कहा तो ये भी जाता है कि अगला वल्र्ड वार पानी को लेकर ही होगा, लेकिन इसका सॉल्यूशन क्या है? हर साल बारिश के रूप में नेचर हमें इतना पानी देती है कि इसका सही मैनेजमेंट करें तो कोई प्रॉब्लम ही न हो।

जरूरी है रेन वॉटर हारवेस्टिंग

जमीन से हम जितना पानी लेते हैं उतना पानी हम उसे लौटाते नहीं। यही वजह है कि ग्र्राउंड वाटर का लेवल गिरता जा रहा है। ऐसे में रेन वाटर हारवेस्टिंग इसका अच्छा सॉल्यूशन है। बारिश का अधिकतर पानी नालों में बहकर बर्बाद हो जाता है। इस पानी को इकट्ठा कर किसी खास माध्यम से जमीन के अंदर भेजना वाटर हार्वेस्टिंग कहलाता है। यह दो तरीके का होता है एक में पानी को टैंक में जमा कर लिया जाता है और फिर इसका यूज किया जाता है। दूसरे में ग्र्राउंड वाटर को रिचार्ज किया जाता है।

कभी थे सिटी में चौदह तालाब

नीर फाउंडेशन के रमन त्यागी बताते हैं कि कभी पूरे जिले में चार हजार तालाब हुआ करते थे और मेरठ शहर में 14 तालाब थे, जिनमें से सिर्फ एक सूरज कुंड रह गया है और वो भी तालाब की शक्ल में नहीं बचा है। दस साल पहले ग्राउंड वॉटर लेवल 30 फीट था और आज ये 50 फीट तक पहुंच गया है। बीते दस सालों में पानी का लेवल 20 फीट नीचे गिर गया है। हमारे शहर में इस समय 60 हजार से ज्यादा ट्यूबवेल और करीब इतने ही समर सेबल हैं।

हमें जरूरत है पानी की

डब्लूएचओ के अनुसार एक पांच सदस्यी परिवार को एक दिन में 200 लीटर पानी की जरूरत होती है। अगर 600 एमएम एवरेज बारिश होती है और 100 स्क्वायर मीटर टैरेस एरिया में वॉटर हारवेस्टिंग प्लांट है तो 60000 लीटर पानी को इकट्ठा किया जा सकता है। पांच सदस्यों के एक परिवार में प्रति व्यक्ति पांच लीटर पीने का पानी यूज किया जाता है तो भी एक साल में 9125 लीटर पीने के पानी की जरूरत होती है। इस तरह हम अपनी जरूरत से ज्यादा पानी इस जरिए जमा कर सकते हैं।

क्या कहते हैं नियम

रेन वाटर हार्वेस्टिंग के लिए यूपी गवर्नमेंट ने भी कुछ गाइड लाइन बना रखें हैं, जो इस प्रकार हैं-

-20 एकड़ और इससे अधिक एरिया की विभिन्न योजनाओं के ले-आउट प्लांस में पार्क और खुले क्षेत्रों के साथ कुल योजना क्षेत्र के लगभग 5 परसेंट भूमि पर तालाब आदि बनाए जाएं, जिससे ग्राउंड वॉटर रिचार्ज हो सके। इन तालाबों का न्यूनतम क्षेत्रफल एक एकड़ होगा और उसकी गहराई 6 मीटर होगी।

-बीस एकड़ से कम क्षेत्रफल की योजनाओं में तालाब, जलाशय और पार्क में निर्धारित मानकों के अनुसार एक कोने में रिचार्ज-वेल या रिचार्ज टैंक बनाए जाएं।

-ऐसी योजनाएं बनाने से पहले पूरे क्षेत्र का जीओलॉजिकल, हाइड्रोलॉजिकल सर्वेक्षण कराया जाए ताकि वॉटर रिचार्जिंग के लिए उपयुक्त पद्धति को अपनाया जा सके।

-1000 वर्ग मीटर और इससे अधिक एरिया के समस्त उपयोगों के भूखंडों तथा सभी ग्रुप हाउसिंग परियोजनाओं में छतों एवं खुले स्थानों से प्राप्त होने वाले बरसाती जल को प्रिकॉशनली पिट्स के माध्यम से ग्राउंड वॉटर चार्जिंग के लिए अनिवार्य किया जाए।

-भविष्य में निर्माण होने वाले सभी सरकारी बिल्डिंग्स में छतों और खुले स्थानों से प्राप्त होने वाले बरसाती जल का ग्राउंड वॉटर चार्जिंग के लिए आवश्यक व्यवस्था सुनिश्चित की जानी चाहिए।

-पहले निर्मित शासकीय भवनों में रेन वॉटर हारवेस्टिंग व रिचार्ज प्रणाली को अपनाया जाए।

-यदि 100 वर्ग मीटर का मकान है तो उसमें वॉटर हारवेस्टिंग सिस्टम होना चाहिए.   

"अगर सिटी में एक लाख परिवार भी रेन वॉटर सेव करते हैं तो एक साल में दस अरब लीटर पानी को बचाया जा सकता है। मैं पिछले दस सालों से इस विषय पर काम कर रहा हूं। मुझे लगता है कि लोग अभी उस हद तक अवेयर नहीं हुए हैं, जितना होना चाहिए। एमडीए, आवास विकास और नगर निगम तीनों अगर मिलकर इस मुद्दे पर काम करें तो सूरत बहुत बदल सकती है। जो लोग अपने घर में इस प्लांट को लगाना चाहते हैं तो उनके लिए हम तैयार हैं। हम उन्हें फ्री में नक्शा बनाकर देंगे और इस सिस्टम को सही तरह से लगवाने में भी पूरी मदद करेंगे." -रमन त्यागी, नीर फाउंडेशन