बेस के कारण बारिश हुई थी। अगले पांच दिन तक बदली की उम्मीद है। बारिश भी हो सकती है। बिन मौसम हो रही बारिश का सबसे अधिक इफेक्ट फसलों पर पड़ रहा है।

शफीक अहमद, मौसम वैज्ञानिक

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कुछ यूं बदल रहा टेंप्रेचर

डेट - मैक्सिमम - मिनिमम

ख्म् मार्च - फ्म्.7 - क्8.ख्

ख्7 मार्च - फ्ब्.भ् - ख्ख्.ख्

ख्8 मार्च - फ्फ्.ख् - क्9.म्

ख्9 मार्च - फ्ब्.ख् - ख्क्.ब्

फ्0 मार्च - ख्ब्.म् - ख्ख्.7

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टूट गया रिकार्ड (मार्च के लास्ट क्भ् दिन)

इयर - डेट - बारिश

ख्009 - फ्0 मार्च - क्.क् मिमी

ख्0क्0 - निल (बारिश नहीं हुई)

ख्0क्क् - ब् मार्च - ब्.9 मिमी

ख्0क्ख् - क्ब् मार्च - क्म्.फ् मिमी

ख्0क्फ् - निल (बारिश नहीं हुई)

ख्0क्ब् - क् मार्च - 9.9 मिमी