स्लग: आरआरडीए ने 12 अगस्त से एक माह का दिया था समय, दो बार डेट भी एक्सटेंड हुई

-जीएम, आदिवासी व सरकारी जमीन पर बने मकानों को रेगुलर कराने में लोगों का इंट्रेस्ट नहीं

mayank.rajput@inext.co.in

RANCHI (24 Nov ): रांची शहरी क्षेत्र से बाहर लगभग म्0 हजार अवैध मकान हैं, लेकिन, इन्हें रेगुलर कराने के लिए मात्र फ्क्0 आवेदन ही रांची रिजनल डेवलपमेंट ऑथोरिटी (आरआरडीए) को मिले हैं। गौरतलब हो कि क्ख् अगस्त को नगर विकास व आवास विभाग ने इन अवैध मकानों को रेगुलर कराने का मौका देते हुए आवेदन देने को कहा था। दो बार डेट भी एक्सटेंड की गई। इसके बावजूद आवेदक नहीं पहुंचे। जबकि आरआरडीए ने सभी लोगों को नोटिस व फार्म दिया था कि जिन लोगों ने अवैध तरीके से अपने मकान का निर्माण कर रखा है, वो कुछ शर्तो के साथ आरआरडीए से अपने मकान को रेगुलराइज करा सकते हैं। आरआरडीए उपाध्यक्ष अरविंद प्रसाद कहते हैं कि हमलोग बार-बार लोगों को मकान रेगुलर कराने के लिए नोटिस निकाल रहे हैं, लेकिन लोग ही आगे नहीं आ रहे हैं। जबकि यह भी निर्देश है कि आवेदन नहीं करने वालों के मकान अवैध ही रह जाएंगे।

एक्सपोज होने का डर

दरअसल, बहुत सारे लोगों ने जीएम लैंड, आदिवासी जमीन, सरकारी जमीन पर घर बना लिया। इन लोगों ने पहले ही गलत जमीन पर घर बनाई है और अब खुद से एक्सपोज ना हों, इसलिए आवेदन नहीं दे रहे हैं।

क्या हाेगा फायदा

आरआरडीए ने मकानों को रेगुलराइज करने का जो नियम तय किया है, उसके अनुसार जिन लोगों ने मकान बनाने से पहले नक्शा पास नहीं कराया है, उनके मकान का नक्शा पास किया जाएगा। साथ ही जो आरआरडीए का बायलॉज है, उसके अनुसार कुछ फाइन करके मकान को भी रेगुलर कर दिया जाएगा।

हो सकता है एक्शन

राज्य सरकार ने ख्0क्ख् में ही एक नियमावली बना कर तय कर दी थी कि पूरे राज्य में बने अवैध मकानों को चिन्हित करके रेगुलराइज किया जाए, लेकिन उस समय सरकार की कोई रिपोर्ट नहीं मिली थी। उसके बाद यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया। अब फिर से नगर विकास विभाग ने लोगों से अपने घरों के सारे डिटेल्स मांगे थे। पहले पूरा डाटा नहीं मिलने के बाद सबक लेते हुए इस बार सरकार ने डेट तय करके चेतावनी भी दी है कि अगर डिटेल्स जमा नहीं करते हैं, तो कार्रवाई भी की जा सकती है।

सुविधा देना चाहती है सरकार

उपाध्यक्ष अरविंद प्रसाद का कहना है कि कितने घर अवैध हैं, उसका डाटा सरकार के पास नहीं है। ऐसे में सरकार का तर्क है कि अगर हमारे पास पूरा डाटा आ जाए, तो लोगों के लिए सुविधा उपलब्ध कराएंगे। अभी शहरों में बहुत सारे लोग ऐसे हैं, जो अवैध रूप से मकान बना चुके हैं और उनको सरकार द्वारा सारी सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं। सरकार का यह भी मानना है कि जिन लोगों ने तय शर्तो को नहीं मानकर घर बनाया है, वो जानमाल के लिए भी खतरा हैं। पर्यावरण के लिए भी खतरा हैं। इसलिए जरूरी है कि सभी को रेगुलराइज करके सरकार उनकी मदद करे।

वर्जन

रांची शहर के बाहर जिन लोगों ने अवैध मकान बना रखा है, उनको रेगुलर कराने के लिए अगस्त महीने में ही आवेदन मांगा गया था। लेकिन सिर्फ फ्क्0 लोगों ने ही आवेदन दिया है। उसको वैध कराने के लिए हमने सरकार को भेज दिया है।

-अरविंद प्रसाद, उपाध्यक्ष, आरआरडीए, रांची