- कहा, देश में सबको मिलना चाहिए समान अधिकार

- बाकी पार्टियां भी इस बारे में अपना रुख करें साफ

- दो महीने में चुनाव आयोग तय करेगा पार्टी का नाम

LUCKNOW : प्रतापगढ़ के कुंडा से छह बार निर्दलीय विधायक रहे चुके पूर्व मंत्री रघुराज प्रताप सिंह उर्फ 'राजा भैया' ने एससी-एसटी एक्ट और बेतरतीब आरक्षण के खिलाफ लड़ने के लिए नई पार्टी का गठन कर लिया है। फिलहाल उन्होंने केंद्रीय चुनाव आयोग ने पार्टी के नाम के लिए आवेदन किया है जिस बारे में दो-तीन महीने के भीतर फैसला हो जाएगा। लंबे समय तक सपा के साथ रहने वाले राजा भैया ने शुक्रवार को अपने कैंट स्थित आवास पर नई पार्टी बनाने का ऐलान करने के साथ कहा कि इन दो मुद्दों ने उन्हें पार्टी बनाने को प्रेरित किया। इससे लोग परेशान हैं और राजनैतिक दल चर्चा तक नहीं करना चाहते हैं।

सबको मिले समानता का अधिकार

राजा भैया ने कहा कि संविधान में जब सबको समानता का अधिकार दिया गया है तो एससी-एसटी एक्ट और आरक्षण में भेदभाव क्यों किया जा रहा है। यह तो एससी-एसटी को समाज की मुख्य धारा से दूर करने की साजिश है। एससी-एसटी एक्ट में पहले गिरफ्तारी और बाद में विवेचना न्यायसंगत नहीं है। इसकी आवश्यकता तो डॉ। भीमराव अंबेडकर ने संविधान बनाते समय भी महसूस नहीं की थी। चुपचाप इस एक्ट को जटिल बना दिया गया। दलित की बेटी के साथ बलात्कार हो तो उसे 8.40 लाख रुपये दिए जाए और सामान्य वर्ग की बेटी को कुछ नहीं, आखिर यह कहां का न्याय है। हत्या के मामलों में भी सरकार का यही नजरिया है। बलात्कार या हत्या में तो सबको बराबरी से मुआवजा दिया जाना चाहिए। जाति के आधार पर भेदभाव नहीं होना चाहिए।

आईएएस-आईपीएस को क्यों

वहीं आरक्षण पर बोले कि आईएएस और आईपीएस के बच्चों को आरक्षण का लाभ नहीं मिलना चाहिए बल्कि उनकी बिरादरी के समाज के अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति को इसका लाभ मिलना चाहिए। आईएएस-आईपीएस के बच्चे विदेशों में पढ़ रहे हैं और वे आर्थिक विपन्नना से कोसों दूर है। इसी तरह प्रमोशन में आरक्षण देने के बजाय यह योग्यता, कार्यशैली और वरिष्ठता के आधार पर मिलना चाहिए। साथ ही आरक्षण का लाभ केवल एक बार ही मिलना चाहिए। अन्य दलों के समर्थन पर बोले कि पहले बाकी दल स्पष्ट करें कि क्या वे इन मुद्दों पर हमारे साथ हैं। वहीं पीएम मोदी और सीएम योगी के कामकाज को लेकर पूछे गये सवाल पर उन्होंने कोई टिप्पणी नहीं की।

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तीन नाम सुझाए

राजा भैया ने चुनाव आयोग में किए आवेदन में अपनी पार्टी के लिए तीन नाम सुझाए हैं। उन्होंने आयोग को जनसत्ता दल, जनसत्ता लोकतांत्रिक दल और जनसत्ता पार्टी में से कोई एक नाम आवंटित करने का अनुरोध किया है। साथ ही अपनी पार्टी का नया झंडा पीले और हरे रंग का रखा है। आगामी 30 नवंबर को राजधानी में वह एक रैली भी करने की तैयारी में हैं। पत्रकार वार्ता के दौरान उनके साथ पूर्व सांसद शैलेंद्र कुमार, अक्षय प्रताप सिंह आदि मौजूद थे।

सपा को होगा नुकसान

शिवपाल सिंह यादव के बाद राजा भैया द्वारा भी नई पार्टी बनाने का सीधा नुकसान लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को होगा। सपा सरकार के दौरान अपना समर्थन देने वाले राजा भैया को क्षत्रियों का नेता माना जाता है। कई मौकों पर वह अपनी ताकत का लोहा मनवा भी चुके है। हालांकि राज्यसभा चुनाव के दौरान क्रॉस वोटिंग की वजह से वह सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की नाराजगी का सामना भी कर चुके हैं।