RANCHI : अवार्ड भी बिकते हैं। यह सुनकर थोड़ा अटपटा जरूर लगता है, पर सच्चाई यही है। मामला रांची यूनिवर्सिटी से जुड़ा है। इस साल जनवरी में ऑक्सफोर्ड (यूनाइटेड किंगडम) की द सोकरेट कमिटी की ओर से रांची यूनिवर्सिटी को बेस्ट रिजनल यूनिवर्सिटी के खिताब से नवाजा गया। अवार्ड को लेने के लिए वीसी डॉ एलएन भगत ऑक्सफोर्ड गए थे। वीसी महोदय ने अवार्ड तो ले लिया, पर इसके लिए उन्होंने 3.80 लाख रुपए खर्च कर डालें। आने-जाने में जो खर्च हुआ सो अलग। कुल मिलाकर वीसी ने पांच लाख रुपए खर्च कर एक अवार्ड को अपने नाम किया। खरीदे गए इस अवार्ड को लेकर मामला तूल पकड़ रहा है।

अवार्ड के लिए कराया रजिस्ट्रेशन

वीसी डॉ एलएन भगत ने बेस्ट रिजनल यूनिवर्सिटी का अवार्ड प्राप्त कर वाहवाही लेनी चाहिए, पर मामला उल्टा पड़ रहा है। द सोकेरेट कमिटी से अवार्ड पाने के लिए वीसी महोदय ने सिर्फ रजिस्ट्रेशन पर ही 3.80 लाख रुपए खर्च कर डाले। इसके अलावे वीसी के एयर फेयर पर करीब 87 हजार रुपए का खर्च आया। होटल में रहने व खाने-पीने पर 56653 रुपए खर्च हुए। वीजा पर 8400 रुपए व दूसरे खर्चो को मिलाकर कुल बिल 5,37627 रुपए का बना। इन सभी खर्चो का बिल यूनिवर्सिटी के अकाउंट से भरा गया। सोशल एक्टिविस्ट प्रतुल शाहदेव द्वारा आरटीआई के जरिए मांगी गई जानकारी में ये बातें सामने आई हैं।

गवर्नर हाउस से टूर रिजेक्ट

पिछले साल दिसंबर में यूनिवर्सिटी की सीनेट की मीटिंग के बाद वीसी का टूर प्लान बना। वीसी को बेस्ट रिजनल यूनिवर्सिटी का अवार्ड लेने के लिए यूके जाना था। इस बाबत यूनिवर्सिटी की ओर से गवर्नर हाउस को लेटर भेजा गया। गवर्नर हाउस ने वीसी द्वारा भेजे गए लेटर को पहली बार रिजेक्ट कर दिया था। इसके बाद वीसी ऑफिस से दुबारा गवर्नर हाउस लेटर भेजा गया। ऐसे में गवर्नर हाउस ने लेटर भेजा कि इस बाबत होनेवाला खर्च यूनिवर्सिटी वहन करेगी। स्टेट गवर्नमेंट की ओर से फंड अलॉट नहीं किया जाएगा।

एसटी-एससी को नहीं मिलता स्टाइपेन

यह कितनी अजीबोगरीब बात है कि रांची यूनिवर्सिटी के फॉरेन टूर पर पांच लाख रुपए खर्च किए जा रहे हैं, तो दूसरी ओर पीजी के एसटी-एससी स्टूडेंट्स को स्टाइपेन का पेमेंट करने में यूनिवर्सिटी कोताही बरतती है। इन स्टूडेंट्स को समय पर स्टाइपेन नहीं मिलता है। खास बात है कि पीजी में एसटी-एसटी स्टूडेंट्स से एग्जाम फी नहीं लेना है, फिर भी इस साल पीजी फोर्थ सेमेस्टर के फॉर्म भरने के वक्त एसटी-एससी स्टूडेंट्स से फी जमा लिया गया। इतना ही नहीं, रिसर्च स्कॉलर्स को पिछले डेढ़ साल से फेलोशिप नहीं मिली है, पर इस ओर वीसी डॉ एलएन भगत का कोई ध्यान नहीं है। इस बाबत जब आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने वीसी से बात करनी चाही तो उन्होंने कॉल रिसीव नहीं किया।