- जुलाई में जमकर बरसे बादल अगस्त में अब तक केवल 86 मिमी बरसात, 310 मिमी कि है जरुरत

- खेतों में पड़ने लगी दरारें, बन रहे हैं सूखे के हालात, किसान परेशान

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पूरी जुलाई खूब बरसात हुई, हर ओर पानी पानी होने के कारण लोग खुश दिखे। किसानों के चेहरे भी खिल गए, उम्मीद थी कि ऐसी ही बरसात आगे भी होती रहेगी और ये साल बहुत अच्छा जायेगा। लेकिन बादलों ने अगस्त में ऐसा मुंह मोड़ा कि अब तो किसानों से लेकर आम लोगों को रुलाई आ रही है। आगे यही हाल रहा तो सूखे जैसे हालात से इनकार नहीं किया जा सकता है।

बादल कर रहे मायूस

बरसात को लेकर मॉनसून आने से पहले ही ये आशंका जताई गई थी कि इस साल कुछ इलाकों में कम तो कुछ जगहों पर ज्यादा बारिश होगी। जून में मौसम ने साथ नहीं दिया और बादलों से महज 124 मिमी ही बारिश हुई। वहीं जुलाई में शुरुआत तो धीमी हुई लेकिन मौसम ने तेजी पकड़ ली और जुलाई खत्म होते होते 456 मिमी पानी गिरा। लेकिन अगस्त ने सबको मायूस किया है। मौसम विज्ञानी प्रो एसएन पाण्डेय ने बताया कि मॉनसून द्रोणिका पूर्वाचल से गुजर रही है। बावजूद इसके बारिश नहीं होना आश्चर्यचकित कर रहा है। मौसम अनुकूल होने के बाद भी बरसात न होने के कारण ही अगस्त में अब तक महज 86 मिमी बरसात हुई है। जिसके कारण सूखे की स्थिति बनने लगी है।

ये है बरसात का हाल

- 1010 मिमी बरसात जून से सितम्बर तक होनी चाहिए

- 666.5 मिमी बरसात जून से अब तक हुई बनारस में

- 124 मिमी पानी जून में बरसा

- 300 मिमी से ज्यादा की होती है जरुरत

- 456 मिमी बारिश जुलाई में हुई दर्ज

- 300 मिमी बरसात जुलाई में होती है जरुरी

- 86 मिमी पानी ही गिराया बादलों ने

- 310 मिमी बरसात अगस्त में जरुरी

नहीं बरसा पानी तो बढ़ जायेगी परेशानी

बारिश न होने से खरीफ की अधिकांश फसलों पर प्रभाव पड़ता दिखाई दे रहा है। कृषि से जुड़े जानकारों का मानना है कि यदि अगले हफ्ते तक अच्छी बारिश न हुई तो मक्का, बाजरा, उर्द व मूंग की फसल पर असर दिखाई देने लगेगा। खरीफ में धान, बाजरा, उर्द, मूंग, अरहर की फसलें प्रमुखता से बोई जाती है। बारिश कम होने की वजह से धान के रकबे में पहले से ही गिरावट देखी गई है। अधिकतर किसानों ने बाजरा व उर्द, मूंग की फसल की बुआई ज्यादा की जो जुलाई में अच्छी बारिश के कारण मुनाफा देने की स्थिति में दिख रही थी। लेकिन अगस्त में अब तक जरुरत से बेहद कम बारिश होने के कारण फसल पूरी तौर से चौपट होती दिखाई दे रही है।