देहरादून

एक तरफ देश में इंटरनेशनल पॉलिसी को लेकर नई बहस छिड़ी हुई है, दूसरी तरफ लोकसभा इलेक्शन को लेकर माहौल गर्म है. ऐसे में चाय की चुस्कियों के बीच इलेक्शन फीवर और इंटरनेशनल पॉलिसी पर जमकर बहस होना लाजिमी है. चायना के सामान का बहिष्कार करने और इंटरनेशनल पॉलिसी को लेकर लीडर्स की सोच पर राजनी-टी में मिलेनियल्स ने अपनी बात रखी. जिसमें सिर्फ त्यौहारों में ही नहीं पूरे वर्ष भर चाइनीज आइटम का पुरजोर विरोध करने की बात रखी.

लोकसभा इलेक्शन की तारीखों का ऐलान होते ही अब सबकी निगाह कैंडीडेट के ऐलान को लेकर हैं, जिसमें कैंडीडेट की इमेज सबसे अहम मानी जा रही है. मिलेनियल्स का मानना है कि ब्रांडिंग नहीं साफ सुधरी इमेज रखने वाले लीडर को ही चुनना चाहिए. इसी इश्यू को लेकर नेहरू कॉलोनी स्थित दया पैलेस में राजनी-टी पर चर्चा हुई. सोशल वर्कर आरिफ खान ने कहा कि इलेक्शन आते ही सभी कैंडीडेट चुनाव प्रचार के माध्यम से अपनी ब्रॉडिंग शुरू कर देते हैं, जिसे देखकर वोटर भी भ्रमित हो जाते हैं. लेकिन ऐसे में वोटर को सबसे पहले अपने कैंडीडेट के बारे में सही जानकारी जुटाने की आवश्यकता है. आरिफ खान की बात का विशाल और हरकिशन ने समर्थन तो किया लेकिन अपनी बात रखते हुए विशाल ने लीडर की इमेज और पार्टी की सोच और मेनिफेस्टो को समझने पर जोर दिया. हरकिशन ने इलेक्शन में भ्रष्टाचार के मसले को जोर-शोर से उठाने की बात कही. उन्होंने कहा कि जनता को 5 वर्ष में एक बार वोट का ही अधिकार है, ऐसे में वोट की चोट से राजनीतिक दलों को सबक भी सिखाना चाहिए. हमारे सिस्टम में भ्रष्टाचार ने इस तरह से अपने पांव जमा लिए हैं कि हम चाहकर भी बिना घूस दिए काम नहीं करा सके. सीमा नरोला ने प्रतिनिधियों के जनता के बीच न रहने की कम्पलेन करते हुए इलेक्शन में इस बार ऐसे प्रतिनिधियों को चुनने की अपील की जो 5 वर्ष तक जनता के बीच में रहकर उनकी समस्या को समझे और उनका निवारण कर सके. इसके अलावा रोजगार, एजुकेशन, हेल्थ और सैनिकों के कल्याण के लिए नई बेहतर पॉलिसी बनाने और उन्हे धरातल पर लाने के इश्यूज पर गर्मागम बहस भी हुई.

सतमोला खाओ, कुछ भी पचाओ

चीन के रवैये को लेकर देश में गुस्से का माहौल है. ऐसे में आरिफ ने सभी से वर्षभर चाइना आइटम का विरोध करने की अपील की. उन्होंने कहा कि हम सिर्फ त्यौहारों में ही एकजुट होकर विरोध करते हैं फिर भूल जाते हैं. हरकिशन ने कहा कि जनता अगर सामान ही नहीं मांगेगे तो फिर बाजार में सामान ही नहीं बिक सकता. अगर चाइना हमारा सपोर्ट नहीं करती है तो फिर हमें आर्थिक स्ट्राइक करनी चाहिए.

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इलेक्शन आने पर ही मुद्दे सामने आते हैं, लेकिन इलेक्शन के बाद जनप्रतिनिधि जनता के बीच नजर नहीं आते हैं. हमें ऐसे लीडर्स की आवश्यकता है जो हर वक्त हमारे बीच में रहे. साथ ही हमारे इश्यू को समझ सके. इसके साथ ही हमारे लीडर्स को महिला सशक्तिकरण और वूमेन सिक्योरिटी पर कुछ कड़े फैसले लेने की जरुरत है. जिसमें महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित हो.

सीमा नरोला

बिजनेस वूमेन

महिलाओं की सुरक्षा का इश्यू सबसे अहम है, जिस पर कोई सरकार या जनप्रतिनिधि गंभीर नजर नहीं आते हैं. हमें ऐसे लीडर्स की आवश्यकता है जो महिलाओं के इश्यू को लेकर स्पष्ट सोच रखता हो. इलेक्शन में भी महिलाओं को ज्यादा से ज्यादा टिकट मिलने चाहिए. तभी महिलाओं की सोच और उनके लिए बनने वाली योजनाएं धरातल पर नजर आएंगी.

रुचि शमा

प्राइवेट जॉब

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आजादी के कई वर्षो बाद भी एजुकेशन और हेल्थ सिस्टम नहीं सुधर पाया है. ऐसे में केन्द्र सरकार को इन दोनों इश्यूज पर राज्य सरकार के साथ मिलकर काम करना चाहिए. स्कूलों में दलाली और डोनेशन सिस्टम खत्म होना चाहिए. प्राइवेट से ज्यादा सरकारी हॉस्पिटल में सुविधाओं पर फोकस होना चाहिए. दूरस्थ क्षेत्रों में बेहतर सुविधाएं देने की जरुरत है.

विशाल चौहान, बिजनेसमैन

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हमें ऐसी सरकार और प्रतिनिधि चाहिए जो पुराने विकास कार्यो को पूरा करे और नई पॉलिसी को शुरु करने से पहले उसके सारे सकारात्मक और नकारात्मक पहलू पर फोकस करे. ऐसे लीडर की आवश्यकता है जो सिर्फ योजनाओं की घोषणा न करे, उन्हें धरातल पर लाए. ऐसे में जो विकास कार्य हुए हैं वो प्रभावित नहीं होंगे.

धर्मेन्द्र कुमार ठाकुर, प्राइवेट जॉब

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युवाओं को रोजगार देना सरकार की प्राथमिकता में होना चाहिए न कि सिर्फ कागजों में रोजगार देने की बात हो. हमें ऐसे लीडर चाहिए जो रोजगार के रास्ते खोले. चाहे स्वरोजगार हो या फिर दूसरे प्रकार के रोजगार, युवाओं को बेहतर शिक्षा और रोजगार के साधन बढ़ाने की जरुरत है.

शिल्पा राणा, प्राइवेट जॉब

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स्कूलों और हायर एजुकेशन में डोनेशन का सिस्टम बंद होना चाहिए. इससे ईमानदार और पढ़े लिखे लोगों के आगे आने में समस्या हो सकती है. साथ ही जो अधिकार जिस व्यक्ति को मिलना चाहिए वो नहीं मिल रहा है. सरकार को ऐसी पॉलिसी लानी चाहिए जिससे एजुकेशन में डोनेशन सिस्टम बंद हो .

सुरभि रावत, प्राइवेट जॉब

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सरकार को रोजगारपरक योजनाएं लानी चाहिए. जिससे बेरोजगारी कम हो सके. और युवाओं की पॉजिटिव एनर्जी का इस्तेमाल देश के विकास में किया जा सके. साथ ही पूर्व सैनिकों और सैनिकों के कल्याण के बारे में सोचना चाहिए. जो हमारे देश की सुरक्षा के लिए अपना सब कुछ दाव पर लगाते हैं.

विजय सिंह, प्राइवेट जॉब

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युवाओं को देश की राजनीति और इलेक्शन में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेना चाहिए. जिससे युवाओं की वास्तविक समस्या सामने आ सके. और इस पर काम हो सके. हमें ऐसे लीडर की आवश्यकता है जो युवाओं को आगे लाने के लिए पॉलिसी तैयार कर उन्हें धरातल पर काम कर सके.

पार्थ देवरानी, स्टूडेंट

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इलेक्शन में महिलाओं और पुरुषों को बराबरी का मौका मिलना चाहिए, साथ ही हर पार्टी को महिलाओं को ज्यादा टिकट देना चाहिए. जिससे महिलाओं की समस्या आगे आ सके. और इन समस्याओं का समाधान भी निकल सके. ऐसे में मेरा वोट ऐसे विचार रखने वाले लीडर को.

अंजलि गुलेरिया, प्राइवेट जॉब

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मेनिफेस्टो में सिर्फ मुद्दों को शामिल नहीं करना चाहिए, इन समस्याओं से ज्यादा पब्लिक के लिए बेहतर काम और पॉलिसी की बात होनी चाहिए. जिससे इलेक्शन के बाद जीतने वाले लीडर को सीधे काम करने में आसानी हो.

महादेव क्षेत्री, प्राइवेट जॉब

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कड़क मुद्दा

जिस कैंडीडेट का ज्यादा प्रचार-प्रसार होता है, सारी पब्लिक उसी कैंडीडेट की तरफ आकर्षित होती है. ऐसे में ये जानना जरूरी है कि जो कैंडीडेट इलेक्शन लड़ रहा है वो वास्तव में विज्ञापन के अनुरूप कार्य भी करता है या बस ब्रांडिंग करता है. ऐसे में वोट ऐसे प्रतिनिधि को देना चाहिए जिसकी इमेज साफ सुधरी हो साथ ही जो एजुकेशन और रोजगार को लेकर अपनी स्पष्ट पॉलिसी सामने रखे.

आरिफ खान, सोशल वर्कर

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मेरी बात

भ्रष्टाचार देश को खोखला बना रहा है. सिस्टम ने हमें मजबूर कर दिया कि हम भ्रष्टाचार के अंग बनते जा रहे हैं. इन सभी मसलों पर जागरूकता की जरूरत है. लेकिन, जब तक हमारे लीडर्स इसको लेकर कोई सख्त पॉलिसी नहीं लाते तब तक भ्रष्टाचार इसी तरह से आम आदमी को परेशान करते रहेंगे. हमें ऐसे प्रतिनिधि चुनना चाहिए जिसकी इमेज साफ-सुथरी हो. इसके लिए युवाओं और समाजसेवियों को आगे आना चाहिए.

हरकिशन सिंह, प्राइवेट जॉब

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