- रविवार की सुबह दिखा सूरज के चारों ओर इंद्रधनुषी घेरा

- टाक ऑफ टाउन बनी ये आसमानी घटना

- घटना को साइंटिस्ट्स और ज्योतिषियों ने बताया साधारण

VARANASI : रविवार को आसमान पर नजर उठाने पर लगभग हर शख्स चौंका। उसके मुंह से सिर्फ यही सवाल निकला 'अरे वो क्या है'! सुबह क्0 से दोपहर क्ख् तक हजारों लोगों ने सूरज के चारों ओर इंद्रधनुषी घेरा (रेनबो रिंग) देखा। हर कोई जानना चाहता था कि आखिर ये खूबसूरत चीज है क्या? इसी सवाल का जवाब देने जा रहे हैं हम

अरे वो क्या है!

शिवाजी नगर में रहने वाले सौरभ सुबह घर के बाहर खड़े थे और सड़क पर आने-जाने वाले हर शख्स को रोक कर कहते, जरा ऊपर सूरज की ओर देखिये। और जब लोग सूरज की ओर नजर उठाते थे चौंक पड़ते। लोगों ने झट से मोबाइल के जरिये अपने घर वालों, दोस्त-यारों को इस बारे में जानकारी दी। इसके बाद मानो पूरा शहर ही ये नजारा देखने के लिए घर से बाहर आ गया।

पहले ना देखा कभी ऐसा

ज्यादातर लोगों ने पहली बार ऐसा नजारा देखा था जब सूरज एक इंद्रधनुषी घेरे में नजर आया। इंद्रधनुष के घेरे से आसमान में एक खूबसूरत नजारा देखने को मिला। ज्यादातर लोगों ने पहली बार ऐसा नजारा देखा था। लोगों को जितनी हैरानी होती, उससे ज्यादा सवाल जेहन में उमड़ते। आखिर ये क्या चीज है? इसका क्या असर होगा? कुछ ऐसे ही सवालों का जवाब ढूढ़ने के लिए आई नेक्स्ट ने जब तफ्तीश की तो कई चीजें निकल कर सामने आई। आप भी जान लीजिये क्या थी ये घटना।

बड़ों ने कहा ये थी 'सूरज की कचहरी'

सूरज का इंद्रधनुषी घेरे में आना कुछ और नहीं था। बड़े-बुजुर्गो की सुने तो ये नजारा सूरज की कहचरी का था। सभी ग्रहों का राजा होने के कारण सूरज ने कचहरी लगाई। सभी ग्रहों को अपने अलग-बगल बिठाया और अपने साम्राज्य की कुशलता पर चर्चा की। बुजुर्गो की माने तो ऐसा नजारा समय समय पर देखने को मिलता है। बनारस में ऐसा नजारा अर्से बाद देखने को मिला है इसलिए कौतूहल ज्यादा हो गया।

साइंटिस्ट्स ने कहा ये था 'हालो'

साइंटिस्ट्स रविवार की घटना को बेहद सामान्य घटना मानते हैं। आइआइटी बीएचयू में सूर्य पर अध्ययन कर रहे प्रो। बीएन द्विवेदी बताते हैं कि जब वातावरण में धूल के अतिसूक्ष्म कणों की मात्रा अधिक हो जाती है, उसका संपर्क पर्याप्त नमी से हो जाता है। सूरज की किरणों के टकराने पर धूल कण के सम्पर्क में आने वाली नमी किरणों को बिखरा कर एक इंद्रधनुष का घेरा बनाती है। इसे 'हालो' कहते हैं। रविवार को बना हालो जमीन से लगभग सात किमी ऊपर बना था।

कुछ ऐसा ही खगोलशास्त्री प्रो। अनुपम सिंह ने कहा। बताया कि कभी-कभी ऐसी घटनाएं घटती हैं। इंद्रधनुष बनना कोई नई बात नहीं है। आमतौर पर बरसात में इंद्रधनुष नजर आता है। लेकिन यह अन्य मौसम में भी नजर आ सकता है। इस घटना में इंद्रधनुष का सर्किल सूरज के चारो ओर बना है। मौसम विज्ञानी प्रो। एसएन पाण्डेय के अनुसार यह एक इंद्रधनुष था। यह कोई विशेष घटना नहीं है। जब आसमान में धूल और पानी के कण साथ होते हैं तो इंद्रधनुष बनता है। ऐसा भी इस बार हुआ है।

ज्योतिषियों ने कहा 'बड़े परिवर्तन का संकेत'

बटुक भैरव मंदिर के महंत और ज्योतिषाचार्य विजय पुरी के मुताबिक, ऐसा संयोग रवि पंचमी की षष्ठी तिथि को बना है। यह तिथि बहुत शुभ है। इससे देश में बड़े बदलाव के संयोग का संकेत है। महंत विजय पुरी ने बताया कि रविवार को स्थायी जयप्रद योग बना है, जो बहुत ही शुभकारी है। इंद्रधनुष चक्त्र की तरह सूर्य को घेरे हुए था। यह देश के राजा को चक्त्र के समान सुरक्षा मिलने का प्रतीक है। चंद्रमा धनु राशि में है, जो सूर्य के लिए शुभ योग बना रहा है। इससे देश की कीर्ति बढ़ेगी। इससे देश की राजनीति में बड़े बदलाव आने के संयोग बन रहे हैं। देश की सत्ता की योग्य व्यक्ति के हाथ में होगी। ज्योतिषाचार्य विमल जैन का मानते हैं कि यह एक खगोलीय घटना है। हालांकि इसका कोई विशेष परिणाम नहीं है।

अफवाहों को भी लगे पंख

सूरज की घटना को लेकर कुछ अफवाहें भी फैलीं। कुछ लोगों ने ये हवा उड़ा दी कि ये घटना किसी बड़े अनिष्ट की ओर इशारा कर रही है। यह गोला धीरे-धीरे सूरज को निगल जाएगा और प्रलय आ जाएगी। किसी ने भगवान की नाराजगी को घटना की वजह बताया। राजनीति करने वालों इसे बड़े परिवर्तन का संकेत बताया। उनका कहना था कि चुनाव परिणाम के पहले प्रकृति ने बता दिया है कि देश में बदलाव आने जा रहा है जिसकी शुरूआत बनारस से होगी।

तस्वीरों की हो गयी भरमार

रविवार की घटना को लेकर कितना कौतूहल था, इसका अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि आई नेक्स्ट वाराणसी ऑफिस को रीडर्स ने तीन दर्जन से ज्यादा तस्वीरें भेजीं। इसमें सबसे ज्यादा तस्वीरें आई नेक्स्ट के फेसबुक प्रोफाइल और पेज पर पोस्ट या मैसेज के रूप में मिलीं। इसके अलावा ई-मेल और व्हाट्सअप के जरिये भी काफी लोगों ने तस्वीरें खींच कर भेजीं।

सुबह ऐसा नजारा देखकर हम चौंक गए थे। सूरज के चारो ओर सतरंगी घेरा था। इसकी वजह हर कोई अलग-अलग बताता रहा।

-सोनू, सोनारपुरा

ऐसा नजारा मैंने पहली बार आसमान पर देखा था। आमतौर पर ग्रहण के दौरान सूर्य के आसपास कोई गोल घेरा दिखता है। लेकिन यह तो बिल्कुल अलग था।

-गोविंद गुप्ता, नई सड़क

सुबह फ्रेंड का फोन आया तो इस नजारे को देखने छत पर पहुंचे। वाकई बेहद अद्भुत नजारा था। सूरज को इंद्रधनुष ने घेर रखा था।

-आलोक केशरी, गिरजाघर

मैंने पहले कभी इस तरह की घटना के बारे में नहीं सुना। यह तो बिल्कुल अलग तरह की घटना थी। क्यों और कैसे हुई इस बारे में हर कोई तरह-तरह की बातें कह रहा था।

-अभिषेक वर्मा, लक्सा