- पूर्ववर्ती बसपा सरकार भी कई मामलों में बुरी तरह घिरी थी

- बदायूं रेप कांड में राज्य सरकार की हुई थी किरकिरी

LUCKNOW: बुलंदशहर में शनिवार देर रात हुई गैंग रेप की घटना ने राज्य सरकार को भले ही कटघरे में खड़ा कर दिया हो लेकिन प्रदेश में यह पहला ऐसा मामला नहीं है जिसने राज्य सरकार की मुश्किलों में इजाफा किया हो। पूर्ववर्ती बसपा सरकार में पुलिसकर्मियों द्वारा गैंग रेप जैसे मामलों ने सरकार की फजीहत करायी तो दो साल पहले बदायूं में दो सगी बहनों की हत्या से पहले उनके साथ गैंग रेप किए जाने के दावे भी हुए। गनीमत रही कि बदायूं कांड की सीबीआई जांच में गैंग रेप की पुष्टि नहीं हुई जिससे राज्य सरकार को थोड़ी राहत जरूर मिली।

सियासत को गर्माने में अहम

इस तरह के मामले सूबे की सियासत को गरमाने में भी अहम भूमिका अदा करते रहे है। पूर्ववर्ती बसपा सरकार में भी तत्कालीन कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष रीता बहुगुणा जोशी ने मुख्यमंत्री मायावती को लेकर मुरादाबाद में विवादित बयान दिया था जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार होना पड़ा था। वहीं आक्रोशित बसपा नेताओं और कार्यकर्ताओं ने इसके विरोध में राजधानी के वीवीआईपी इलाके मॉल एवेन्यू में स्थित रीता बहुगुणा जोशी के मकान को फूंक डाला था। लखीमपुर खीरी के निघासन थाने में किशोरी की पुलिसकर्मियों द्वारा गैंग रेप के बाद हत्या के मामले ने भी खूब सियासत हुई। इसे लेकर बढ़ते जनाक्रोश के बाद यह मामला सीबीआई के सिपुर्द किया गया। बसपा सरकार में मंत्री रहे अवध पाल सिंह यादव और पुरुषोत्तम नरेश द्विवेदी पर भी दुराचार का मुकदमा दर्ज हुआ जिसमें उन्हें जेल भी जाना पड़ा।

बदायूं कांड ने कराई किरकिरी

वर्तमान समाजवादी पार्टी की सरकार में भी इस तरह के मामलों ने खासी सुर्खियां बटोरी। बदायूं में दो बहनों का शव गांव के बाहर पेड़ से लटकता मिला तो गैंग रेप के बाद हत्या की आशंका व्यक्त की जाने लगी। पुलिस जांच में अविश्वास जताने पर यह मामला भी सीबीआई के सिपुर्द किया गया। यूपी में हुए इस मामले ने अंतराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां भी बटोरी लेकिन बाद में गैंग रेप की पुष्टि नहीं हुई। राजधानी के मोहनलालगंज इलाके में रेप के बाद हत्या के मामले की पुलिसिया जांच में तमाम सवाल उठने लगे तो मामला सीबीआई को भेज दिया गया लेकिन सीबीआई ने इसकी जांच करने से इंकार कर दिया। वहीं हाल ही में मुख्यमंत्री आवास के पास लोहिया पथ पर स्कूली छात्रा के साथ गैंग रेप के बाद हत्या के मामले ने हर शहरवासी को झकझोर दिया।

पुलिस की मानसिकता जिम्मेदार

जानकारों की माने तो इस तरह के मामलों में सरकार की फजीहत की मुख्य वजह महिलाओं के प्रति पुलिस की मानसिकता है। सुप्रीम कोर्ट से लेकर राज्य सरकार तक महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों के मामले में अतिसंवेदनशील रवैया अख्तियार करने की नसीहत तो देती रही, लेकिन पुलिस के रवैये में कोई ठोस बदलाव देखने को नहीं मिला। रेप जैसे मामलों में तो पुलिस का अमानवीय चेहरा अक्सर उजागर होता रहता है। पुलिस का रवैया सुधारने को ट्रेनिंग और वर्कशॉप जैसे उपाय भी होते रहे लेकिन इसके सार्थक नतीजे देखने को नहीं मिले।

महिलाओं के साथ होने वाले अपराध संवेदनशील मामला होने की वजह से पुलिस इसे छिपाने का प्रयास करती है। मुकदमा न लिखना, इज्जत और प्रतिष्ठा की दुहाई देना और महिलाओं का चरित्र हनन पुलिस के हथियार बन चुके हैं। हाईवे पर लूट और रेप जघन्य अपराध है। पुलिस यदि वसूली की जगह गश्त करती तो अपराधियों का मनोबल गिरता। दुर्भाग्य ये कथित हाईटेक पुलिस यहां नाकाम साबित हो रही है।

- बृजलाल, पूर्व डीजीपी

उत्तर प्रदेश