अद्भुत--------------राज्यभर में आज निकलेगी रामनवमी की भव्य शोभायात्रा

रांची :

राजधानी रांची सहित पूरा झारखंड आज रामधुन पर थिरेकगा। रामजी की सवारी निकलेगी। महावीरी पताका होगा। पारंपरिक हथियार होंगे और जयश्री राम का उद्घोष होगा, जिसकी तैयारी पूरी हो चुकी है। श्रीमहावीर मंडल, केंद्रीय समिति के नेतृत्व में रामनवमी शोभायात्रा निकाली जाएगी। शोभायात्रा के संचालन को ले पूरे रांची को सात क्षेत्रों में बांटकर संचालन व नेतृत्व के लिए कुल 17 टोलियों का गठन कर लोगों को जिम्मेदारी सौंपी गई है। रांची और हजारीबाग में रामनवमी का नजारा अद्भुत है। साम्प्रदायिक सौहा‌र्द्र के इस त्योहार में आस्था है, प्रेम है, परंपरा है और भाईचारा की झलक। इस मौके पर पूरे झारखंड में सभी धर्म के लोग शामिल होते हैं। आज रामनवमी की मुख्य शोभायात्रा निकलेगी, जिसमें लाखों लोग शामिल होंगे।

सौहा‌र्द्रपूर्ण माहौल

रामनवमी के दिन महावीरी झंडा लेकर गुजरनेवाले मार्गो पर हर धर्म और संप्रदाय के लोग शोभायात्रा में शामिल श्रद्धालुओं के लिए सेवा करते दिखते हैं। क्या मंदिर, क्या मस्जिद, क्या गुरुद्वारा सभी जगहों पर शिविर लगा कर विभिन्न धर्मावलंबी दूर-दूर से महावीरी झंडा उठा कर लाने वाले श्रद्धालुओं की प्यास चना-गुड़ और शरबत देकर बुझाते हैं.जयश्री राम और जय हनुमान के जयकारे के बीच आस्था के महापर्व रामनवमी में मजहब की दीवारों के गिरने की यह पुरानी परंपरा है। वर्षो से सभी धर्म और संप्रदाय के लोग दोपहर से ही महावीरी झंडे की शोभायात्रा के स्वागत मे खड़े हो जाते हैं, जो सिलसिला देर रात तक चलता है। राजधानी रांची में लाखों लोग महावीरी पताका लेकर चलते हैं। इनमें 100, 150, 200, 250 से 350 फीट तक के महावीरी पताके भी शामिल होते हैं। जुलूस में पताका बड़ी से बड़ी निकालने की होड़ भी रहती है।

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हिंदपीढ़ी के गफ्फार बेच रहे झंडा

रांची में शमीम अंसारी, हिंदपीढ़ी के गफ्फार और अमन अंसारी की अपर बाजार के गांधी चौक स्थित दुकानों पर गुरुवार को खासी भीड़ रही। सभी झंडा बेच रहे थे। सभी पूरी तत्परता के साथ खरीदारों को महावीरी पताका दिखा रहे थे। रांची के अलावा हजारीबाग, जमशेदपुर, धनबाद, बोकारो, डालटनगंज, देवघर, आदि बड़े शहरों में रामनवमी का जुलूस भक्त निकालते हैं।

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1929 में हुई थी शुरुआत

रांची में पहली रामनवमी की शोभायात्रा 17 अप्रैल, 1929 को निकली थी। यहां रामनवमी की शुरुआत हजारीबाग के रामनवमी जुलूस को देखकर किया गया था। हजारीबाग में रामनवमी जुलूस गुरु सहाय ठाकुर ने 1925 में वहां के कुम्हारटोली से प्रारंभ की थी। रांची के श्रीकृष्ण लाल साहू की शादी हजारीबाग में हुई थी। 1927 में रामनवमी के समय वे अपने ससुराल में थे और वहां की रामनवमी जुलूस को देखा। रांची आकर अपने मित्र जगन्नाथ साहू सहित अन्य मित्रों को वहां की रामनवमी के बारे में बताया। इसके बाद मित्रों में उत्सुकता जगी और 1928 में वहां की रामनवमी को देखने लोग हजारीबाग गए और इसके बाद 1929 में रांची में इसकी शुरुआत कर दी। पहली शोभायात्रा 17 अप्रैल, 1929, दिन बुधवार को निकली थी। इसके लिए खादी का झंडा बनवाया गया।

1936 में महावीर मंडल का गठन

936 में श्री महावीर मंडल का गठन किया गया, जिसके पहले अध्यक्ष नागा बाबा ज्ञान प्रकाश बनाए गए। इसके बाद महावीर मंडल के नेतृत्व में ही शोभायात्रा निकलने लगी। मंडल का गठन होते ही रांची में उत्साह का वातावरण बन गया। इसके बाद यह शोभायात्रा तपोवन मंदिर तक जाने लगी। मुहल्लों में अखाड़ों का गठन किया जाने लगा। महावीर चौक पर गणेश मंदिर का भी निर्माण किया गया। आज शोभायात्रा और भव्य रूप में निकल रही है। हर दिन भीड़ बढ़ती जा रही है।

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