नियम होने के बावजूद नहीं किया जाता पालन

VARANASI : बनारस की ज्यादातर इमारतें रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम से अब भी दूर हैं। बड़ी इमारतों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम का होना अनिवार्य है। इसके बाद भी सिटी की इमारतें इस सिस्टम का पता ही नहीं है। हालांकि यहां बहुत से ऐसे लोग भी है जो नवनिर्मित इमारतों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाना तो चाहते है, लेकिन उन्हें इसके लगाने और इसके फायदे की जानकारी तक नहीं है। जानकारों का कहना हैं कि जिस तरह से कभी सोलर सिस्टम की जानकारी लोगों को नहीं थी, उसी तरह बहुत सारे लोग जानकारी के अभाव में इस सिस्टम से दूर है।

 

नये भवन में ये है सिस्टम

वीडीए द्वारा पास किए गए प्रत्येक नक्शे में यह शर्त होती है कि भवन में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाया जाएगा। इसके लिए आवेदक से विभाग में एक लाख रुपए की राशि जमा कराई जाती है, जो कि रिफंडेबल होती है। यह पैसा तभी वापस होता है जब भू स्वामी सभी प्रक्रिया पूरी करने के बाद एनओसी लेने आता है। इसमें बहुत से भवन स्वामी हार्वेस्टिंग सिस्टम के तैयार करा लेने के बाद एनओसी लेने पहुंचते है, जिन्हे यह वेस्ट ऑफ मनी लगता है वे इस सिस्टम को नहीं लगाते।

 

ये है वर्षा जल संग्रहण

बारिश के बाद इस पानी को उत्पादक कार्यो के लिये उपयोग करने के लिए एकत्र करने की प्रक्रिया को वर्षाजल संग्रहण कहा जाता है। सीधे तौर पर कहें तो छत पर गिर रहे वर्षाजल को सामान्य तरीके से एकत्र कर उसे शुद्ध बनाने के काम को वर्षाजल संग्रहण कहते हैं। इस जल को कहीं भी संग्रहित किया जा सकता है, लेकिन इसके लिये वे स्थल उपयुक्त होते हैं जहां पर जल का बहाव तेज होता है और वर्षा जल आसानी से बह जाता है।

 

ऐसे लगता है सिस्टम

- छत पर पानी के लिए टैंक बनाया जाता है।

- उसमें होल कर पाइप को जमीन तक लाया जाता है।

- बीच में पिट (फिल्टर) बनाई जाती है।

- पीट में जाली, गिट्टी, मौरंग, बालू भरा जाता है।

- पाइप को जमीन में बोरिंग कर डाला जाता है।

- पाइप भवन की छत से जमीन के अंदर तक होता है, जिसके जरिए छत पर बने टैंक में एकत्र बारिश के पानी को जमीन के अंदर पहुंचा दिया जाता है।

 

उपयोग

वर्षाजल शुद्ध जल होता है, जिसका उपयोग सभी कायरें के लिये किया जा सकता है।

1. बर्तनों की साफ-सफाई

2. नहाना व कपड़ा धोना

3. शौच आदि कार्य

4. सिंचाई के लिये

5. नहाने आदि के साथ खाना बनाने के लिये भी किया जा सकता है।

 

ये हैं फायदे

- रेन वाटर काम में आ जाता है।

- भूगर्भ जल स्तर संतुलित रहता है।

- पेयजल की समस्या नहीं होती।

- 10 से 50 हजार रुपये के करीब खर्च आता है रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को लगाने में।

 

 

'नई इमारतों में हार्वेस्टिंग सिस्टम डेवलप करने की अनिवार्यता पर सख्ती से काम किया जा रहा है। अंडर कंस्ट्रक्शन इमारतों पर भी फोकस है। इसके लिए जागरुकता भी फैलाई जाएगी.'

- राजेश कुमार, वीसी, वीडीए