लगा पान का भोग

पहले दिन हुए पीत श्रृंगार के बाद बारी थी रक्तिम श्रृंगार की। लाल वस्त्र, लाल पेड़ा, लाल छेना और मुंह को लालिमा देने वाले बनारसी पान का जायका भगवान जगन्नाथ को चखाया गया। भोर में हुई मंगला आरती के बाद सुबह से ही मौसम ने भगवान जगन्नाथ के लिए अपनी बाहें फैला कर उनके स्वागत की तैयारी कर ली थी। इस पर मेन भूमिका निभाई बारिश के देवता भगवान इन्द्र ने। दोपहर बाद शुरू हुई बूंदा बांदी के बीच अचानक से हुई थोड़ी तेज बरसात ने उस रथ के शीर्ष ध्वज को भीगो दिया जिस पर प्रभु अपने परिवार के साथ विराजमान थे। सुबह के बाद पूड़ी, सब्जी, खीर का भोग लगा कर भक्तों के बीच प्रसाद वितरण किया गया।

हर तरफ दिखा लाल पीला रंग

पूजा पाठ के बीच मेले में घूमने आये लोगों ने भी खूब मस्ती की। चाट गोलगप्पों के ठेलों पर चटखारों के साथ बनारसी मस्ती में लोग डूबे नजर आए। वही बच्चों ने भी मेले को खूब एंज्वाय किया। लक्खी मेले की पहचान बन चुकी नान खटाई के अलग अलग स्वादों को चखते और खरीदते लोगों की भीड़ भी मेला क्षेत्र में दिखायी पड़ी। नॉर्मल फ्लेवर से लेकर चॉकलेट फ्लवेर तक की नान खटाई लोगों ने खासी पसंद की। मेला परिसर में लगे छोटे बड़े झूलों पर बैठने के लिए बच्चों से लेकर बड़े तक सब परेशान दिखे। धूप न निकलने के कारण पूरा दिन मौसम खुशनुमा होने से मेले में पहले दिन की अपेक्षा ज्यादा भीड़ देखने को मिली।