कबाड़ में चले गए एक लाख रुपये
समाज में भ्रष्टाचार और बेईमानी का भले ही बोलबाला हो। लेकिन इनके बीच कुछ ईमानदार लोग भी हैं जिन्हें लालच से ज्यादा अपने ईमान पर भरोसा होता है। ऐसा ही एक ईमान का पक्का शख्स है राजस्थान का एक कबाड़ी वाला। दरअसल सुरेंद्र और शंकर वर्मा नाम के दो भाई घर-घर जाकर कबाड़ खरीदने का काम करते हैं। ये दोनों भाई पांच रुपये प्रति किग्रा भाव पर पुरानी किताबें और अखबार खरीदते हैं। ऐसे में एक महिला शांति भादू ने अपने घर में रखे पुराने अखबारों के साथ कुछ किताबें भी इन्हें बेंच दीं।

घर-घर जाकर लगाया पता
शाम को घर पहुंचकर जब सुरेंद्र और शंकर दिनभर इकठ्ठे की गई रद्दी को छांट-बीन रहे थे। तो उन्हें एक किताब के बीच एक लाख रुपये की गड्डी मिली। इतने पैसों को देखकर पहले दोनों भाई काफी हैरान रह गए। उन्हें पूरी रात नींद नहीं आई लेकिन अगली सुबह उन्होंने किताब मालिक को ढूंढकर पैसे वापस करने की सोची। हालांकि यह काम आसान न था क्योंकि उन्होंने कई घरों से रद्दी ली थी और यह किताब किस घर की थी यह पता लगाना काफी मुश्किल था।

और बन गए फरिश्ते
कबाड़ी वाले दोनों भाई घर खोल ही रहे थे कि उन्हें एक किताब में शालू पूनिया नाम लिखा मिला। दरअसल शालू शांति  भादू की पोती का नाम था। गांव वालों और पड़ोसियों की मदद से दोनों भाई भादू दंपति के घर पहुंचे और उन्हें पैसे वापस कर दिए। भादू दंपति को यह मालूम ही नहीं था कि उनके एक लाख रुपए कबाड़ी वालों पर चले गए। शांति के पति किशोर बताते हैं, मैंने एक लाख रुपए किसी से उधार लिए थे, जिसे सेफ्टी के लिए किताबों में छुपाकर रख दिया था। मुझे पता नहीं था कि मेरी पत्नी उन किताबों को ही बेच डालेगी। कबाड़ी भाइयों की तारीफ करते हुए किशोर ने कहा, मुझे समझ नहीं आ रहा इनका धन्यवाद किस तरह करूं। वह मेरे लिए एक फरिश्ते की तरह हैं।

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