Ranchi : इस संबंध में एसएसपी कुलदीप द्विवेदी ने सभी डीएसपी के साथ बैठक कर जल्द से जल्द एसपीओ बहाल करने की दिशा में पहल करने पर बल दिया है। इतना ही नहीं, पुलिस नियुक्ति में स्थानीय युवक-युवतियों को शैक्षिक और शारीरिक योग्यता में छूट दी जाएगी। एसपीओ के रूप में मात्र तीन हजार वेतन पाने वाले आदिवासी युवकों को अब कम से कम दस हजार रुपये वेतन पा सकेंगे और नौकरी भी स्थायी होगी।

 

रुरल एसपी करेंगे मॉनिटरिंग

एसएसपी कुलदीप द्विवेदी ने बताया कि एसपीओ बहाली के लिए जल्द ही प्रक्रिया शुरू होगी। इसके लिए सभी संबंधित डीएसपी को कहा गया है कि वे अपने इलाके के लिए एसपीओ को चयनित कर उसका प्रस्ताव रुरल एसपी को भेजें। रुरल एसपी ही एसपीओ बहाली की ना सिर्फ मॉनिटरिंग करेंगे, बल्कि वे इसके लिए अधिकृत भी होगें।

 

कई एसपीओ डर से छोड़ चुके हैं पद

झारखंड सरकार ने वर्ष 2001 में एक कानून बनाकर 18 से 25 साल तक के आदिवासी युवकों को एसपीओ बनाने का रास्ता खोला था। इन्हें तीन हजार रुपये वेतन दिया जाता था। इसकी 80 प्रतिशत राशि केन्द्र सरकार देती थी। रांची जिले में सौ से अधिक एसपीओ की नियुक्ति की गई थी, लेकिन कई लोगों ने नक्सलियों के डर से पल्ला झाड़ लिया था।

 

झारखंड में एसपीओ के छह हजार हैं पद

केंद्र ने झारखंड समेत बिहार, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र एवं ओडि़शा जैसे नक्सल प्रभावित राज्यों के 35 जिलों में महिला एसपीओ की तैनाती के लिए आवश्यक कदम उठाने के लिए कहा था। झारखंड में एसपीओ नियुक्ति मामले की संख्या में 16 जिलों को शामिल किया गया है। राज्य में पुरुष एसपीओ के लिए 6000 पद आइडेंटिफाई किए गए हैं। जिलों और खुफिया विभाग में इनकी अलग -अलग तैनाती है। करीब 42 सौ पुरुष एसपीओ राज्य के नक्सल प्रभावित जिलों में काम कर रहे हैं।