ककराहा घाट पर धूं-धूं कर जला 15 फिट का रावण, दिखा आतिशबाजी का नजारा

ALLAHABAD: पजावा रामलीला कमेटी की ओर से विजयादशमी के दिन ककराहा घाट पर रावण का वध किया गया। लाइट एंड साउंड सिस्टम के जरिए घाट पर पति की मृत्यु खबर जब सती सुलोचना तक पहुंची तो उनके विलाप से लंका दहल उठी। लंकेश के दरबार में शोक की लहर पसरी। सभी वीरों के एक-एक कर मारे जाने से दुखी लंकेश ने राम से स्वंय युद्ध का निर्णय लिया। राम व रावण में युद्ध होता है। फिर अग्नि बाण चलता है और 15 फिट का रावण धूं-धूं कर जल उठता है। जनमानस में खुशियां छा जाती हैं, घंटा-घडि़याल बजता है और जमकर आतिशबाजी होती है।

अमृत कुंड पर निशाना, रावण ढेर

श्री पथरचट्टी रामलीला कमेटी के परिसर में रावण वध की लीला का मंचन किया गया। दरबार में रावण गहरी निराशा में डुबा स्वयं रणक्षेत्र में आता है। दुर्वचन कहते हुए वह राम पर प्रहार करता है। घोर संग्राम होता है और राम रावण का सर काटते हैं लेकिन वही सर उसके धड़ पर वापस लग जाता है। बार-बार यही होता है तो राम के माथे पर चिंता की लकीर खींच जाती है। तब विभीषण बताते हैं कि रावण की नाभि में अमृत कुंड है। इसके बाद राम एक-एक कर 31 बाण छोड़ते हैं। पहले रावण की भुजाएं कटती हैं फिर दस सर कट जाते हैं। यह दृश्य दर्शकों को जितना अचरज भरा लगा, उससे ज्यादा खुश दर्शक तब हुए जब रावण के सभी सर कट जाते है। परिसर 'जय श्रीराम-जय श्रीराम' व 'राम की जय हो' जयकारों से गूंज उठता है।

दो कमेटियों का कार्यक्रम साथ

श्री दारागंज रामलीला कमेटी व श्री कटरा रामलीला कमेटी के संयुक्त तत्वावधान में रावण का वध किया गया। दारागंज से भगवान राम की सवारी और राम वाटिका परिसर से भगवान की सवारी अलोपीबाग स्थित लीला स्थल पर पहुंची। एक रावण के पीछे दो-दो भगवान के युद्ध का दृश्य कौतुहल भरा रहा। 11 फिट के रावण को जैसे ही दोनों कमेटी के भगवान ने बाण मारा उसके अंदर की सभी बुराईयां धूम धड़ाम के साथ फूट पड़ीं। सके बाद दोनों कमेटियों के पात्र मां अलोपशंकरी के दरबार में ब्राह्माण हत्या के पाप से मुक्ति पाने के लिए पहुंचते हैं। वहां वैदिक रीति से पूजन-अर्चन किया जाता है। इस मौके पर कुल्लू यादव, सुधीर कुमार गुप्ता, गोपाल बाबू जायसवाल, जितेन्द्र गौड़, तीर्थराज पांडेय आदि मौजूद रहे।

'आदर्शो से परिपूर्ण प्रभु का चरित्र'

श्री पथरचट्टी रामलीला कमेटी की ओर से स्मारिका विमोचन समारोह का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि जस्टिस सुधीर नारायण ने कमेटी के 38वें अंक का विमोचन करते हुए कहा कि युगों से रामकथा कही और सुनी जा रही है। राम का जीवन आदर्शो और मर्यादा से परिपूर्ण है। इसीलिए वह सभी को भाता है। जस्टिस उमा शंकर त्रिपाठी ने कमेटी के आयोजनों की प्रशंसा की। महामंत्री आनंद सिंह ने गतिविधियों पर प्रकाश डाला।