रुपये को मजबूती देने की कोशिश

मंगलवार को जो उपाय किए गए हैं उनके मुताबिक अब बैंकों को उनकी कुल जमा  के आधा फीसद के बराबर राशि ही एक विशेष व्यवस्था के तहत आरबीआइ से बतौर कर्ज लेने की अनुमति होगी. अभी तक बैंक इस तरलता समायोजन व्यवस्था (लिक्विडिटी एडजस्टमेंट फैसिलिटी) के तहत एक फीसद तक राशि कर्ज ले सकते थे. इसी तरह से बैंकों को यह भी निर्देश दिया गया है कि उन्हें रोजाना नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) का 99 फीसद अब रिजर्व बैंक के पास रखना होगा. अभी तक बैंकों को सीआरआर का 70 फीसद तक आरबीआइ के पास रखना पड़ता था.

सारे उपाय गए बेकार

इन दोनों उपायों की वजह से बैंकों के पास कर्ज बांटने के लिए कम राशि बचेगी. फंड की कमी बैंकों को ब्याज दरों को बढ़ाने के लिए मजबूर सकती है. माना जा रहा है कि इससे बैंकों के पास कर्ज बांटने लायक राशि 5,000 करोड़ रुपये तक कम हो जाएगी. जाहिर है कि बैंकों के लिए फंड की लागत बढ़ेगी. सनद रहे कि एक पखवाड़े पहले रिजर्व बैंक ने बैंक दर में वृद्धि कर बैंकों के पास उपलब्ध फंड में कमी करने के कदम उठाए थे. साथ ही सरकारी प्रतिभूतियों को बेचने का भी एलान किया था. पिछले दो महीनों से केंद्रीय बैंक रुपये को संभालने के लिए एक के बाद एक कई कदम उठा चुका है. मगर इससे रुपये की कीमत पर खास असर पड़ता नहीं दिख रहा. मंगलवार को भी रुपया डॉलर के मुकाबले चार पैसे कमजोर हो कर 59.76 के स्तर पर बंद हुआ.

सरकार और उद्योग जगत की उम्मीद पर पानी

दूसरी तरफ, मंदी से हलकान सरकार व उद्योग जगत यह उम्मीद लगाए बैठे हैं कि ब्याज दरों को घटाने के लिए केंद्रीय बैंक की तरफ से कदम उठाये जाएंगे. उल्टा आरबीआइ ब्याज दरों को बढ़ाने का काम कर रहा है. पिछले पखवाड़े जो कदम उठाए गए थे उसके बाद कुछ बैंकों ने इस पर नाराजगी जताई थी. इसके बाद वित्त मंत्रालय को हस्तक्षेप करना पड़ा था कि बैंक ब्याज दरों को न बढ़ाएं.

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