- ढाई घंटे का सफर सिर्फ 62 मिनट में होगा तय

- रोज दिल्ली की ओर जाने वाले 70 हजार लोगों को मिलेगी राहत

- पॉल्यूशन लेवल कम होने के साथ ट्रैफिक जाम की समस्या हो जाएगी कम

sharma.saurabh@inext.co.in

Meerut : दिल्ली-मेरठ रैपिड रेल को हरी झंडी मिलने के बाद मेरठ के लोगों की खुशी का कोई ठिकाना नहीं है। भले ही इस प्रोजेक्ट को शुरू होने अभी थोड़ा समय और लग सकता है, लेकिन जब ये पूरा होगा तो मेरठ का पूरा नक्शा ही बदल जाएगा। ट्रेन के शुरू होने के बाद कई हजार लोगों को कितनी सहुलियत हो जाएगी इसका अंदाजा अभी से लगाया जा सकता है। आइए आपको भी बताते हैं आखिर रैपिड रेल के आने से पब्लिक को कितना फायदा होगा? साथ ही बस और ट्रेनों से रैपिड रेल का सफर कितना अलग होगा?

बस में नहीं होंगे बेबस

मौजूदा समय में बस से मेरठ से दिल्ली कश्मीरी जाने वाले लोगों को अमूमन ढाई घंटे तक का समय लगता है। अगर मोदी नगर, मुरादनगर की नहर, राजनगर एक्सटेंशन और हिंडन में ट्रैफिक जाम लग जाए तो यही सफर तो तीन से साढ़े तीन घंटे का हो जाता है। मेरठ से दिल्ली की ओर दिन भर में बसों के कुल फ्भ्0 फेरों से ज्यादा लगते हैं। जबकि रैपिड रेल में यही सफर सिर्फ म्ख् मिनट में पूरा कर सकेंगे। रोचक बात तो ये है मेरठ से कश्मीरी गेट का कुल सफर म्7 किलोमीटर का है। जबकि रैपिड रेल करीब 90 किलोमीटर का सफर तय करेगी।

पैसेंजर में भी होती है हालत खराब

अगर पैसेंजर ट्रेनों की बात करें तो इनकी हाल और भी ज्यादा बुरी है। अगर इनकी संख्या की बात की जाए तो मेरठ से दिल्ली की ओर से जाने वाली कुछ म्ख् ट्रेनें हैं। जिनमें मेल, पैसेंजर, एक्सप्रेस, सुपरफास्ट शामिल हैं। करीब ट्रेन में अगर पैसेंजर, मेल और डीएमयू में सफर किया जाए तो करीब तीन घंटे का सफर तय है। जिसमें हर स्टेशन के अलावा बीच में भी काफी रुककर चलती है। जब ट्रेन में दिल्ली का सफर करीब 77 किलोमीटर का है।

अपने साधन से भी क्00 मिनट

अगर आप अपने साधन से भी दिल्ली की ओर से जा रहे हैं तो कम से भी कम क्00 मिनट तो लगेंगे ही। अगर रास्ते में जाम मिल जाए तो यही सफर आपका दो से ढाई घंटे का भी हो सकता है। रैपिड रेल के आने के बाद करीब 9भ् फीसदी लोग अपनी व्हीकल को छोड़ रैपिड रेल से ही सफर करेंगे। जिससे उनका दो घंटे का सफर एक घंटे में पूरा जाएगा।

खर्चे में भी आएगा फर्क

अगर बात किराए और खर्चे की जाए तो बस में दिल्ली जाने का किराया 70 रुपए है। आने का किराया भी 70 रुपए ही है। आने जाने में क्ब्0 रुपए लगते हैं। जबकि इंडियन रेलवे यही किराया क्भ् रुपए से ख्भ् रुपए तक है। सभी ट्रेनों का किराया अपने लेवल पर कम है। वहीं आप दिल्ली अपने व्हीकल (कार) से जाते हैं और करीब 70 किलोमीटर का भी सफर तय करते हैं तो एक ओर से करीब ख्भ्0 रुपए पेट्रोल खर्च होगा। वहीं वापस आने में भी इतने ही रुपए का पेट्रोल खर्च होगा। यानि दिल्ली आने जाने का पूरा खर्च भ्00 रुपए करीब होगा। अगर रैपिड रेल का पल्लवपुरम से सराय काले खां का किराया इक्वलेंट टू बस फेयर भी होता है इसमें भी कोई बुराई नहीं होगी। पब्लिक खुशी-खुशी देगी।

पेट्रोल और डीजल की खपत होगी कम

ट्रेन और बसों को छोड़ दिया जाए तो प्राइवेट व्हीकल के बंद होने से पेट्रोल और डीजल की खपत में काफी कमी आ जाएगी। मेरठ से दिल्ली जाने वालों की संख्या करीब 70 हजार डेली है, जिनमें से करीब फ्0 हजार लोग रेल से सफर करते हैं। जिनमें थोड़ी कमी आ सकती है। यही हाल कुछ बसों का रहेगा। करीब ख्भ् हजार लोग बसों से सफर करते हैं। इनमें भी कमी आएगी, लेकिन प्राइवेट गाडि़यों से जाने वाले करीब क्भ्000 लोगों में से अधिकांश व्हीकल को पूरी तरह से छोड़ देंगे। यानी फ्भ्00 व्हीकल रैपिड रेल और घरों की पार्किंग में खड़ी हो जाएगी। ऐसे में रोजाना ख्0 हजार लीटर डीजल-पेट्रोल की खपत में कमी आएगी। यानि ढाई लाख रुपए का डीजल-पेट्रोल की बचत हो जाएगी।

ऐसी में सफर करने का मौका

दिल्ली जाने के लिए अधिकतर लोग बस और ट्रेन के सफर को ही प्रिफर करते हैं। या यूं कहें कि मजबूरी ही है, जिनमें कभी बैठने को सीट नहीं मिलती। कभी सीट मिल भी जाए तो भीड़ इतनी हो जाती है कि बैठे-बैठे पसीना निकलने लगता है। ऐसे में ट्रेन का सफर काफी आरामदायक और वातानुकूलित होगा। कम किराए में ऐसी का सफर कौन करना नहीं चाहेगा।

पॉल्यूशन लेवल से जाम तक

जहां-जहां भी मेट्रो शुरू हुई है वहां के पॉल्यूशन लेवल में काफी कमी आई है। जानकारों की मानें तो दिल्ली में पॉल्यूशन लेवल मेट्रो के आने के बाद क्भ् से ख्0 फीसदी कम हुआ है। जिसका सबसे बड़ा रीजन प्राइवेट व्हीकल का सड़कों पर कम होना भी है। मेरठ में भी इसी तरह से पॉल्यूशन कम होने की पूरी संभावना है। वहीं ट्रैफिक जाम में भी काफी कम हो जाएगा। दिल्ली रोड पर तो प्राइवेट व्हीकल कम होने से आम पब्लिक को भी राहत मिलेगी।

बढ़ जाएगी जमीन की कीमत

इतिहास इस बात का गवाह है कि जहां भी मेट्रो प्रोजेक्ट शुरू हुए वहां की जमीन की कीमतों ने आसमान को छुआ है। दिल्ली, गुड़गांव, नोएडा इसके जीते जागते उदाहरण हैं। मेरठ में ये बात तय है कि जिन रूटों पर रैपिड रेल के स्टेशन होंगे वहां जमीन की कीमतों में काफी इजाफा होगा। प्रोपर्टी सेक्टर के जानकार सतीश शर्मा की मानें तो प्रोपर्टी की कीमतों में ढाई से चार गुना की बढ़ोत्तरी होने के आसार हैं।

म् साल में लांच होगा प्रोजेक्ट

अब नंबर यूपी, हरियाणा व राजस्थान सरकार का है। इन राज्य सरकारों की मंजूरी के बाद प्रोजेक्ट के लिए जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू हो गई और सबकुछ सही रहा तो छह साल में प्रोजेक्ट लांच हो जाएगा। यूपी सरकार को इस प्रोजेक्ट के लिए यूपी सरकार ख्77 एकड़ ग्रीन बेल्ट भी उपलब्ध करानी है। इस प्रोजेक्ट के लिए गठित कंपनी एनसीआर ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन लिमिटेड द्वारा तैयार कराई गई फिजीबिलिटी रिपोर्ट से यह खुलासा हुआ है।

अब ये है नया रूट

- दिल्ली में काले खां स्टेशन के पास फेज-तीन में प्रस्तावित स्टेशन से ट्रेन चलेगी।

- यूपी में पहला स्टेशन कौशांबी बॉर्डर प्वॉइंट पर होगा। वैसे नया रूट महाराजपुर बॉर्डर से लिंक रोड होकर मोहननगर स्थित सेल्स ऑफिस के पास पहुंचेगा। करहेड़ा के पास से हिंडन नदी पार करके उसके सहारे राजनगर एक्सटेंशन होकर जीडीए के प्रस्तावित मास्टर प्लान रोड से मुरादनगर के पास कनेक्ट होगा।

- फिर हाइवे-भ्8 की ग्रीन बेल्ट में एंट्री करके परतापुर होते हुए मेरठ के बेगमपुल को पार करके पल्लवपुरम तक पहुंचेगा। इस प्लान में एनएचएआई की आपत्तियों पर ध्यान रखकर ऐसा प्रोजेक्ट तैयार हुआ है, जिसमें हाइवे-भ्8 का प्रयोग बेहद कम हुआ है।

- साहिबाबाद, मोहननगर, गाजियाबाद, दुहाई, मुरादनगर, मोदीनगर, परतापुर, बागपत रोड चौराहा, मोदीपुरम और पल्लवपुरम स्टेशन होंगे।

फैक्ट एंड फिगर

लंबाई - 90 किमी

स्पीड - क्म्0 किमी/ घंटा

यात्रा समय - म्ख् मिनट

स्टेशनों की संख्या - क्7

आवागमन - भ् मिनट

लागत - ख्भ् हजार करोड़

रैपिड रेल के प्रोजेक्ट में सबसे पहला काम लैंड एक्वीजेशन को लेकर होगा। जो भी रूट तय हुआ है। जहां से भी रैपिड रेल जाएगी। लैंड की जरुरत पड़ने पर उसपर काम शुरू किया जाएगा।

- पंकज यादव, डीएम, मेरठ