कई रैलियों और पॉलिटिकल इवेंट्स को देख चुके रामलीला मैदान पर जब-जब कोई पॉलिटिकल इवेंट हुआ तो उसकी धमक पूरे देश में सुनाई पड़ी. अन्ना हजारे का अनशन भी अब देश के इसी एतिहासिक मैदान पर होने जा रहा है. आइए आपको रूबरू करवाते हैं इस मैदान के कुछ एतिहासिक पहलुओं से-

Golden Moments

26 जनवरी 1963- इंडो-चाइना वॉर में भारत को मिली हार के बाद इसी मैदान पर फॉर्मर पीएम जवाहर लाल नेहरू की मौजूदगी में लता मंगेशकर ने ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ गीत गाया. शहीदों को समर्पित उनके इस श्रद्धांजली गीत ने नेहरू की आंखों में आंसू ला दिए थे.

1965- फॉर्मर पीएम लाल बहादुर शास्त्री ने इंडो पाक वार के दौरान यहां ‘जय जवान जय किसान’ का नारा  दिया.

1972- इंदिरा गांधी ने इसी मैदान पर आकर जनता के बीच इंडो-पाक वॉर की विक्ट्री को शेयर किया.

25 June 1975- जेपी ने एक रैली में रामधारी सिंह दिनकर की कविता ‘सिंहासन खाली करो कि जनता आती है’ के जरिए देश में एक नए युग की शुरुआत की. इस रैली के बाद ही आधी रात से देश भर में इमरजेंसी लागू हो गई.

Feb 1977- इसी मैदान पर जगजीवन राम, फॉर्मर पीएम अटल बिहारी वाजपेई, चरन सिंह और चंद्रशेखर पहली बार एक साथ आए. रैली के बाद देश में लगी इमरजेंसी को खत्म किया गया. इसके साथ ही इंदिरा गांधी को भी अपनी पीएम की कुर्सी से हाथ धोना पड़ा.

2004- लोकसभा इलेक्शन के दौरान सत्ता पर काबिज एनडीए की आखिरी रैली इसी मैदान पर हुई थी.

4 June 2011- रामदेव का अनशन भी इसी मैदान पर हुआ आखिरी बड़ा अनशन बना.

The symbol of ‘Shahi’ celebration 

रामलीला मैदान पुरानी दिल्ली में है. दिल्ली के इतिहासकार रोनाल्ड विवियन स्मिथ के मुताबिक जहां पर आज रामलीला मैदान है वहां पर कभी एक तालाब हुआ करता था. इसे शाहजी-का-तालाब कहते थे. उस समय रामलीला का केवल केवट वाला सीन यहां पर होता था और बाकी रामलीला यमुना नदी के पास होती थी. मुगल बादशाह लाल किले से  ही रामलीला का मजा उठाते थे. सन 1930 में इस शाहजी-का-तालाब को रामलीला मैदान में बदल दिया गया.

जब खोने लगी थी चमक

1980 और 1990 के दौरान दिल्ली का बोट क्लब रैलियों के लिए फेवरिट जगह बन गया था. बाद में फॉर्मर पीएम नरसिम्हा राव ने बोट क्लब में किसी भी पॉलिटिकल रैली पर बन लगा दिया तो एकबार फिर से रामलीला ग्राउंड रैलियों पर रैलियां होने लगीं.

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