क्राइम के साथ राजा भैया का नाता पॉलिटिक्स से भी पुराना है. 2012 के एसेंबली इलेक्शन के दौरान राजा भैया ने इलेक्शन कमीशन में जो हलफनामा जमा किया, उसके मुताबिक उनके अगेंस्ट 8 मामले पेंडिंग हैं. इनमें हत्या की कोशिश, हत्या के इरादे से अपहरण, डकैती जैसे मामले शामिल हैं. इसके अलावा यूपी गैंगस्टर एक्ट के तहत भी उनके अगेंस्ट मामला चल रहा है.

राजा भैया का political track record

राजा भैया का पॉलिटिकल ट्रैक रिकॉर्ड ऐसा है कि उनके आगे कोई नहीं टिकता. निर्दलीय विधायक होने के बावजूद वे अलग-अलग पार्टियों की सरकारों में मिनिस्टर बनते आए हैं. उन्होंने आज तक किसी पार्टी के टिकट पर इलेक्शन नहीं लड़ा. फिर भी अपने इलाके से उनकी जीत हर बार तय होती है.

राजा भैया 1993 और 1996 के असेंबली इलेक्शन में बीजेपी समर्थित, तो 2002, 2007 और 2012 के इलेक्शन में एसपी समर्थित निर्दलीय के तौर पर विधानसभा पहुंचे. इस बार तो अखिलेश यादव की एसपी गवर्नमेंट के पास मेज्योरिटी थी फिर भी वे मिनिस्टर की कुर्सी तक पहुंचे. जो उनकी पॉलिटिकल पावर को दिखाता है.

सिर्फ 26 साल की उम्र में इलेक्शन जीतकर यूपी का यंगेस्ट एमएलए बनने वाले इस शख्स को कभी एक्स सीएम कल्याण सिंह ने कुंडा का गुंडा कहकर पुकारा था लेकिन बाद में उन्हीं की गवर्नमेंट में वह मिनिस्टर बने.

पोटा के तहत हुआ मुकदमा

  अपने क्रिमिनल रिकॉर्ड की वजह से राजा भैया मायावती की गवर्नमेंट में जेल भी काट चुके हैं. 2003 में माया गवर्नमेंट में राजा भैया के घर का सर्च वारंट जारी हुआ था. जिसमें उनके घर से हथियार और विस्फोटक बरामद हुआ था. इस सर्च में उनके एक तालाब से कंकाल बरामद होने के बाद उन पर मर्डर का केस रजिस्टर किया गया था.

05 मई, 2003 को यूपी की चीफ मिनिस्टर मायावती ने राजा भैया व उनके पिता उदय प्रताप सिंह और रिश्तेदार अक्षय प्रताप के खिलाफ पोटा के तहत मुकदमा चलाने को मंजूरी दी. जिसके बाद 14 नवंबर, 2005 राजा भैया और उनके पिता ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कानपुर के पोटा कोर्ट में समर्पण किया था. 

एक के बाद एक आरोप

सीओ जिया उल हक के मर्डर के आरोप में राजा भैया ने मिनिस्टर की कुर्सी छोड़ दी है. इस मामले में उनके रोल को लेकर सीबीआई जांच की जा रही है. इस केस में जो एफआईआर लिखी गई है उसमें राजा भैया का नाम भी शामिल है. उनके अगेंस्ट धारा 120बी के तहत मामला दर्ज किया गया है. जिया उल हक की बीवी राजा भैया को अरेस्ट करने की डिमांड कर रही है. 

यह पहला मामला नहीं है जब राजा भैया पर किसी पुलिस ऑफिसर के मर्डर का आरोप लगा हो. इससे पहले राजा भैया पर उनके घर पर छापा मारने वाले पुलिस उपाधीक्षक राम शिरोमणि पांडे का मर्डर करवाने का आरोप है. पांडे की मौत रोड एक्सीडेंट में हुई थी. उन पर आरोप लगा था कि उन्होंने ही यह एक्सीडेंट करवाया है. सीबीआई अभी भी इस मामले की जांच कर रही है.

मसीहा की छवि

राजनीतिक गलियारों या फिर और कहीं भी राजा भैया की छवि कैसी भी हो अपने इलाके के बहुतेरे लोगों के लिए मसीहा हैं. इलाके के लोग उन्हें न्याय का मसीहा मानते हैं. गाँव के मर्द, औरत और बच्चे अपनी शिकायतें और झगड़े लेकर कोर्ट की बजाए उनके दरबार में पहुँचते हैं जहां राजा भैया तुरंत फैसला सुनाते हैं.

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