RANCHI: हमारा नेता कैसा हो। यह वो सवाल है जो रांची यूनिवर्सिटी और कॉलेजों के स्टूडेंट्स खुद से पूछ रहे हैं। और यह सवाल इसलिए क्योंकि छात्र संघ चुनाव की अधिसूचना जारी हो चुकी है। इस सवाल का जवाब देते हुए पीजी पॉलिटिकल साइंस के स्टूडेंट राजीव कुमार महतो ने बताया कि रांची यूनिवर्सिटी की शैक्षणिक बदहाली दूर करना सबसे बड़ी जरूरत है। यूनिवर्सिटी के पीजी डिपार्टमेंट और कॉलेजों में यूजीसी के मानकों की तुलना में स्टूडेंट-टीचर अनुपात नहीं है। इसे ठीक किया जाना जरूरी है। वहीं, पीजी हिन्दी डिपार्टमेंट के रिसर्च स्कॉलर अजय कुमार ने बताया कि लाइब्रेरी में बैठने की सुविधा नहीं है। यह बहाल होनी चाहिए। वहीं पीजी छात्र लक्ष्मण प्रसाद ने बताया कि आरयू में टीचर्स की बहाली समेत बेहतर प्लेसमेंट व्यवस्था की जरूरत है। छात्र नेता ऐसा हो, जो इस दिशा में दबाव बनाए और छात्र हित में आवाज उठाए।

वर्जन-

हमें ऐसा छात्र नेता चाहिए, जो स्टूडेंट्स के हितों की बात करे। सेशन अनियमित होना, रिजल्ट समय पर न आना जैसी कई समस्याएं हैं। छात्र नेता ऐसा हो, जो इन समस्याओं को दूर करने के लिए आवाज उठाए।

-वर्षा रानी, छात्रा, एमकॉम

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रिसर्च के क्षेत्र में यूनिवर्सिटी में बहुत कुछ किए जाने की जरूरत है। टीचर्स की कमी है और बुनियादी सुविधाएं भी नदारद हैं। इन समस्याओं को दूर करनेवाला छात्र नेता चाहिए।

सुधा कुमारी

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आरयू में कई बार क्लासेज स्थगित रहती हैं। समय पर टीचर नहीं आते। मार्कशीट मिलने में भी दिक्कत होती है। ये समस्याएं एक दिन में तो सुलझ नहीं जाएंगी, पर हमें ऐसा छात्र नेता चाहिए जो इन मुद्दों पर बेबाक होकर काम करे।

एजाज अहमद, एमबीए स्टूडेंट

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पीजी कॉमर्स डिपार्टमेंट में पानी की व्यवस्था नहीं है। यह प्रॉब्लम दूर हो। 22 पीजी डिपार्टमेंट्स में 9000 से अधिक स्टूडेंट्स हैं, पर उसकी तुलना में सेंट्रल लाइब्रेरी में बैठने की जगह नहीं है। इस समस्या का समाधान करनेवाला छात्र नेता चाहिए।

प्रियंका कुमारी, स्टूडेंट

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आरयू में शिक्षा को तकनीक से जोड़ने की जरूरत है। रिसर्च थीसिस ऑनलाइन होना चाहिए और शैक्षणिक बदहाली दूर होनी चाहिए। इसलिए छात्र नेता ऐसा हो, जो इन मुद्दों को उठाकर इन्हें सार्थक बदलाव तक ले जाए।

राजीव कुमार महतो, स्टूडेंट

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रांची यूनिवर्सिटी में शैक्षणिक बदहाली दूर करने के लिए टीचर्स की बहाली जरूरी है। उस दिशा में काम हो। सत्र नियमित हों और कक्षाओं में समय पर टीचर आएं। यही बुनियादी जरूरत है और हमें ऐसा नेता चाहिए जो इस दिशा में काम करे।

अजय कुमार, रिसर्च स्कॉलर, हिन्दी

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यूनिवर्सिटी हो या कॉलेज, कहीं भी समस्याओं की कमी नहीं है। इन्हें दूर करना जरूरी है। ऐसे में हमें छात्र हित में काम करनेवाला जुझारू नेता चाहिए।

सोनू कुमार साहू

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मैं तरक्की चाहता हूं.फोटो जरूर लगाएं

मैं आरयू कैंपस में खड़ा कटहल का पेड़ हूं। पर मैं केवल पेड़ नहीं, गवाह भी हूं। गवाह इसलिए कि मैंने अपनी छांव तले रांची यूनिवर्सिटी को ऊंचा उठते देखा है। छात्र राजनीति देखी है। छात्र नेताओं को देखा है और जिन स्टूडेंट्स के बलबूते छात्र नेता चमकते हैं, उन्हें भी देखा है। मैंने सुबोधकांत सहाय को देखा है, बंधु तिर्की को देखा है, अमित महतो और अपने नीचे बैठते तनुज खत्री को यहां से उठकर लंदन तक का सफर तय करते भी देखा है। मैं आज तक मौन था, पर अब जब स्टूडेंट्स मुखर हो रहे हैं, मैं बोलना चाहता हूं। मैं कहना चाहता हूं कि रांची यूनिवर्सिटी तरक्की करे। शैक्षणिक तरक्की। इसके नाम का डंका वैसा ही बजे जैसा कैंब्रिज और ऑक्सफोर्ड जैसी यूनिवर्सिटीज का बजता है। मैं जानता हूं कि यह कोई आसान चाहत नहीं है। पर वह चाहत ही क्या, जो आसान हो। मैं डॉ रामदयाल मुंडा और डॉ एलपी विद्यार्थी जैसे शिक्षक चाहता हूं। मैं अनुशासन चाहता हूं। अमन चाहता हूं और चाहता हूं कि यहां ज्ञान की गंगा बहती रहे। पर मैं केवल चाहता ही नहीं हूं। मैंने अपनी क्षमताभर हवा दी है। ताकतभर छांव और फल दिया है और मैं यह भी जानता हूं कि बिना दिये कुछ मिलता नहीं है। तो मैं दानवीर कर्ण जैसे शिक्षार्थी और शोधार्थी चाहता हूं। मैं रांची यूनिवर्सिटी में ऐसे विद्यार्थी चाहता हूं, ऐसे शिक्षक चाहता हूं और ऐसे छात्र नेता चाहता हूं जो पूरी दुनिया में अपनी काबिलियत का डंका बजा सकें। मैं तरक्की चाहता हूं, और जब मैं तरक्की कह रहा हूं, तो यह शब्द मैं बड़े व्यापक अर्थो में उपयोग कर रहा हूं। उम्मीद करता हूं, आप मेरी बात समझ गए होंगे।