RANCHI :कोयलांचल पर कब्जे की धमक अब रांची तक पहुंच चुकी है.रांची पुलिस की सक्रियता से सिटी को इस बार तो गैंगवार से बचा लिया गया लेकिन कोयले पर कब्जे की इस जंग के खुलासे ने अपराधियों के मनसूबों को साफ कर दिया है। रांची से बरामद एके 47 के टारगेट पर 40 शातिर अपराधी थे जो सेफ हैं। पुलिस ने एके 47 समेत हथियारों का जखीरा तो बरामद किया ही साथ ही जघन्य कांडों को अंजाम देने की साजिश रच रहे 6 अपराधियों को धर दबोचा। इन अपराधियों से पूछताछ में श्रीवास्तवऔर पांडेय गैंग के बीच गैंगवार शुरु होने का खुलासा हुआ। दोनों आपराधिक गिरोहों के इतिहास ने

पुलिस अधिकारियों की नींद उड़ा दी है। स्टेट के कैपिटल को सेफ करने के लिये अधिकारियों की मैराथन बैठक चालू है।

शूटर्स के निशाने पर था पांडेय गिरोह का फंड मैनेजर

पांडेय और श्रीवास्तव गुट की अदावत के पहले शिकार बने पंकज गुप्ता दरअसल शूटर्स का टारगेट थे ही नहीं। शूटर्स के निशाने पर पांडेय गिरोह की कमान संभालने वाला विकास तिवारी का राइट हैंड मनोज शुक्ला था जो उसका फंड मैनेजमेंट देखता है। श्रीवास्तव गैंग के सूप्रीमो अमन श्रीवास्तव ने खलारी निवासी असलम को टास्क सौंपा.असलम ने मनोज के साथ रहने वाले दो लोगों से मनोज के नगड़ी पहुंचने की जानकारी हासिल की।

दोनों शूटरों को मनोज के रूप में पंकज गुप्ता की पहचान करा दी। इसके बाद मनोज समझकर पंकज गुप्ता पर ताबड़तोड़ गोलियां चला दी। इस गलत निशानदेही को मनोज के कर्मियों परवेज और अकबर की वफादारी माना जा रहा है। पकड़े गए आरोपियों की पहचान सीसीटीवी फुटेज से की है। पुलिस के पास कई इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य भी मौजूद है।

रांची में हो जाती 40 हत्याएं

एसएसपी ने बताया कि अगर अपराधी इअपने मंसूबों में कामयाब हो जाते और एके 47 गरज पड़ती तो राजधानी में करीब 40 लोगों की हत्याएं हो जाती। एक बड़े गैंगवार की शुरुआत को तो नाकाम कर दिया गया है लेकिन सरगना जब तक पकड़ा ना जाए तब तक अलर्ट जरुरी है।

फोटोग्राफ से हो रही थी परफेक्ट प्लानिंग

मौत के घाट उतारे जाने वाले इन सभी 40 अपराधियों के नाम और तस्वीर पुलिस को मिले हैं। इसके अलावा श्रीवास्तव गुट के उन सभी अपराधियों, शूटरों और योजना बनाने वालों की भी पहचान कर ली गई है।

उनकी तलाश में पुलिस की छापेमारी जारी है। मामले में हिंदपीढ़ी थाने में भी आ‌र्म्स एक्ट समेत अन्य धाराओं में प्राथमिकी दर्ज की गई है। पुलिस सभी अपराधियों को जल्द रिमांड पर लेगी।

टेक्निकल सेल बना मददगार

एसएसपी ने टेक्निकल सेल और गुप्त सूचना के आधार पर सबसे पहले कर्बला चौक से हिंदपीढ़ी निवासी नवील अख्तर और उसके सहयोगी पुंदाग निवासी मुबारक अंसारी को दबोचा। उसकी निशानदेही पर घर में छापेमारी करते हुए हथियार और रुपए बरामद किए गए। मनोज के सहकर्मियों परवेज और अकबर को भी पकड़ा गया। इसके बाद एक-एक कर हिंदपीढ़ी मोजाहिद नगर निवासी रजिया खातून और इटकी निवासी जहीर को गिरफ्तार किया गया। मामले में शूटर असलम, मेदुल के अलावा अन्य आरोपी फरार हैं। रजिया हथियारों को सुरक्षित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

क्या-क्या बरामद हुए

तीन मैगजीन के साथ एके-47, छह पिस्टल, एक रिवॉल्वर, छह देसी कट्टा, नौ पिस्टल का मैगजीन, एके-47 की 60 गोलियां, .315 बोर की 45 गोलियां, 7.62 बोर की 27 गोलियां, .38 बोर की चार गोलियां, 500 ग्राम विस्फोटक सामग्री, 40 मोबाइल, दो बाइक, एक बैग, हेलमेट, 40 की तस्वीर और 17.50 लाख रुपए कैश बरामद हुए हैं।

छापेमारी टीम में कौन थे

एसएसपी कुलदीप द्विवेदी, ग्रामीण एसपी अजीत पीटर डुंगडु़ंग, डीएसपी भोला प्रसाद सिंह, विजय कुमार सिंह, यशोधरा, इंस्पेक्टर रतिभान सिंह, सबइंस्पेक्टर राम नारायण सिंह, तारीक अनवर, मनबोध यादव, शाह फैसल, नवीन कुमार सिंह सहित क्यूआरटी टीम शामिल थी।