RANCHI: स्वच्छता सर्वे खत्म होते ही राजधानी के कई इलाकों में सफाईकर्मी से लेकर ट्रैक्टर तक वापस हो गए है। इससे वार्डो में कचरे का अंबार लगने लगा है। इतना ही नहीं, सड़कों पर झाड़ू लगाने वाला भी कोई नहीं है। इसे लेकर पार्षदों ने अधिकारियों को पत्र भी लिखा, लेकिन उनके कानों पर जूं तक नहीं रेंग रहा है। अगर जल्द ही सफाई व्यवस्था नहीं सुधरती है तो स्थिति नारकीय हो जाएगी। बताते चलें कि सिटी में सफाई का जिम्मा एस्सेल इंफ्रा कंपनी की एमएसडब्ल्यू को दिया गया है।

नगर निगम का लेबर भी वापस

वार्डो में सफाई का काम एमएसडब्ल्यू देख रही है। वहीं नगर निगम की ओर से भी सफाई के लिए लेबर उपलब्ध कराए गए थे। लेकिन स्वच्छता सर्वे के बाद लेबर भी वापस बुला लिये गए। अब एजेंसी के लोग घरों से कचरा उठाकर चले जाते हैं। लेकिन सड़क किनारे का कचरा देखने वाला कोई नहीं है।

इलाका बढ़ा पर नहीं बढ़े स्टाफ

परिसीमन के बाद वार्डो का बंटवारा कर दिया गया। पहले की तुलना में इलाका भी काफी बड़ा हो गया। उस हिसाब से वार्डो में सफाई बेहतर करने के लिए स्टाफ्स बढ़ाने की जरूरत थी। लेकिन स्टाफ्स बढ़ाने के बजाय घटा दिए गए।

क्या कहते हैं वार्ड पार्षद

पब्लिक को परेशानी होती है, तो हमारे पास लोग आते हैं। हम अधिकारियों को पत्र लिखते हैं लेकिन उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता। आखिर अधिकारी नहीं सुनेंगे तो हमारी परेशानी कौन सुनेगा। सबसे ज्यादा दिक्कत कचरा और साफ-सफाई को लेकर है। अगर एजेंसी काम करने में सक्षम नहीं है तो उसे ब्लैकलिस्टेड क्यों नहीं किया जाता। दिखावे के लिए लेटर दिया जाता है और कुछ दिन में सब फिर वही स्थिति। आखिर एजेंसी पर इतनी मेहरबानी क्यों।

-जेरमिन कुजूर, पार्षद, वार्ड 15

कचरे की समस्या से पूरा वार्ड परेशान है। पहले नगर निगम का ट्रैक्टर था और स्टाफ भी थे। लेकिन सब वापस ले लिए गए हैं। अब अधिकारी भी हमारी बात नहीं सुनते हैं। जनता को जवाब तो हमें ही देना पड़ता है। सफाई के अलावा पानी की समस्या से भी लोग परेशान हैं। इससे तो अच्छी पहले की व्यवस्था थी, जहां हमलोग खुद से सफाई करवाते थे। एजेंसी के आने के बाद ही सब चौपट हो गया।

-अर्जुन यादव, पार्षद, वार्ड 10

वर्जन

ऐसी कंप्लेन मिली है कि सफाई करने वाली एजेंसी ने गाडि़यां कम कर दी है। स्टाफ भी कम हो गए हैं। एजेंसी के अधिकारियों को मीटिंग के लिए मैंने बुलाया है। उनसे जानकारी मांगी गई है कि कांट्रैक्ट में सफाई को लेकर क्या-क्या शर्ते हैं। इसके बाद एजेंसी पर कार्रवाई की जाएगी।

-संजीव विजयवर्गीय, डिप्टी मेयर, रांची