RANCHI : वीरान में दर्द हो तो अनसुना किया जा सकता है लेकिन शहरों की हलचलों के साथ दर्द अंगड़ाई ले और हुक्मरान को अहसास न हो तो सवाल उठना भी लाजिमी हैं। सालों पहले उजड़े इस्लाम नगर के लिए आज भी बारिश अभिशाप बनी हुई है। अभी मॉनसून ने दस्तक नहीं दी है, लेकिन इन दिनों मौसम के यू टर्न से ही यहां के बाशिंदे परेशान हैं। दरअसल इस्लामनगर एक ऐसा इलाका है जहां हर साल बारिश कहर बनकर टूटती है और घरों को अपनी जद में ले लेती है। बाल्टी और मग से लोग अपने-अपने घरों से पानी निकालने को मजबूर होते हैं। लेकिन, लगातार बारिश हुई तो ठिकाना बदल दिया जाता है।

नहीं है ड्रेनेज सिस्टम

इस्लामनगर में न ड्रेनेज सिस्टम है और न ही पक्की सड़कें, न जलापूर्ति है और न ही बुनियादी सुविधाएं। यह इलाका नेताओं के लिये सिर्फ सियासी अखाड़ा है जहां लोकलुभावने वादों की बौछार कर वोट बटोरे जाते हैं। सवाल है कि इंतजाम के नाम पर कई सालों से क्यों आश्वासन की घुट्टी पिलाई जा रही है, जबकि निगम के चुनाव भी संपन्न हो चुके है।

घर में घुस जाता पानी, महामारी की आशंका

इस्लाम नगर के विस्थापितों के लिये सरकार ने आशियाने बनाने का काम शुरू कर दिया है। लेकिन वे जिस हाल में बीते आठ सालों से रह रहे हैं, उसे देखते हुए सरकार की नीतियों और निगम की व्यवस्था की संवदेनशीलता पर सवाल खड़े करते हैं। बारिश में हालात खराब हो सकते हैं, बारिश का पानी घरों में घुस सकता है। ऐसे में यहां का हर शख्स यही कह रहा है कि हुजूर कुछ कीजिये, नहीं तो जमा पानी से मच्छर पैदा होंगे और बीमारियां फैलेंगी।