RANCHI: ट्रांसपोर्ट सिस्टम दुरुस्त नहीं होने के कारण लिवएबल सिटी की रैंकिंग में रांची पिछड़ गई है। देशभर के शहरों में रांची को 68वां स्थान मिला है। इसके बाद से रांची नगर निगम की नींद खुल गई है और अब खुद से सिटी बस चलाने का निर्णय लिया गया है। गौरतलब हो कि सिटी बस चलाने के लिए आठ बार टेंडर निकाले जाने के बावजूद कोई एजेंसी या संगठन आगे नहीं आया। ऐसे में नगर निगम ने अब और टेंडर नहीं निकालने और सिटी बसों को खुद से चलाने का निर्णय लिया है। इसके लिए नगर आयुक्त को प्रेजेंटेशन दिखाने के बाद संचालन के लिए ड्राइवर और कंडक्टरों को आमंत्रित किया जाएगा। ताकि सिटी में ट्रांसपोर्ट सिस्टम को दुरुस्त किया जा सके।

सिटी बस चलने से सुधरेगी स्थिति

ट्रांसपोर्ट सिस्टम ठीक नहीं रहने के कारण रांची को रैंकिंग में कम नंबर मिले है। इस वजह से दशभर के शहरों में रांची को 68वां स्थान मिला है। जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि अगर यहां पर पब्लिक ट्रांसपोर्ट के लिए रेगुलर बसें चालू हो जाएं तो लोगों को राहत होगी। वहीं टाइमिंग तय होने से से लोग बसों में चलना ही पसंद करेंगे। वर्तमान में बस में बैठने के बाद यह तय नहीं है कि बस किस समय किस स्टॉप पर होगी।

दो संचालक चला रहे थे सिटी बस

राजधानी में बसों को चलाने के लिए टेंडर किया गया था। जिसमें किशोर मंत्री और सुरेश सिंह बसों का संचालन कर रहे थे। लेकिन सही ढंग से बसों का संचालन नहीं करने के कारण टेंडर कैंसिल कर दिया गया है। वहीं बसों को उनसे वापस भी ले लिया गया है। कुछ बसों का सरेंडर करने की प्रक्रिया चल रही है। जिसे जल्द ही पूरा कर लिया जाएगा।

आठ बार टेंडर फिर भी कोई नहीं आया

बसों का टेंडर कैंसिल करने के बाद रांची नगर निगम ने नया टेंडर निकाला। लेकिन एक के बाद एक लगातार आठ टेंडर के बाद भी किसी ने बसों के संचालन करने में कोई इंटरेस्ट नहीं दिखाया। हर बार टेंडर में रेट भी बढ़ाया गया, साथ ही शर्तो में भी छूट दी गई। इसके बाद भी कोई बसों के संचालन करने को लेकर तैयार नहीं हुआ।

26 नई व 65 पुरानी बसें हैं आरएमसी के पास

सिटी में ट्रांसपोर्ट के लिए रांची नगर निगम के पास 91 बसें है। जिसमें से 65 पुरानी बसें स्वराज माजदा की हैं। जबकि 26 नई बसों की खरीदारी की गई है। अगर सभी बसों को एक साथ सिटी की सड़कों पर उतार दिया जाए तो आटो पर पैसेंजर्स का बोझ कम हो जाएगा। वहीं लोग भी कम खर्च में आरामदेह सफर कर सकेंगे।