RANCHI : अपना कम से कम एक आशियाना हो, यह हर किसी का सपना होता है। जिंदगी भर की गाढ़ी कमाई से लोग फ्लैट लेते हैं, लेकिन अगर उसी फ्लैट को चाहे किन्ही वजहों से खाली करने का अगर फरमान मिल जाए तो अपने घर से बेदखल होने के दर्द का सहज अनुमान लगाया जा सकता है। मुंबई में कैंपा कोला अपार्टमेंट में सैकड़ों परिवार कुछ ऐसे ही हालात से गुजर रहे हैं। फ्लैट खाली करने की मियाद पूरी हो चुकी है। इन्हें या तो खुद फ्लैट छोड़ना पड़ेगा या किसी भी वक्त इनसे जबरन फ्लैट खाली कराया जाएगा। कुछ ऐसा मामला राजधानी रांची के सहजानंद चौक के पास स्थित एक अपार्टमेंट का है। हाउसिंग बोर्ड के साथ हुए एग्रीमेंट के तहत एक्सल वेंचर ने इस अपार्टमेंट को बनाया है, पर इसके एग्रीमेंट को सरकार ने रद्द कर दिया है। अब मामला हाईकोर्ट में है। अगर कोर्ट ने सरकार के फैसले को बहाल रखा तो यहां रह रहे दर्जनों परिवार रास्ते पर आ जाएंगे।

हाउसिंग बोर्ड और बिल्डर्स में एमओयू

2006-07 में पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) के तहत झारखंड हाउसिंग बोर्ड और बिल्डिर्स के बीच एमओयू हुआ था। इस एमओयू के तहत रांची, धनबाद और जमशेदपुर में हाउसिंग बोर्ड की खाली पड़ी जमीन पर बिल्डिर्स को रेसिडेंसियल और कॉमर्शियल बिल्डिंग्स बनाना था और इसमें होने वाली प्रॉफिट का कुछ हिस्सा हाउसिंग बोर्ड को मिलना था। इसी पीपीपी के तहत राजधानी रांची के सहजानंद चौक पर एक कॉमर्शियल कम रेसिडेंशियल कॉम्प्लेक्स बनाने के लिए हाउसिंग बोर्ड और एक्सेल वेंचर के बीच भी एग्रीमेंट हुआ था।

2011 में एग्रीमेंट कैंसिल

हाउसिंग बोर्ड और एक्सेल वेंचर के बीच सहजानंद चौक पर बिल्डिंग बनाने का एग्रीमेंट सीएम अर्जुन मुंडा के शासनकाल में हुआ था। मामला 2006-07 का है, लेकिन जब मधु कोड़ा सीएम बने तो हाउसिंग बोर्ड की जमीन प्राइवेट बिल्डिर्स को देने का मामला गरमा गया। बिल्डर्स को हाउसिंग बोर्ड की जमीन देने के एग्रीमेंट को नियम-कानूनों के विरूद्ध बताया जाने लगा। इसकी जांच के लिए कमिटी भी बनाई गई। अंतत: कोड़ा सरकार ने 2011 में एक्सल वेंचर के साथ किए गए एग्रीमेंट को रद्द कर दिया। हालांकि, चार साल में सहजानंद चौक पर अपार्टमेंट बनकर तैयार हो चुका था और कमोबेश सभी फ्लैट्स बुक हो चुके थे।

अपार्टमेंट में 114 फ्लैट्स

सहजानंद चौक के पास एक्सल वेंचर द्वारा पांच ब्लॉक में अपार्टमेंट बनाए गए हैं। इन अपार्टमेंट्स में 114 फ्लैट्स हैं। इन फ्लैट्स में कई फैमिली मेंबर्स शांति से रहते आ रहे थे कि 2011 में उन्हें उस वक्त झटका लगा, जब झारखंड गवर्नमेंट ने एक्सल वेंचर के एग्रीमेंट को रद्द कर दिया।

हाउसिंग बोर्ड के खाली हैं फ्लैट्स

एग्रीमेंट के तहत सहजानंद चौक के पास बने अपार्टमेंट्स के 114 फ्लैट्स में 74 फ्लैट्स एक्सल वेंचर के हिस्से में आया था। वेंचर के द्वारा अपने हिस्से की सभी फ्लैट्स बेची जा चुकी है। इन फ्लैट्स में लोग रह भी रहे हैं, जबकि हाउसिंग बोर्ड के हिस्से में आए 40 फ्लैट्स आज भी खाली पड़े हुए हैं।

हाईकोर्ट पहुंचा मामला

2011 में झारखंड गवर्नमेंट द्वारा हाउसिंग बोर्ड और बिल्डिर्स के बीच हुए एग्रीमेंट को रद्द किए जाने के खिलाफ कई बिल्डर्स और फ्लैट ओनर्स ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। बिल्डिर्स की रिट पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने स्टे ऑर्डर जारी किया है। अब इस मामले पर कोर्ट का फैसला आना बाकी है।

बिल्डिंग के कंस्ट्रक्शन पर ग्रहण

कांके रोड में भी एक अपार्टमेंट के कंस्ट्रक्शन वर्क पर ग्रहण लग गया है। यह अपार्टमेंट 16 मंजिली है। इसके कई फ्लैट्स बुक हो चुके हैं, लेकिन चीफ सेक्रेटरी के ऑर्डर के बाद अपार्टमेंट बनाने का काम रूक गया है। एडमिनिस्ट्रेशन का कहना है कि कम स्पेस में आखिर 16 मंजिली बिल्डिंग कैसे बन रही है। यह बिल्डिंग बायलॉज का उल्लंघन है। इस मामले की जांच का जिम्मा रांची म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन को दिया गया है।