आरबीआई ने हालांकि नकद आरक्षित अनुपात यानी सीआरआर में कोई बदलाव नहीं किया है और उसे चार प्रतिशत पर बरकरार रखा है.

रेपो दर वो दर है जिस पर बैंक सीमित अवधि के लिए रिजर्व बैंक से ऋण लेते हैं. बैंक ने इसे 7.75 प्रतिशत से बढ़ाकर आठ प्रतिशत कर दी गई है, जिसके कारण रिवर्स रेपो दर 6.75 प्रतिशत से बढ़कर सात प्रतिशत हो गई. रिवर्स रेपो वह दर होती है, जिस पर रिजर्व बैंक अन्य बैंकों से सीमित अवधि के लिए उधार लेता है.

मंदी का दौर

आरबीआई ने मंगलवार को मौजूदा कारोबारी सत्र की मौद्रिक नीति की तीसरी तिमाही की समीक्षा की घोषणा की.

"अर्थव्यवस्था में मंदी का दौर चिंताजनक है. फिलहाल कृषि क्षेत्र का प्रदर्शन मज़बूत रहा है, लेकिन सेवा क्षेत्र में बेहतरी के संकेत नहीं हैं"

-रघुराम राजन, आरबीआई- गवर्नर

पिछले वर्ष सितंबर में गवर्नर पद संभालने के बाद रघुराम राजन की ये चौथी समीक्षा है.

रघुराम राजन ने कहा, "अर्थव्यवस्था में मंदी का दौर चिंताजनक है. हमारा अनुमान है कि तीसरी तिमाही में औद्योगिक गतिविधियां- विशेष तौर पर विनिर्माण क्षेत्र में कमी आ सकती है. फिलहाल कृषि क्षेत्र का प्रदर्शन मज़बूत रहा है, लेकिन सेवा क्षेत्र में बेहतरी के संकेत नहीं हैं."

रघुराम राजन ने कहा कि निर्यात बढ़ने से व्यापार घाटा कम हुआ है और चालू घाटा सकल घरेलू उत्पाद के 2.5 फीसदी तक रहने का अनुमान है. 2012-13 में यह 4.8 फीसदी था.

आरबीआई गवर्नर ने चिंता जताते हुए कहा कि रुपए को सबसे बड़ा खतरा उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के बढ़ने से है जो कि 10 प्रतिशत से ज़्यादा है. खाद्य और ऊर्जा क्षेत्र की मंहगाई को छोड़ भी दिया जाए तो भी बाकी क्षेत्र में मंहगाई काफी ज़्यादा है और ये आर्थिक विकास के लिए घातक है.

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