Just ‘chillout‘

दिल्ली के रहने वाले इस शख्स की एज आज 26 साल है। वह अब तक छह रेव पार्टी अटेंड कर चुके हैंं। 2004 में इसने पहली बार किसी रेव पार्टी को एक्सपीरियंस किया था। इस शख्स की मानें तो रेव पार्टीज का ये शौक अगर लग जाए तो फिर इससे पीछा छुड़ाना बहुत मुश्किल होता है। इस शख्स को रेव पार्टी की लत कैसे लगी इसका किस्सा भी काफी अजीब है। इस पार्टी गोअर ने हमें बताया, ‘एक दिन कॉफी शॉप में अपने फ्रेंड्स के साथ बैठा कॉफी का मजा ले रहा था कि अचानक एक फ्रेंड बोला कि चल यार गोवा चलते हैं ‘चिलआउट’ करने। मैंने उससे कहा कि चिलआउट के लिए दिल्ली के पास अच्छी जगहें हम जा सकते हैं। लेकिन उसने कहा कि इस बार वैकेशंस का मजा गोवा में लेते हैं। मैंने अपने पैरेंट्स से परमीशन मांगी और उन्होंने थोड़ा सोंचने के बाद हां कर दी क्योंकि मेरा वो दोस्त काफी क्लोज था और घर में सभी लोग उसे काफी अच्छे से जानते थे। गोवा पहुंचने के बाद मुझे ‘चिलआउट’ का असली मतलब पता चला। ‘चिलआउट’ उस रेव पार्टी का कोड वर्ड था जिस मैं पहली बार अटेंड करने जा रहा था.’ इस शख्स की मानें तो इसे पहली बार माहौल थोड़ा अजीब लगा लेकिन दोस्त ने कहा कि ऐसी पार्टीज में ऐसा ही एंबियेंस होता है।

In the search of ‘harmony‘

इस रेव पार्टी विजिटर की मानें तो पार्टी का माहौल दिल्ली के किसी डिस्कोथेक से थोड़ा अलग था। अजीब से लोग थे ज्यादातर दूसरे देशों से आए हुए थे। लेजर लाइट्स और तेज म्यूजिक के बीच काफी अजीब तरीके से लोग डांस कर रहे थे। उसी समय मेरे दोस्त ने मुझसे पूछा कि हर्मोनी का मतलब जानते हो मैंने कहा कि शायद बेहतर एडजस्टमेंट। इस पर बोला पागल है हार्मोनी मतलब होता है चरस और इसके बाद उसने मेरे सामने सिगरेट जैसी किसी चीज का कश लिया। इसके बाद मैंने भी एक कश मारा और फिर वहां से ही मेरा रेव पार्टी में जाने का सिलसिला शुरू हो गया। इस पार्टी गोअर की मानें तो जो लोग स्मोकिंग नहीं करते हैं उनकी कोल्ड ड्रिंक में नशे की एक या दो ड्रॉप डाल दी जाती है।

Want to get high

गोवा की चार रेव पार्टीज, मुंबई और बंगलुरू की एक-एक रेव पार्टी को अटेंड कर चुके इस शख्स ने हमें बताया कि नए लोगों को अगर एकदम से ड्रग्स लेने के लिए कहा जाए तो उन्हें थोड़ा अजीब लग सकता है। इसलिए इन पार्टी की एंट्री के साथ ही उन्हें नॉर्मल डिस्कोथेक का माहौल देने की कोशिश की जाती है। कुछ घंटे बिताने के बाद जब वो उस माहौल में एंज्वॉय करने लगता है फिर उसे ऑफर दिया जाता है। इन पार्टीज में लोगों को ड्रग्स का ऑफर थोड़ा अलग अंदाज में दिया जाता है।

Code words for drugs

जब हमने पूछा तो हमें कुछ कोड वड्र्स बताए गए। ‘वांट टू गेट हाई,’ ‘वाय हैविंग ऑर्डिनरी ड्रिंक, वेन वी हैव बिटर कोला फॉर यू,’ या फिर ‘गेट कोला फ्री विद ए सिप ऑफ ए ज्यूस,’ कुछ ऐसे ही कोड वड्र्स के जरिए पार्टी में आए गेस्ट्स को ड्रग्स के ऑफर्स दिए जाते हैं।

Favourite drugs

इन रेव पार्टीज में जो ड्रग्स पार्टी विजिटर्स की फेवरिट होती हैं उनमें एमडीएमएस या एक्सटैसी, मारिजुआना, एलएसडी, नाइटोरस ऑक्साइड और कैटामाइन सबसे अहम हैं।

साउथ अफ्रीकन ड्रग्स भी

वहीं इस समय देश के भीतर होने वाली रेव पार्टीज में साउथ अफ्रीकन ड्रग्स लिकोराइस भी काफी पॉपुलर होती जा रही है।

जहरीला नशा

हमसे बात करने पर इस शख्स ने बताया कि कैटामाइन किंग कोबरा के जहर से तैयार किया जाता है। इसके बिना कोई भी रेव पार्टी आजकल ऑर्गनाइज ही नहीं होती है।

ब्लैक होती ड्रग्स

साथ ही पार्टी में जब ड्रग्स की डिमांड बढ़ती है तो पार्टी में मौजूद लोग उसे ब्लैक करना शुरू कर देते हैं। जैसे एक्सटेसी की एक पिल की कीमत 3000 से 5000 के बीच होती है, लेकिन इसे 15000 तक में बेचा जाता है।

When and where is the party

मई से दिसंबर तक का समय रेव पार्टीज के लिए सबसे मुफीद माना जाता है वो होता है। इस पार्टी गोअर के मुताबिक इस समय टूरिस्ट्स ज्यादा आते हैं, साथ ही बीच में फेस्टिव सीजन भी पड़ता है। वहीं मौसम भी कुछ ठीक रहता है और ऐसे में रेव पार्टी को सही तरह से ऑर्गनाइज किया जा सकता है। एक और बात जो सबसे खास होती है यह पार्टियां ऐसी जगहों पर इनवाइट की जाती हैं जहां आसपास गांव जैसा माहौल हो। किसी फार्म हाउस या रिसॉर्ट में जब यह पार्टियां ऑर्गनाइज की जाती हैं तो आसपास के लोग इसे नॉर्मल पार्टी समझते हैं और ऐसे में बिना डर के देर रात शुरू होने वाली पार्टी सुबह तक चलती है। यह पार्टिया ज्यादातर रात 12 बजे शुरू होती हैं और फिर सुबह पांच बजे तक चलती हैं।

You are invited

हाल ही में मुंबई में एक रेव पार्टी पर जब पुलिस ने छापा मारा तो पता लगा कि इस पार्टी के इनवाइट्स फेसबुक के जरिए भेजे गए थे। हमने जब इस शख्स से पूछा तो हमे पता चला कि फेसबुक पर कुछ नामी गिरामी शराब कंपनियों की ओर से ग्रुप बनाए गए हैं। कभी इन ग्रुप्स की ओर से तो कभी किसी फेसबुक यूजर की ओर से पार्टी ऑर्गनाइज की जाती है। इन पार्टीज का इनवाइट कुछ खास अंदाज में दिया जाता है। इस शख्स ने हमें बताया कि हाल में जो रेव पार्टी खबरों में आई थी उसका कोड वर्ड था ‘संडे विद हिप्पीज.’ इसी तरह से ‘चीज केक फैक्ट्रीज आर हियर,’ ‘पीस मार्च ऑन संडे’ जैसे कोड्स यूज किए जाते हैं। साथ ही अब ‘शांति यात्रा’ भी एक खास कोड वर्ड बन चुका है।

कानपुर में मस्ती

कानपुर से रेव पार्टी का भी ताल्लुक है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक चोरी-छिपे इस शहर में होने वाली रेव पार्टियों में बड़ी तादाद में ड्रग्स और विदेशी शराब खपाई जा रही है। आम तौर पर ऐसी पार्टीज का ठिकाना बिठूर, सचेंडी जैसे आउट स्कट्र्स इलाके होते हैं। सूत्रों की मानें तो इन रेव पार्टियों में शरीक होने के लिए बाकायदा टोकन बनते हैं। पार्टियों में विदेशों से आई लड़कियां बिकनी पहनकर डांस करनी भी देखी गई हैं। हालांकि, हाई प्रोफाइल क्लास के लोगों के रेव पार्टियों में मौजूद होने से पुलिस हाथ तक नही डाल पाती है। रेव पार्टियों के बारे में महकमें के आला अफसर कन्नी काट गए।

पटना में भी हैं नशे के सौदागर 

पटना में नशे के सौदागरों ने अपनी जाल बिछा रखी है। यूथ इसकी चपेट में आ चुके हैं। कई बार तो होटल्स में नशे में धुत पार्टी करते पकड़े गए हैं। कुछ महीने पहले ही शहर के एक बड़े रेस्टोरेंट में पुलिस ने रेड कर दस लोगों को अरेस्ट किया था। ये नशे में तो थे ही, साथ ही होटल में मॉडल्स के डांस भी हो रहे थे। जब पुलिस के सीनियर आफिसर्स वहां पहुंचे, तो वहां का हाल देखकर चौंक पड़े। नशे में मस्त युवक अश्लील हरकतें कर रहे थे। इन वीआईपी के लिए थाने से लेकर पटना पुलिस के सीनियर ऑफिसर्स के फोन घनघनाने लगे। बावजूद इसके वे जेल भेजे गए। पुलिस ने उसे रेव पार्टी तो नहीं बताया, पर यह जरूर कहा कि हो सकता है यह ऐसे कल्चर की शुरुआत हो। वहीं, कुछ दिन पहले पाटलिपुत्रा इलाके में नशे में धुत एक लडक़ी पटना पुलिस को मिली थी। पुलिस ने उस लडक़ी को सुरक्षित घर पहुंचाया था। लडक़ी ने पुलिस को बताया था कि वह पार्टी में गई हुई थी। वहां धोखे से किसी ने नशा खिला दिया था। उधर, कोतवाली, पीरबहोर और शास्त्री नगर इलाके में पुलिस ने कई लोगों को कोकीन, हीरोइन, ड्रग्स आदि के साथ पकड़ा था।

लखनऊ भी पीछे नहीं लेकिन सबकुछ पर्दे के पीछे

रेव पार्टीज की लिस्ट में लखनऊ शहर भी पीछे नहीं हैं। लेकिन साल में 15 से 20 पार्टीज हो ही जाती हैं। सभी पार्टीज उतने बड़े पैमाने पर नहीं होती उनकी संख्या बहुत ही कम है। रेव पार्टीज के लिए सबसे फेवरेट प्लेस होता है शहर से दूरी पर कोई फार्महाउस। इन पार्टीज के लिए कोई फॉर्मल इनवाइट नहीं जाता क्योंकि यहां पर कॉमर्शियल रेव पार्टी का ट्रेंड नहीं है। इन पार्टी के लिए कोई ग्रुप आपस में तय करता है और फिर एक दूसरे को इस पार्टी के बारे में बताया जाता है। इसकी वजह यह भी है कि आसपास मौजूद पुलिस वालों को इस पार्टी के बारे में जानकारी दे दी जाती है और पुलिस का यही शर्त रहती है कि इस पार्टी के बारे में ज्यादा लोगों को खबर न ही हो तो अच्छा है। चरस के साथ एलएसडी मशरूम जैसे केमिकल इन पार्टीज की जान होते हैं।

ताज सिटी में भी नशीली महफिल

रेव पार्टी से शहर भी अछूता नहीं है, पार्टी होती है लेकिन चोरी छिपे। कुछ साल पहले आगरा मथुरा रोड पर एक कॉलेज के स्टूडेंट्स को रेव पार्टी पर पुलिस ने छापा मारा था। शराब-शबाब और ड्रग्स इन तीनों को जब हाई-प्रोफाइल तरीके से मिलकर आपस में पेश किया जाता है। अपने ग्रुप या फिर गर्लफ्रेंड्स के अलावा इन रेव पार्टी में दिल्ली से भी पार्टी गल्र्स हायर की जाती हैं। रेव पार्टी काफी छिपकर की जाती है। इन रेव पार्टीज का हिस्सा बन चुके व्यक्ति के मुताबिक ज्यादातर लोगों को फोन पर मैजेस के जरिए इन्टीमेट किया जाता है। शहर में रेव पार्टी के आयोजन अधिकांश होली और न्यू ईयर पर की जाती है। शहरी आबादी से दूर बने फार्म हाउस इनके पसंदीदा ठिकाने हैं। करीब चार साल पहले ऐसे ही एक फार्म हाउस में पुलिस ने रेड कर एक रेव पार्टी से कई बड़े घरानों के लोगों को भी हिरासत में लिया था।

रांची में बस ‘खास’ मौके का इंतजार

किसी ‘खास’ का बर्थडे सेलिब्रेशन हो या फिर किन्हीं ‘खास’ लोगों को खुश करना हो, रांची में रेव पार्टीज ऑर्गनाइज करने का सिलसिला चल पड़ा है.  रांची के लालपुर, कांटाटोली, डोरंडा, स्टेशन रोड, मेन रोड और कांके रोड में कोई आठ-दस रेस्टोरेंट और बार इस तरीके की पार्टीज के लिए सेफ प्लेस के रूप में मशहूर हैं। इन जगहों में तकरीबन हर रोज कहीं न कहीं नशा, डांस, मस्ती की महफिल गुलजार रहती है। रांची मेंं इन पार्टियों को आम तौर पर प्राइवेट और बैचलर पार्टी के रूप में जाना जाता है। आम तौर पर ये पार्टियां 20 से लेकर 60-70 के ग्रुप के लिए ऑर्गनाइज की जाती हैं। कोलकाता, आसनसोल, दिल्ली और नेपाल से आने वाली बालाएं इन पार्टियों का खास अट्रैक्शन होती हैंं, जिन्हें लाने के लिए 20-25 से लेकर दो से तीन लाख रुपए तक खर्चे जाते हैं। नशा और डांस से शुरू होनेवाली ये पार्टियां कई बार बिस्तर पर जाकर खत्म होती हैं। इन पार्टियों के ऑर्गनाइजर्स चरस, कोकिन और फ्लेवर्ड हुक्का से लेकर सांप के जहर तक का इंतजाम रखते हैंा रेस्टोरेंट और बार के ओनर्स ऐसी पार्टियों के लिए ऑर्गनाइजर्स से तीस हजार से लेकर एक लाख रुपए तक वसूल करते हैं।

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