फ्रेंड्स तक पार्टी की डिटेल्स दबी जुबान में चोरी छिपे पहुंच गई थीं. कई के पास मैसेज ई-मेल के जरिए पहुंचा. फेसबुक अभी पापुलर नहीं था. मेल में रेव का सीधे जिक्र नहीं हिंट भर थी. पार्टी न्यू ईयर के ठीक पहले राजस्थान के पापुलर पार्टी स्पाट्स में से एक में होनी थी.

कहने वाले इसे इंडिया की सबसे बड़ी रेव पार्टी कहते हैं. रेव यानी पैशन, एक्साइटमेंट और पागलपन, शायद यही था जो मुझे वहां तक खींच कर ले गया. आम पार्टी और रेव का सबसे बड़ा फर्क है कि इसमें अल्कोहल सर्व नहीं होता. यह सेक्स, म्यूजिक और ड्रग्स का कॉकटेल है.

पार्टी शुरू हो चुकी थी. बड़े से ओपेन स्पेस में बजता साठ हजार वाट का ट्रांस म्यूजिक. इंस्ट्रूमेंटल और इलेक्ट्रनिक का फ्यूजन और ड्रग्स का असर वहां मौजूद लडक़े-लड़कियों को पागल करने के लिए काफी था. ड्रग्स का कार्टेल रन करने वाले इंश्योर करते हैं कि चरस, कोकीन और एलएसडी (लिक्विड सिंक्रोनाइज्ड ड्रग) जैसी ड्रग्स बेहद आसानी से मिलें.

कभी चरस इन रेव पार्टियों में बेहद पापुलर थी लेकिन धीरे-धीरे कोक यानी कोकीन ने उसकी जगह ले ली. अब तो एसिड और इकैसटेसी ने भी जगह बना ली है. इन पार्टियों में होने वाला अनसेफ सेक्स एचआईवी एड्स इंफेक्शन के सबसे बड़े रीजन्स में से एक है.

रात बारह बजे नशे में डूबने के बाद तेज म्यूजिक पर हम सबने नाचना शुरू किया तो सुबह छह-सात बजे तक नाचते रहे. फिर गिर पड़े तो अगले आठ-नौ घंटे तक होश नहीं आया. अगले कुछ दिनों तक यही सिलसिला चलता रहा. मुझे नहीं मालूम हम अपने आसपास की दुनिया या फिर खुद को भुला देना चाहते थे. पार्टी खत्म हो चुकी थी पर इस बार हमेशा के लिए.

हम घर लौट आए थे, नशा अभी उतरा नहीं था. कुछ ही घंटों बाद फोन की रिंग बजी. दूसरी तरफ से आई आवाज सुनकर मैं शॉक्ड रह गया. मैं अपनी जगह से हिल नहीं पा रहा था. दोस्त जिसे थोड़ी देर पहले घर छोडक़र आया था ड्रग ओवरडोज से उसकी मौत हो गई थी. अब मैं ड्रग्स नहीं लेता.

(यह स्टोरी बातचीत पर आधारित है और जानकारी देने वाले का नाम उसकी रिक्वेस्ट पर बदल दिया गया है.)

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