छ्वन्रूस्॥श्वष्ठक्कक्त्र: भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा 14 जुलाई को है। 28 जून की शाम को प्रभु जगन्नाथ को स्नान कराने का विशेष उत्सव आयोजित किया जाएगा। शहर में रथयात्रा का आयोजन करने वाली तमाम समितियां अपनी-अपनी तैयारी और साम‌र्थ्य के मुताबिक यह अनुष्ठान संपन्न करेंगी। शहर में सबसे बड़ी रथयात्रा का आयोजन करने वाली इस्कॉन इस वर्ष यह अनुष्ठान धालभूम क्लब हॉल में आयोजित करेगा। बाकी आयोजन समितियां अपने-अपने आयोजन स्थल पर यह अनुष्ठान पूरा करेंगी।

इस्कॉन की रथयात्रा होती है खास

यहां की रथयात्रा में शामिल होने के लिए मायापुर (प। बंगाल) समेत कोलकाता, खड़गपुर, राउरकेला, पुरुलिया, रघुनाथपुर, सिल्ली आदि शहरों से हजारों श्रद्धालु आते हैं। जबकि नगर भ्रमण में करीब 10,000 भक्त शामिल होते है। इस्कॉन सेंटर के प्रमुख संन्यासी श्रीधाम गोविंद दास सभी अनुष्ठान संपन्न कराते हैं। इस बार यह रथयात्रा पिछले वर्ष की तरह बिष्टुपुर राम मंदिर से शुरू होकर साकची स्थित धालभूम क्लब मैदान तक आएगी। यहीं मौसीबाड़ी बनाई जाएगी। रथ पर भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र व बहन सुभद्रा के अलावा सुदर्शन (चक्र) विराजमान होंगे। आगे-आगे मायापुरी से आए 200 लोगों की मंडली चलेगी। ये मंडली ढोलक-झाल बजाकर कीर्तन करते हुए चलेगी।

आगे-आगे कीर्तन मंडली

नागा मंदिर समिति की रथयात्रा बेल्डीह कालीबाड़ी के निकट स्थित तुलसी मंदिर बेल्डीह तक जाएगी। आगे-आगे मंडली कीर्तन करेगी। यात्रा की शुरुआत रथ के नागा मंदिर की परिक्रमा करने के बाद होगी। मंदिर के समीप मेला भी लगेगा।

कीर्तन से गुंजायमान होगा

गांधी आश्रम की रथयात्रा में लगभग आधा दर्जन मंडलियों के कीर्तन से वातावरण गुंजायमान होगा। इस रथयात्रा में विभिन्न आश्रमों के लोग बड़ी संख्या में शामिल होंगे। रथयात्रा गांधी आश्रम न्यू बाराद्वारी से शुरू होकर स्ट्रेट माइल रोड, रामलीला मैदान, बसंत टाकीज, काशीडीह, कुम्हारपाड़ा होते हुए पुन: गांधी आश्रम पहुंचेगी।

होगी विशेष पूजा-अर्चना

रथ गली जगन्नाथ रथयात्रा समिति जुगसलाई की ओर से

विधि-विधान से पूजा-पाठ करने के उपरांत रथयात्रा शाम को शुरू होगी। स्टेशन रोड काली मंदिर, चौक बाजार, मारवाड़ी पाड़ा, नया बाजार होते हुए पुन: हनुमान मंदिर पहुंचेगी। आगे-आगे कीर्तन मंडली कीर्तन करते हुए चलेगी। साथ में डंका भी बजेगा। यात्रा में दूसरे धर्मो के लोग भी बड़ी संख्या में शामिल होते हैं।

नव कलेवर अनुष्ठान

गोलमुरी उत्कल समाज और उत्कल एसोसिएशन गरमनाला साकची में रथयात्रा तो नहीं निकाली जाएगी, पर यहां पूरे विधि-विधान से नव कलेवर का अनुष्ठान होगा। सुबह घट स्थापना होगा। दोपहर में प्राण-प्रतिष्ठा व शाम सात बजे संध्या आरती होगी। इसके देर शाम तक भजन-कीर्तन का दौर चलेगा। पुजारी ने बताया कि जिस वर्ष आषाढ़ मास में पुरुषोत्तम मास या अधिकमास पड़ता है, उस वर्ष भगवान की मूर्ति बदली जाती है। इसके लिए नीम की लकड़ी उसी पेड़ से ली जाती है, जिसमें शंख, चक्र, गदा या पद्म के चिह्न हों। पेड़ के नीचे सांप का बिल हो और उस पर कभी चिडि़या का वास न हो। इसी को नव कलेवर अनुष्ठान कहते हैं।

उमड़ेंगे हजारों श्रद्धालु

नामदा बस्ती काली मंदिर से पूरे उत्साह के साथ रथयात्रा निकाली जाएगी। भजन-कीर्तन के साथ सैकड़ों श्रद्धालु रथ को खींच कर टिनप्लेट काली मंदिर स्थित मौसीबाड़ी पहुंचाएंगे। इसके पूर्व पुजारी सभी धार्मिक अनुष्ठान संपन्न कराएंगे।