लोन सस्ता होने के आसार

रेपो रेट में कटौती का सीधा मतलब है कि बैंक अब रिजर्व बैंक से अपेक्षाकृत रूप से कम दर पर पैसे उधार ले सकेंगे। रेपो रेट में कमी तेजी से विकास में सहयोगी हो सकती है। रेपो रेट घटने से लोन सस्ता होने के आसार बढ़ गए है।लोन की ईएमआई में भी कमी आएगी।

जीडीपी ग्रोथ के टारगेट को घटाया

राजन ने वित्त वर्ष 2016 के लिए भारत के जीडीपी ग्रोथ के टारगेट को 7.6 फीसदी से घटाकर 7.4 फीसदी कर दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि 2017 तक महंगाई दर को पांच फीसदी तक लाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। रेट कट के बावजूद भी बैंकों द्वारा कस्टमर्स को इसका फायदा नहीं देने की भी आरबीआई ने गंभीरता से लिया है। आरबीआई ने कहा कि मॉनिटरी एक्शन अब उन अवरोधों को दूर करने पर केंद्रित होगा ताकि रेट कट का फायदा बैंक आगे भी दें।

सेंसेक्स में बढ़ोत्तरी

आरबीआई के फैसले के बाद सेंसेक्स में हल्का उछाल देखने को मिला है। सेंसेक्स 50 अंक बढ़कर 25,610 के स्तर पर और निफ्टी 8 अंक की मामूली तेजी के साथ 7,789 के स्तर पर पहुंच गया है।

क्या है रेपो रेट ?

रेपो रेट वह दर है, जिस पर वाणिज्यिक बैंक रिज़र्व बैंक से कम अवधि का उधार लेते हैं। इसका असर ब्याज दरों पर पड़ता है। आरबीआई ने रेपो दर को 7.25 फीसदी पर ही जारी रखा था। आरबीआई ने 2015 में अब तक विभिन्न चरणों में रेपो दर में कुल 75 आधार अंकों की कटौती की है।

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