- कई योजनाएं तो अभी भी नहीं हो पाई हैं शुरू

- पूरा करने के तीन साल बाद भी बाकी है 35 प्रतिशत कार्य

GORAKHPUR: रामगढ़ताल गोरखपुर के लिए प्रकृति का उपहार है। इस उपहार को बचाने के लिए शासन ने भी सोचा और 2009 में राष्ट्रीय झील संरक्षण परियोजना में शामिल किया गया। इसमें शामिल होने के बाद लोगों को लगा कि अब हमारी भी एक अलग पहचान होगी। गोरखपुर में भी एक मरीन ड्राइव होगा, लेकिन प्रशासन अमला की लापरवाही का नतीजा यह है कि लगभग दो अरब रुपए की परियोजना होने के बाद भी रामगढ़ताल में गंदगी का अंबार लगा है। पूरे ताल के किनारे पालीथिन बिखरा है। ताल के पानी काला दिख रहा है। जलकुंभी घूमती मिलती है।

बिखरा है कूड़ा

रामगढ़ताल के बीच में देखने से सफेद दिखने वाला पानी हारा और काला दिखता है, जबकि अगर कोई रामगढ़ताल के किनारे उतरकर पानी को छुना चाहे तो उसको भारी गंदगी का सामना करना पड़ेगा। स्थिति यह है कि रामगढ़ताल के किनारे केवल पालीथिन, कचरा और घर का कूड़ा बिखरा है। पैड़लेगंज से लेकर नौकायन तक तो पालीथिन और कचरा कम है, लेकिन मोहद्दीपुर के किनारे और आरकेबीके के पास कोई रामगढ़ताल के किनारे जाना नहीं चाहेगा। स्थिति यहां छठ के पूजा करने यहां कोई महिला पूजा करने के लिए आना नहीं चाहती हैं। कूड़ाघाट, मोहद्दीपुर में मोहल्ले के पार्क में ही गड्ढा बनाकर पूजा करती हैं।

अभी भी ताल के हिस्से में है जलकुंभी और सिल्ट का राज

रामगढ़ताल परियोजना शुरू होने के छह साल बाद भी ताल के पानी पर जलकुंभी और पानी के नीचे सिल्ट का राज कायम है। हालांकि रामगढ़ताल के एक बहुत बड़े हिस्से से जलकुंभी तो समाप्त हो गई है, लेकिन मोहद्दीपुर की तरफ ताल के किनारे, पैड़लेगंज और आरकेबीके की तरफ लगभग ताल के 20 प्रतिशत एरिया में जलकुंभी फैली है। वहीं ताल के लगभग 70 प्रतिशत एरिया सिल्ट फैला हुआ है।

रामगढ़ताल एक नजर में

करीब 1700 एकड़ में फैला है रामगढ़ताल

राष्ट्रीय झील संरक्षण परियोजना के तहत हो रहा कायाकल्प

अप्रैल 2009 में स्वीकृत हुई थी परियोजना

2013 में पूरा होना था रामगढ़ताल के सौंदर्यीकरण का कार्य

शुरू में 124.32 करोड़, लेकिन समय बढ़ने के साथ 196 करोड़ की हो गई परियोजना

ये निर्माण कार्य होंगे

क्या होना था क्या हुआ

- केवल तीन सीवरेज ट्रीटमेंट का निर्माण होनी थी चार

- 1700 एकड़ का निकलना था सिल्ट निकला केवल 500 एकड़

- जलकुंभी पुरी तरह से साफ करना था 20 प्रतिशत एरिया में आज भी है जलकुंभी

- 3.25 किमी नए बंधे का निर्माण दो किमी बांध का अभी भी नहीं हुआ निर्माण

- 5 किमी मौजूदा बंधे का सुदृढ़ीकरण केवल मिट्टी डाल छोड़ दिया गया है

- ओपेन एयर थियेटर नहीं है

- दो ओमेगा आईलैंड नहीं है

- दो आब्जर्वेशन टावर नहीं है

- रामगढ़ताल में गिरने वाले नालों का सुदृढ़ीकरण नहीं हुआ

- 900 मिमी व्यास का नौ किमी लंबा राइजिंग मेन 20 प्रतिशत कार्य अधूरा