लोकसभा चुनाव का काउंटडाउन शुरू हो चुका है। राजनीतिक दल अपने-अपने मुद्दे उठाने लगे हैं। हालांकि इस बार चुनाव के महाकुंभ में 18 से 38 साल का युवा मुख्य किरदार निभाने वाले हैं। इन्हें हम मिलेनियल्स कह रहे हैं। इनके पास ऐसे कई मुद्दे हैं जिन्हें लेकर वो आगामी सरकार चुनेंगे। मिलेनियल्स के ऐसे कई मुद्दों को दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने 'मिलेनियल्स स्पीक' के मंच के जरिए आप तक पहुंचाने की कोशिश की है। जगतगंज स्थित होटल कामेश हट में 'राजनी-टी' पर चर्चा करते हुए मिलेनियल्स ने ऐसी सरकार चुनने की बात कही, जो धर्म और दलगत की राजनीति से बाहर हो।

धर्म की राजनीत वाली सरकार नहीं

'मिलेनियल्स स्पीक' के मंच पर रेडियो सिटी के आरजे समीर ने आने वाली सरकार से उम्मीदों को लेकर चर्चा शुरु की। जिसमें शामिल युवाओं ने कहा कि हम ऐसी सरकार की उम्मीद कर रहे हैं, जो धर्म की राजनीति से ऊपर हो। कभी धर्म के नाम पर तो कभी वर्ग के नाम पर सिर्फ देश के लोगों को बांटने का काम हो रहा है, जो ठीक नहीं है। इसलिए हम ऐसी सरकार को लाने का प्रयास करेंगे जो इन सब से ऊपर की सोच रखे। पांच साल पहले सबका साथ सबका विकास का नारा लेकर सरकार तो बन गई, लेकिन साथ और विकास कुछ खास लोगों का ही हुआ। सरकार कोई भी हो, वह हर वर्ग को साथ लेकर चले।

रोजगार दे सरकार

चर्चा में शामिल मिलेनियल्स ने कहा कि देश में बेरोजगारी चरम पर है। अभी ताजा आंकड़े बता रहे हैं कि पिछले ढाई साल में भारत में सबसे ज्यादा बेरोजगारी बढ़ी है। फिर भी सरकार का फोकस सिर्फ धर्म और जनता को लुभाने वाली योजनाओं तक ही सीमित है। सरकार बढ़ती बेरोजगारी पर ध्यान नहीं दे रही। आने वाली सरकार कोई भी हो उसे सबसे पहले बेरोजगारी को खत्म करना होगा। क्योंकि देश भर के युवा इन दिनों सड़कों पर घूम रहे हैं। कहा कि हमारे एक्सपेक्टेशन है कि नई सरकार रोजगार ज्यादा से ज्यादा मुहैया कराने पर ठोस नीति बनाये। कल कारखाने लगवाये ताकि लोगों को नौकरी मिल सके।

शिक्षा, चिकित्सा की अनदेखी

बेरोजगारी की बात हो ही रही थी कि युवाओं ने शिक्षा, चिकित्सा का मुद्दा उठा दिया। उन्होंने कहा कि देश में अगर ये दो व्यवस्था ठीक हो जाए तो आधी समस्या खत्म हो जाएगी। सरकार शिक्षा को बढ़ावा नहीं दे रही है। आज भी लोगों में शिक्षा को लेकर जागरुकता की कमी है। यही नहीं सरकार राइट टू एजुकेशन पॉलसी का प्रचार-प्रसार नहीं कर रही है। अगर सरकार आयुष्मान और उज्ज्वला जैसी योजनाओं के प्रचार प्रसार पर करोड़ों रूपए खर्च कर सकती है, फिर शिक्षा पर क्यों नहीं।

सतमोला खाओ कुछ भी पचाओ

सरकार का फोकस ऐसी लुभावनी योजनाओं के प्रचार प्रसार पर है, जिसे पाकर गरीब वर्ग उत्साहित हो जाता है। जबकि सही मायने में सरकार को शिक्षा व्यवस्था पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए। अगर देश का युवा शिक्षित होगा तो उसे किसी लुभावने योजनाओं की जरुरत ही नहीं पड़ेगी। शिक्षित समाज को पता होगा कि उसे उक्त योजनाएं कुछ दिन तक ही मिलेंगी।

मेरी बात

सरकार किसी की भी बने पर हर वर्ग को साथ लेकर चले। आरक्षण की व्यवस्था खत्म होनी चाहिए। इससे अन्य व्यवस्थाएं चौपट हो रही है। आने वाली सरकार का सेना पर भी फोकस हो। क्योंकि देश को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी उन्ही के कंधों पर है। लोगों को जितना स्वच्छता को लेकर अवेयर किया जा रहा है, उतना शिक्षा को लेकर नहीं। जबकि लोगों के लिए यह दोनों ही जरुरी है।

-सौरभ सिंह

कड़क मुद्दा

राजनी-टी पर चर्चा के दौरान मिलेनियल्स स्पीक में सबसे कड़क मुद्दा स्वास्थ्य, शिक्षा और सुरक्षा पर केंद्रित रहा। युवाओं ने कहा कि सरकार को शिक्षा, चिकित्सा को लेकर भी विचार करने की जरूरत है। सरकारी अस्पतालों में आज भी डॉक्टर कमीशन के चक्कर में बाहर की दवाएं लिख रहे हैं। ओपीडी में एमआर की लाइन लगी रहती है। दवा होने के बाद भी स्टॉक न होने की बात कही जाती है। आयुष्मान भारत का लाभ भी जरुरतमंदों को नहीं मिल रही है।

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समाज में अभी भी शिक्षित लोगों की कमी है। यहां साक्षरता दर बेहद पूअर है, बावजूद इसके सरकार का ध्यान सिर्फ राज्यों में चुनाव जीतने पर है। देश रोजगार की कमी से जूझ रहा है। मेरा वोट उसी को जाएगा जो इन सब समस्याओं को खत्म करे।

-विभा शंकर सिंह

हमें ऐसी सरकार नहीं चाहिए, जो बेसिक जरुरतों को भूल सिर्फ लोगों को लुभावने योजनाओं को लेकर बात करे। देश में कमीशनखोरी आज भी चरम पर है। बगैर कमीशन के कोई काम नहंी हो रहा है। लेकिन मेरा वोट उसी को जाएगा जो भ्रष्टाचार का खात्मा करेगा।

-राजन श्रीवास्तव

देश का आवाम एक बार फिर बदलाव के मूड में है। ऐसा इसलिए कि अभी तक अच्छे दिन नहीं आए। चुनावी जुमला और लुभावने वादों ने देश का विकास रोक दिया है। जो जाति धर्म की राजनीति से ऊपर उठकर हर किसी को साथ लेकर चलेगा सरकार भी उसी की होगी।

-प्रशांत सिंह

मेरा वोट बेहद कीमती है, इसलिए इसे ऐसी सरकार के लिए इस्तेमाल करुंगा जो, युवाओं के उत्थान की बात करे। बेरोजगारों को रोजगार देने की बात करे न कि सिर्फ इधर उधर भटकाने का। सरकार शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए विशेष बजट लाए।

-रंजन सिंह

सरकार लोगों को बुलेट ट्रेन का सपना दिखा रही है। लेकिन स्टेशन और सामान्य ट्रेनों में कोई सुधार नहीं किया जा रहा। बसों की हालत भी खराब है। ऐसे में बुलेट ट्रेन की परिकल्पना करना ही बेइमानी है।

-श्रेयांस सिंह

वर्तमान सरकार का पिछले घोषणा पत्र में किए गए वादे पूरे नहंी किए गए। इस बार का बजट भी चुनाव को देखते हुए बनाया गया। अगर सरकार देश के लोगों के लिए फिक्रमंद होती तो यह बजट 2014-15 में ला सकती थी।

- अभिषेक मिश्रा

-सरकार देश में रोजगार की व्यवस्था करने के साथ सरकारी स्कूल, कॉलेज की स्थिति पर भी ध्यान दे। बच्चें नहंी हैं तो कही शिक्षक की कमी है। इन सब को पूरा कराने की जिम्मेदारी सरकार के कंधों पर है, लेकिन सरकार ऐसा कुछ भी नहीं कर रही।

कामेस सिंह

आज यहां होगी राजनी-टी

गुरुवार को भी मिलेनियल्स फिर से तमाम मुद्दों पर चर्चा के लिए जुटेंगे। यह आयोजन नदेसर स्थित दैनिक जागरण आई नेक्स्ट कार्यालय में दोपहर 12 बजे से होगा।