क्या है जानकारी
जानकारी है कि आरबीआई की ओर से उसकी मुख्य दर (रेपो रेट) 0.25 प्रतिशत घटाकर 7.5 प्रतिशत कर दी गई है. बताया जा रहा है कि रिजर्व बैंक की ओर से दो माह से भी कम समय में दूसरी बार आश्चर्यजनक रूप से यह कटौती की गयी है. इसको लेकर रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने बयान देते हुए कहा है, 'पूंजी तरलता समायोजन सुविधा (एलएएफ) के तहत मुख्य नीतिगत दर में 25 आधार अंक अथवा 0.25 प्रतिशत की कटौती करके 7.5 प्रतिशत करने का निर्णय लिया गया है.' उन्होंने बताया कि बदली हुई नई दरों को तत्काल प्रभाव से लागू किया जाएगा.

रिवर्स रेपो दरों को रखा गया है अपरिवर्तित
इस कटौती को गौर से देखें तो मालूम पड़ता है कि रिजर्व बैंक की ओर से मुख्य नीतिगत दर में इस कटौती से पर्सनल लोन व कॉरपोरेट लोन में कटौती होगी. इस तरह की कटौती होने से आवास, वाहन व कॉरपोरेट ऋण सब सस्ता हो जाएगा. वो अलग बात है कि रिवर्स रेपो दरों को चार प्रतिशत पर पूरी तरह से अपरिवर्तित रखा गया है.

महंगाई को भी लग सकते हैं पंख
आमतौर पर रेपो रेट में कटौती को अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा माना जाता है। क्योंकि इससे लोगों की क्रय क्षमता में इजाफा हो जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि रेपो रेट में कटौती का बाजार पर प्रतिकूल प्रभाव भी पड़ सकता है। रेपो रेट में कटौती महंगाई को भी पंख लगा सकती है, जिसे नीचे लाने में मोदी सरकार के पसीने छूट गए थे।

लोगों की जेब में खर्च करने के लिए आएंगे ज्यादा पैसे
रेपो रेट में कटौती होने पर आमतौर पर बैंक होम लोन की दरों में भी कटौती कर देते हैं. इससे लोगों की बचत बढ़ जाती है. हालांकि पिछली बार जब आरबीआई ने रेपो रेट में कटौती की थी, तो बैंकों ने लोन की दरों में कमी नहीं की थी, लेकिन इस बार पूरी उम्मीद है कि लोन की दरों में कमी आएगी. अगर ऐसा होता है, तो लोगों की जेब में खर्च करने के लिए पैसे ज्यादा आएंगे. इसके साथ ही रघुराम राजन के बयान पर गौर करें तो उन्होंने कहा है कि 2015-16 की पहली छमाही में महंगाई दर के कमजोर पड़ने की पूरी उम्मीद है. वहीं दूसरी ओर दूसरी छमाही में यह छह प्रतिशत से नीचे भी आ सकती है.

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