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PATNA: पटना की 25 लाख आबादी आने वाले समय में पानी के लिए संघर्ष करती नजर आ सकती है. क्योंकि बिल्डिंग बाइलॉज में रेन वाटर हॉर्वेस्टिंग का पालन नहीं किया जा रहा है. प्रावधान के अनुसार हर प्रकार की बिल्डिंग में इसका प्रावधान करना जरूरी है ताकि भविष्य में और इमरजेंसी के दौरान पानी की समस्या न हो. लेकिन फिलहाल ऐसा होता नजर नहीं आ रहा है. नगर निगम को इस संबंध में कार्रवाई करनी चाहिए लेकिन अब तक ऐसे मामले सामने नहीं आए हैं जिसमें इस नियम के अनुपालन के लिए ठोस पहल की गई हो. यही वजह है कि रेन वाटर हार्वेस्टिंग के नियम रह गए हैं कागजी.

आसान है प्रावधान करना

क्या रेन वाटर हार्वेस्टिंग करना खर्चीला है या तकनीकी रूप से कठिन है. इस बारे में विशेषज्ञ और एनआईटी पटना के सिविल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के प्रोफेसर विवेकानंद सिंह ने बताया कि यह प्रावधान आसान है और इसमें बहुत अधिक खर्च नहीं होता है. गांव से लेकर शहर तक इसकी व्यवस्था की जा सकती है. डायरेक्ट बोरिंग की जा सकती है. इसमें छह-सात फीट की टंकी का यूज किया जा सकता है. इसी प्रकार, यदि तीन-चार मंजिल का मकान है तो उसमें रूफ टॉप के तहत रेन हार्वेस्टिंग किया जा सकता है. इसमें एक पाइप के माध्यम से वर्षा का पानी आएगा और नीचे बने टैंक में स्टोर हो जाएगा.

नियम की हो रही अनदेखी

गौरतलब है कि नए बिल्डिंग बाइलॉज में यह स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि जो भी नए भवन बनेंगे उसमें रेन वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था करना अनिवार्य है. वहीं, इसे लागू करने के दूसरे चरण में पुरानी बिल्डिंगों में भी इसकी व्यवस्था करने के लिए जोर देते हुए इसे कड़ाई से लागू करना था. लेकिन पटना नगर निगम इस मामले में असफल रहा. जानकारी हो कि प्रति 100 स्क्वायर मीटर में 60 क्यूबिक मीटर में रिचार्जिग पिट बनाया जाना चाहिए.

पुराने सरकारी भवन में नहीं है व्यवस्था

यदि रेन वाटर हार्वेस्टिंग के महत्व का आंकलन करते हुए पटना के पुराने सरकारी भवनों की ओर नजर दौडाएंगे तो इसमें रेन वाटर हार्वेस्टिंग की सुविधा नहीं है. इसमें शैक्षणिक, प्रशासनिक और विभागीय भवन आदि शामिल हैं. कई कमर्शियल भवन भी इसकी व्यवस्था से अछूते हैं. सोन भवन, कौटिल्य भवन, दरोगा राय पथ में बने सरकारी आवासीय भवन, पटना यूनिवर्सिटी, पटना कॉलेज, उद्योग भवन, राजकीय प्रशिक्षण एवं शोध संस्थान, पटना सिटी, कृषि विभाग का माप -तौल का कार्यालय, बेली रोड सहित कई भवनों में भी इसकी व्यवस्था नहीं है.