- यूनिवर्सिटी में लगातार हो रहे है वित्तीय भ्रष्टाचार, फर्जी नियुक्तियों की शिकायत राज्यपाल और शासन

- संविदा पर नियुक्ति से लेकर सेल्फ फाइनेंस मोड के बजट का गलत प्रयोग करने का आरोप

LUCKNOW : डॉ। भीमराव अम्बेडकर यूनिवर्सिटी, आगरा पर लग रहे भ्रष्टाचार और फर्जी नियुक्तियों की शिकायत राजभवन व शासन स्तर तक पहुंच गई है। शिकायत में यूनिवर्सिटी के प्रशासनिक अधिकारियों पर बीते कई महीनों में संविदा पर फर्जी नियुक्ति व सेल्फ फाइनेंस कोर्सेस के मद में आने वाले बजट का गलत प्रयोग करने का आरोप लगाया है। साथ ही यूनिवर्सिटी वीसी पर इस पूरे फर्जीवाड़े में कार्रवाई न करने और अपनी सहमति तक प्रदान करने की शिकायत एक पत्र के माध्यम से राजभवन और शासन से की गई है।

बिना नियम कर दी गई नियुक्ति

शिकायती पत्र में आरोप लगाया गया है कि वीसी डॉ। अरविंद दीक्षित कार्य परिषद के मिनट्स की आड़ में फर्जी नियुक्तियों का खेल कर रहे हैं। कार्य परिषद की बैठक में बीते साल 25 नवंबर को 15 कम्प्यूटर ऑपरेटरों की नियुक्ति करने का प्रस्ताव लाया गया था। जिसमें नीरज गोयल की नियुक्ति के लिए आवेदन पत्र प्रस्तुत करने को कहा गया था, लेकिन वीसी ने अपने अधिकार का प्रयोग कर कार्य परिषद के मिनट्स में फेरबदल करते हुए नीरज गोयल का सेल्फ फाइनेंस योजना के तहत कम्प्यूटर ऑपरेटर के पद पर नियुक्त करने का आदेश जारी कर दिया। जिस पर यूनिवर्सिटी के अधिकारियों ने आपत्ति तक दर्ज करायी। इसके बावजूद वीसी की ओर से इस पूरे मामले पर कोई संज्ञान नहीं लिया गया। इसी तरह यूनिवर्सिटी में पांच लाइब्रेरी प्रोफेशनल की नियुक्ति संविदा पर कर लिया गया। जबकि 2000 के शासनादेश के अनुसार सेल्फ फाइनेंस योजना के तहत कोर्स संचालन के लिए शिक्षणेत्तर कर्मचारियों की नियुक्ति संविदा पर किए जाने का प्रावधान है। यूनिवर्सिटी में सेंट्रल रिकॉर्ड रूम के अपग्रेडेशन आदि मुख्य प्रशासनिक कार्यो के लिए किया गया। जब इस पर यूनिवर्सिटी के अधिकारियों ने आपत्ति दर्ज कराई तो इसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं किया गया।

सेल्फ फाइनेंस के बजट से खरीदी गाड़ी

राजभवन को भेजे गए पत्र में लिखा गया है कि यूनिवर्सिटी में भ्रष्टाचार का आलम यह है कि सेल्फ फाइनेंस मोड के बजट से 17 लाख 82 हजार 455 रुपए की इनोवा क्रिस्टा जीएक्स-7 गाड़ी की खरीद की गई। जबकि नियमानुसार सेल्फ फाइनेंस कोर्स के संचालन के तहत आने वाला पैसा उस कोर्स के संचालन और कर्मचारियों की सैलरी पर खर्च करने का नियम है। इसके बाद भी यूनिवर्सिटी के इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, खंदारी कैम्पस के निदेशक डॉ। वीके सारस्वत की मांग पर उनके लिए सेल्फ फाइनेंस कोर्स के बजट से गाड़ी खरीदी गई। जिसका भुगतान वीसी के आदेश पर जबरदस्ती कराया गया।

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आज प्रस्तुत होंगे वीसी के डॉक्यूमेंट

लखनऊ यूनिवर्सिटी के पूर्व प्रोफेसर प्रो। नरसिंह की ओर से हाईकोर्ट लखनऊ खंडपीठ में एक याचिका दायर कर आगरा यूनिवर्सिटी, बरेली यूनिवर्सिटी, लखनऊ यूनिवर्सिटी, फैजाबाद यूनिवर्सिटी, जौनपुर यूनिवर्सिटी व सिद्धार्थनगर यूनिवर्सिटी में नियुक्ति किए गए वीसी के अर्हता पर सवाल खड़े किये थे। आगरा यूनिवर्सिटी के वीसी डॉ। अरविंद दीक्षित पर हाईस्कूल तीन साल, बीएससी चार साल में पास करने के बाद भी गलत डॉक्यूमेंट लगाने का आरोप लगाया गया है। मंडे को हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने दोनों पक्षों को इस संबंध में डॉक्यूमेंट प्रस्तुत करने को कहा है।