सावन माह के सोमवार को सबसे ज्यादा किया जाता है रुद्राभिषेक

ALLAHABAD: भगवान शिव का ही प्रचंड रूप रुद्र है। सावन माह में रुद्राभिषेक ज्यादा शुभ होता है। ये भक्तों के अक्षय लाभ का कारक बनता है। सावन के तीसरे सोमवार को कोटेश्वर महादेव, दशाश्वमेध मंदिर, नागवासुकि व नागेश्वर महादेव मंदिर में दर्जनों भक्तों द्वारा रुद्राभिषेक कराया गया।

द्रव्य पदार्थो से किया जाता है रुद्राभिषेक

देशी घी : घी की धारा से अभिषेक करने से वंश बढ़ोत्तरी होती है

गाय का दूध : गाय के दूध से अभिषेक कराने पर आरोग्यता मिलती है

गंगाजल : गंगाजल और शक्कर से अभिषेक करने पर संतान प्राप्ति की कामना पूरी होती है

भस्म : भस्म से अभिषेक करने पर इंसान को मुक्ति व मोक्ष की प्राप्ति

गन्ने का रस : इससे अभिषेक करने से दुर्योग नष्ट और मनोकामना की पूर्ति

शहद : शहद से अभिषेक करने पर पुरानी बीमारियां नष्ट होती हैं

नोट : रुद्राभिषेक में शुक्ल यजुर्वेद के रुद्राष्टाध्यायी के मंत्रों का पाठ किया जाता है। इसमें आठ अध्याय होते हैं। इसे साधारण तरीके से करने पर डेढ़ घंटे का समय लगता है। जबकि एकादशिनी पाठ के जरिए करने में तीन घंटे का समय लगता है।

रुद्राभिषेक का उत्तम विधान

रुद्राभिषेक के लिए भगवान शिव की उपस्थिति देखना बहुत जरुरी है

भगवान का निवास देखे बिना कभी रुद्राभिषेक नहीं करना चाहिए। अन्यथा इंसान पर उसका बुरा प्रभाव पड़ता है

भगवान का निवास तभी देखें जब मनोकामना पूर्ति के लिए रुद्राभिषेक करना हो

जो भक्त यजुर्वेदीय विधि विधान से रुद्राभिषेक करने में असमर्थ हैं या विधान से परिचित नहीं हैं वे केवल भगवान शिव के षडाक्षरी मंत्र ऊं नम: शिवाय: का जप करते हुए रुद्राभिषेक का पूर्ण लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

पं। दिवाकर त्रिपाठी पूर्वाचली, ज्योतिषाचार्य

भगवान शिव को शुक्ल यजुर्वेद अत्यंत प्रिय है। कहा भी गया है कि वेद: शिव: शिवो वेद:। इसी कारण ऋषियों ने शुक्ल यजुर्वेदीय रुद्राष्टाध्यायी से रुद्राभिषेक करने का विधान शास्त्रों में बताया है।

पं। विद्याकांत पांडेय