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- आयुष्मान, सर्वार्थ सिद्ध, सिद्धि और अमृत समेत चार योग का है संयोग

- भद्रा पाताल लोक में होने से रहेगा प्रभावहीन, सूतक से पूर्व बांधे रक्षा सूत्र

BAREILLY:

रक्षाबंधन के दिन इस वर्ष चार योगों का अहम संयोग हो रहा है। जो भाई बहन के प्रेम में चार चांद लगाएगा। ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक इस वर्ष चंद्रग्रहण की काली छाया भी इस प्रेम के अटूट बंधन पर मंडरा रही है। ऐसे में उन्होंने सूतक लगने से पूर्व भद्रा रहित काल में बहनों को भाईयों की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधने की सलाह दी है। कहा है कि भद्रा रहित काल में बन रहे आयुष्मान, सर्वाथ सिद्ध, सिद्धि और अमृत योग के संयोग के अवसर पर राखी बांधना बेहद लाभकारी रहेगा। साथ ही, विधि विधान से किया गया पूजन सौ गुना फलदायी होने की संभावना जताई है।

भद्रा नहीं बनेगी अड़चन

श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन इस बार रक्षा बन्धन का पर्व 7 अगस्त सोमवार को पड़ रहा है। शास्त्रीय मान्यता के अनुसार भद्रा का निवास तीनों लोकों में होता है। जिस समय भद्रा जहां निवास करती है फल भी वही देती है। भद्रा निवास विचार के अनुसार सबसे शुभ भद्रा तब होती है जब भद्रा स्वर्ग और पाताल लोक वासिनी होती है। लेकिन इस बार रक्षाबंधन पर यह पाताल लोक में निवास करेगी, फल भी वहीं का देगी। ऐसे में भद्रा व्यवधान कारक नहीं रहेगी। मान्यता है कि भद्रा का जन्म भगवान शिव के शरीर से हुआ था। ऐसे में जातक भद्रा दोष शान्त करने के लिए शिव भगवान की पूजा के बाद ही राखी बांधे तो बेहतर रहेगा।

व्रत और पूजा विधान

रक्षाबंधन के दिन व्रती को स्नान से निवृत्त होकर दोपहर को सूती वस्त्र में सरसों, केसर, चन्दन, अक्षत और दूर्वा रखकर बांधे, फिर कलश स्थापना कर उस पर रक्षा सूत्र रख पूजन करें। फिर ब्राह्मण से रक्षा सूत्र को दाहिने हाथ में बंधवाएं। रक्षा सूत्र बांधते समय मंत्र 'येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:, तेन त्वामनुबध्नाभि रक्षे मा चल मा चल' का जप करें।

मुहूर्त

पूर्ण काल - सूर्योदय से दोपहर 1.53 बजे तक

अभिजीत मुहूर्त - सुबह 11.57 से दोपहर 12.45 बजे तक

योगों का फल विचार

सर्वार्थ सिद्ध योग - मनोकामनाओं पूरी क रता है

आयुष्मान योग - जातक को शतायु का वर मिलता है

सिद्धि योग - सिद्धि प्राप्ति के लिए विशेष होता है

अमृत योग - बीमारियों को जातक से दूर रखता है

रक्षाबंधन अतिविशिष्ट है क्योंकि

- श्रवण नक्षत्र में बन रहा सिद्ध योग

- सोमवार को श्रावणी पूर्णिमा का होना

- चार योगों का अदभुत समागम होना

- सोमवार को चन्द्र ग्रहण का होना

- भद्रा का निवास पाताल लोक में होना

बन रहे चारों योगों का लाभ प्राप्त करने के लिए शिवपूजन आवश्यक है। शिव पूजन के बाद ही बहनें भाईयों की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधें ताकि योगों का लाभ मिले।

पं। राजीव शर्मा, ज्योतिषाचार्य