टाटा ग्रुप भी काफी चिंतित

आज से करीब 8 साल पहले जब टाटा ने अपनी खास पेशकश में सबसे सस्ती कार उतारने की घोषणा की थी तो लगा था कि अब आदमी के लिए कार एक सपना नहीं रह गई। यहीं कुछ उस समय टाटा ग्रुप का भी कहना था। हुआ भी वही टाटा ग्रुप ने 1 लाख की कीमत में टाटा नैनो उतारने में सफल भी रही लेकिन बाद में कंपनी को निराशा हाथ लगी। टाटा ग्रुप की यह नैनो कार कार शौकीनों को खास नहीं रूझा सकी। सस्ती और छोटी होने के बाद भी लोगों ने उसे कंपनी की उम्मीदों के मुताबिक रिस्पांस नहीं दिया। जिसे लेकर टाटा ग्रुप भी काफी चिंतित है। इसका खुलासा कल हुआ। टाटा संस के मानद अध्यक्ष रतन टाटा ग्रेट लेक्स इंस्टीटयूट ऑफ मैनेजमेंट के 11वें दीक्षांत समारोह में शामिल होने आए थे।

अपने साथ नहीं जोड़ना चाहते

इस दौरान छात्रों को संबोधित करते हुए अध्यक्ष रतन टाटा का कहना था कि इसकी ब्राडिंग में सबसे बड़ी गलती हो गई। इसी का खामियाजा भुगतना पड़ा। उनका कहना था कि टाटा मोटर की छोटी कार नैनो को सबसे सस्ती कार कहकर बाजार में उतारना एक बड़ी भूल थी। नैनो एक आम आदमी को ध्यान में रखकर उतारी गई थी। जो कि उनके बजट के मुताबिक थी। इतना ही नहीं यह कार उनके लिए काफी किफायती साबित होती लेकिन इसमें सस्ती कार का शब्द जुड़ जाने से इसके विपरीत हो गई। लोग इस सस्ती कार को अपने साथ नहीं जोड़ना चाहते हैं। इस दौरान उन्होंने छात्रों को संबोधित करते हुए अपने काम और भविष्य दोनों के लिए अधिक जागरूक रहने को बोला है। इसके साथ ही उनका कहना रहा कि टाटा स्वास्थ्य और कनेक्टिविटी क्षेत्रों में भी निवेश करने की तैयारी में हैं।

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