-श्री राम समर्पित कथा के छठें दिन जुटी भक्तों की भीड़

-बड़ी संख्या में लोगों ने किया श्री राम कथा का श्रवण

ALLAHABAD: दिव्य प्रेम सेवा मिशन हरिद्वार की ओर से आयोजित किए जा रहे श्री राम कथा के छठें दिन पूज्य संत विजय कौशल जी महाराज ने भ्राता भरत के जीवन पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि भरत जैसा चरित्र अतुलनीय है। भरत तो त्रेतायुग में ही अवतार लिया करते है, भरत धर्म के पर्याय हैं व आदर्श स्वरूप हैं। भगवान दर्शन का फल भरत दर्शन से मिल जाता है।

ये बातें भारद्वाज मुनि ने एक साधु के पूछने पर कही थी। विश्व के इतिहास का पहला ऐसा देश, जहां बिना राजा के 14 वर्ष तक पादुकाओं से राज पाठ चला और अयोध्या में तिनका भी नहीं हिला। पूज्य संत ने पंचवटी से लेकर सीता जी के अपहरण तक की कथा को बेहद रोचक ढंग से बताया।

शबरी में बसा था मातृत्व प्रेम

शबरी और भगवान राम के बीच हुए प्रसंग पर पूज्य संत विजय कौशल जी ने कहा कि पूरे प्रसंग में मां और बेटे के बीच वात्सल्य प्रेम साफ झलकता है। जब भगवान श्री राम को शबरी ने देखा तो उसके मन में अटूट प्रेम उमड़ा। भगवान श्री राम ने भी शबरी से मिलकर कौशल्या मां से मिलने जैसे प्रेम महसूस किया। प्रभु ने जब शबरी के जूठें बेर खाए तो कहा भी इतने सुन्दर बेर मुझे जनकपुर में भी खाने को नहीं मिले थे। उन्हेांने अपने प्रवचन में कहा कि वास्तव में रामायण के सभी प्रसंग हमें जीवन में संयमित रहकर जीवन जीने की कला की सीख देते है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक मनुष्य को नियमित रूप से रामायण के रस का पान करना चाहिए। इस अवसर पर कथा का संचालन आईपीएस अधिकारी जुगल किशोर तिवारी ने किया। छठें दिन की कथा में शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती जी महाराज, आचार्य शांतनु जी महाराज, सेवा प्रमुख परमेश्वर आदि लोग मौजूद रहे।